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नीमच: 'यहां सिर्फ दावों का तमाशा' परिजनों के आंखों के सामने दम तोड़ रहे कोविड मरीज

नीमच में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था ने उन तमाम दावों की पोल खोल दी है. यहां ना तो पर्याप्त डॉक्टर है और ना ही दवाइंया और ना ही मेडिकल स्टाफ.

Bad medical system in Neemuch
श्मशान में जलती चिताएं
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Published : May 6, 2021, 7:15 AM IST

Updated : May 6, 2021, 8:24 AM IST

नीमच। एक साल पहले कोविड ने पैर पसारे और एक साल में भी नीमच जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था संभल नहीं पाई है. जिसका नतीजा यह है लोग कोविड से कम लेकिन स्वास्थ्य व्यवस्था से प्रभावित हो रहे हैं. नीमच जिला अस्पताल की व्यवस्था ही कुछ ऐसी है. उखड़ती सांस के साथ आ रहे कोविड मरीज के परिजनों से नर्सिंग स्टाफ बोलता है कि उपचार चाहिए है तो साथ में ऑक्सीजन सिलेंडर भी लेकर आए. जैसे-तैसे मरीज के परिजन ऑक्सीजन की जुगाड़ में लग जाता है.

कोविड शवों के आंकड़ों में फेर

जिला प्रशासन की चिकित्सा व्यवस्था को आंसू के साथ कोसने लगता है. जिला अस्पताल के कोविड वार्ड से लेकर शव गृह तक, जब लोगों से बातचीत तो यह सामने आया. नगर पालिका के आंकड़े के अनुसार नीमच में श्मशान घाट में हर दिन 10 से 22 शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है. जबकि अप्रैल महीने में करीब 195 मरीजों का कोविड गाइडलाइन के तहत दाह संस्कार किया है. जबकि प्रशासन के आंकडे तो अपैल अभी तक कुल मौत 72 ही बता रहें हैं. जिसके बाद शक की सुई प्रशासन की ओर इशारा कर रही है. हालांकि प्रशासन अब भी हालत में सुधार होने की बात कर रहा है. लेकिन सुधार के आसार बेहद कम ही नजर आ रहे हैं.

परिजनों के आंखों के सामने दम तोड़ कोविड मरीज

Vaccination: MP में तीसरे चरण का आगाज, 5 मिनट में हो गए 100 रजिस्ट्रेशन

आंखों के सामने मां ने तोड़ा दम

स्वास्थ्य सेवाओं के शिकार लक्ष्मीनारायण ने कहा कि कोरोना से ज्यादा तो चिकित्सीय व्यवस्था ने परेशान कर रखा है. यदि अस्पताल वाले इलाज नहीं कर सकते तो है साफ कह दे कि उपचार नहीं कर पाएंगे. उन्होंने बताया कि चार दिन पहले मां को जिला अस्पताल में भर्ती कराया था. वहां पर बताया गया था कि ऑक्सीजन का इंतेजाम आप खुद करें. बाजार में दौड़ कर जैसे-तैसे व्यवस्था कर सिलेंडर की व्यवस्था की. उसके बाद रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए डॉक्टर ने पर्ची बनाकर कहा कभी यहां जाओ, कभी वहां जाओ, इस प्रकार चक्कर कटाते रहे, लेकिन इंजेक्शन नहीं मिला और आखिर में ऑक्सीजन भी खत्म हो गया और मां ने मेरी आंखों के सामने दम तोड़ दिया.

ऑक्सीजन सिलेंडर की जुगाड़

टीम कोविड वार्ड पहुंची तो देखा कि एक व्यक्ति फोन पर वार्ड के बाहर परेशान हो रहा था. उससे बातचीत की तो उसने बताया कि वह उसके जीजा, कोरोना मरीज है और उनकी सांस उखड़ रही है. सुबह ही अस्पताल में भर्ती कराया है. लेकिन ऑक्सीजन सिलेंडर लाने के लिए चिकित्सक कह रहे हैं. उसी के चलते इधर-उधर कॉल कर जुगत में लगा है.

लंच पर चला गया स्टॉफ और फिर...

बबलू सुथार ने बताया कि कोरोना से उसके भाई शंभूलाल सुथार पीड़ित हैं, जिन्हें भर्ती कराया गया है. उनकी सांस उखड़ रही है. डॉक्टर के कहने पर वह निजी रूप से ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था कर लेकर आए हैं. लेकिन स्टॉफ लंच में चला गया और कोई सिलेंडर लगाने वाला नहीं है. इस दौरान दोपहर 2 बजकर सिविल सर्जन बीएल रावत को फोन लगाया तो उन्होंने भी फोन नहीं उठाया.

नीमच। एक साल पहले कोविड ने पैर पसारे और एक साल में भी नीमच जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था संभल नहीं पाई है. जिसका नतीजा यह है लोग कोविड से कम लेकिन स्वास्थ्य व्यवस्था से प्रभावित हो रहे हैं. नीमच जिला अस्पताल की व्यवस्था ही कुछ ऐसी है. उखड़ती सांस के साथ आ रहे कोविड मरीज के परिजनों से नर्सिंग स्टाफ बोलता है कि उपचार चाहिए है तो साथ में ऑक्सीजन सिलेंडर भी लेकर आए. जैसे-तैसे मरीज के परिजन ऑक्सीजन की जुगाड़ में लग जाता है.

कोविड शवों के आंकड़ों में फेर

जिला प्रशासन की चिकित्सा व्यवस्था को आंसू के साथ कोसने लगता है. जिला अस्पताल के कोविड वार्ड से लेकर शव गृह तक, जब लोगों से बातचीत तो यह सामने आया. नगर पालिका के आंकड़े के अनुसार नीमच में श्मशान घाट में हर दिन 10 से 22 शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है. जबकि अप्रैल महीने में करीब 195 मरीजों का कोविड गाइडलाइन के तहत दाह संस्कार किया है. जबकि प्रशासन के आंकडे तो अपैल अभी तक कुल मौत 72 ही बता रहें हैं. जिसके बाद शक की सुई प्रशासन की ओर इशारा कर रही है. हालांकि प्रशासन अब भी हालत में सुधार होने की बात कर रहा है. लेकिन सुधार के आसार बेहद कम ही नजर आ रहे हैं.

परिजनों के आंखों के सामने दम तोड़ कोविड मरीज

Vaccination: MP में तीसरे चरण का आगाज, 5 मिनट में हो गए 100 रजिस्ट्रेशन

आंखों के सामने मां ने तोड़ा दम

स्वास्थ्य सेवाओं के शिकार लक्ष्मीनारायण ने कहा कि कोरोना से ज्यादा तो चिकित्सीय व्यवस्था ने परेशान कर रखा है. यदि अस्पताल वाले इलाज नहीं कर सकते तो है साफ कह दे कि उपचार नहीं कर पाएंगे. उन्होंने बताया कि चार दिन पहले मां को जिला अस्पताल में भर्ती कराया था. वहां पर बताया गया था कि ऑक्सीजन का इंतेजाम आप खुद करें. बाजार में दौड़ कर जैसे-तैसे व्यवस्था कर सिलेंडर की व्यवस्था की. उसके बाद रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए डॉक्टर ने पर्ची बनाकर कहा कभी यहां जाओ, कभी वहां जाओ, इस प्रकार चक्कर कटाते रहे, लेकिन इंजेक्शन नहीं मिला और आखिर में ऑक्सीजन भी खत्म हो गया और मां ने मेरी आंखों के सामने दम तोड़ दिया.

ऑक्सीजन सिलेंडर की जुगाड़

टीम कोविड वार्ड पहुंची तो देखा कि एक व्यक्ति फोन पर वार्ड के बाहर परेशान हो रहा था. उससे बातचीत की तो उसने बताया कि वह उसके जीजा, कोरोना मरीज है और उनकी सांस उखड़ रही है. सुबह ही अस्पताल में भर्ती कराया है. लेकिन ऑक्सीजन सिलेंडर लाने के लिए चिकित्सक कह रहे हैं. उसी के चलते इधर-उधर कॉल कर जुगत में लगा है.

लंच पर चला गया स्टॉफ और फिर...

बबलू सुथार ने बताया कि कोरोना से उसके भाई शंभूलाल सुथार पीड़ित हैं, जिन्हें भर्ती कराया गया है. उनकी सांस उखड़ रही है. डॉक्टर के कहने पर वह निजी रूप से ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था कर लेकर आए हैं. लेकिन स्टॉफ लंच में चला गया और कोई सिलेंडर लगाने वाला नहीं है. इस दौरान दोपहर 2 बजकर सिविल सर्जन बीएल रावत को फोन लगाया तो उन्होंने भी फोन नहीं उठाया.

Last Updated : May 6, 2021, 8:24 AM IST
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