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उफनता नाला पार कर स्कूल जाने को मजबूर छात्र, प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान

नरसिंहपुर के गाडरवारा तहसील के पलेरा गांव में स्कूल जाने के एकमात्र रास्ते में कच्ची सड़क होने और बीच में आने वाले नाले में बाढ़ आ जाने के चलते बच्चे स्कूल नहीं पहुंच रहे हैं, वहीं इसके चलते गांव की छात्राएं पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर हैं.

पलेरा गांव में उफनता नाला पार कर स्कूल जाने को मजबूर छात्र
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Published : Sep 23, 2019, 3:33 PM IST

नरसिंहपुर। सरकार जहां शिक्षा को लेकर अनेक योजनाएं बना रही है. वहीं पलेरा गांव में महज एक नाले में आई बाढ़ की वजह से बच्चे स्कूल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. यहां हाल ऐसे हैं कि स्कूल की डगर पार करने से बेहतर बच्चे पढ़ाई छोड़ना समझते हैं. पलेरा गांव की बेटियों ने सिर्फ इस वजह से स्कूल जाना छोड़ दिया कि गांव से पांच किलोमीटर दूर बसुरिया गांव जाना पड़ता है. वहीं शासन- प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.


जिले के गाडरवारा तहसील के पलेरा गांव में केवल एक प्राथमिक स्कूल है, जिससे आगे की पढ़ाई के लिए बच्चों को पांच किलोमीटर दूर बसुरिया गांव जाना पड़ता है. वहीं इस स्कूल जाने की सड़क कच्ची है, जहां बीच में पड़ने वाला नाला उफान पर है. जिसके चलते बच्चे स्कूल नहीं पा रहे हैं. वहीं स्कूल प्रबंधन ने इनकी गैरहाजिरी के चलते नोटिस तक जारी कर दिया है.

पलेरा गांव में उफनता नाला पार कर स्कूल जाने को मजबूर छात्र


स्कूल के अलावा यहां से पास के बड़े कस्बे सालीचौका जाने के लिए भी इकलौता रास्ता है. इसी रास्ते की बदौलत यहां के ग्रामीण, बाजार और अस्पताल आसानी से पहुंच जाते हैं,गाड़ियां इसी रास्ते से आ जा सकते हैं, इसके अलावा यहां से तहसील गाडरवारा जाने का भी रास्ता है, पर उसके लिए करीब 15 से 20 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ती है, जो ग्रामीणों के लिए हर दिन कर पाना मुमकिन नहीं है. यही वजह है कि ग्रामीणों के लिए ये नाला मुसीबत बन गया है.


पहले भी लगा चुके हैं प्रशासन से गुहार
तीन साल पहले यहां की एक छात्रा ने कलेक्टर के सामने रोते हुए गांव के इस रास्ते पर ब्रिज बनाने की गुहार लगाई थी, जिसके बाद ये खबर सुर्खियों में रही. तत्कालीन बीजेपी सरकार की मंत्री अर्चना चिटनीस ने मामले में संज्ञान लेकर जल्द इस नाले पर पुल बनाने का आश्वासन दिया था, पर हालात आज भी वैसे ही है.

नरसिंहपुर। सरकार जहां शिक्षा को लेकर अनेक योजनाएं बना रही है. वहीं पलेरा गांव में महज एक नाले में आई बाढ़ की वजह से बच्चे स्कूल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. यहां हाल ऐसे हैं कि स्कूल की डगर पार करने से बेहतर बच्चे पढ़ाई छोड़ना समझते हैं. पलेरा गांव की बेटियों ने सिर्फ इस वजह से स्कूल जाना छोड़ दिया कि गांव से पांच किलोमीटर दूर बसुरिया गांव जाना पड़ता है. वहीं शासन- प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.


जिले के गाडरवारा तहसील के पलेरा गांव में केवल एक प्राथमिक स्कूल है, जिससे आगे की पढ़ाई के लिए बच्चों को पांच किलोमीटर दूर बसुरिया गांव जाना पड़ता है. वहीं इस स्कूल जाने की सड़क कच्ची है, जहां बीच में पड़ने वाला नाला उफान पर है. जिसके चलते बच्चे स्कूल नहीं पा रहे हैं. वहीं स्कूल प्रबंधन ने इनकी गैरहाजिरी के चलते नोटिस तक जारी कर दिया है.

पलेरा गांव में उफनता नाला पार कर स्कूल जाने को मजबूर छात्र


स्कूल के अलावा यहां से पास के बड़े कस्बे सालीचौका जाने के लिए भी इकलौता रास्ता है. इसी रास्ते की बदौलत यहां के ग्रामीण, बाजार और अस्पताल आसानी से पहुंच जाते हैं,गाड़ियां इसी रास्ते से आ जा सकते हैं, इसके अलावा यहां से तहसील गाडरवारा जाने का भी रास्ता है, पर उसके लिए करीब 15 से 20 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ती है, जो ग्रामीणों के लिए हर दिन कर पाना मुमकिन नहीं है. यही वजह है कि ग्रामीणों के लिए ये नाला मुसीबत बन गया है.


पहले भी लगा चुके हैं प्रशासन से गुहार
तीन साल पहले यहां की एक छात्रा ने कलेक्टर के सामने रोते हुए गांव के इस रास्ते पर ब्रिज बनाने की गुहार लगाई थी, जिसके बाद ये खबर सुर्खियों में रही. तत्कालीन बीजेपी सरकार की मंत्री अर्चना चिटनीस ने मामले में संज्ञान लेकर जल्द इस नाले पर पुल बनाने का आश्वासन दिया था, पर हालात आज भी वैसे ही है.

Intro:बहुत कठिन है डगर स्कूल की... जी हां महज एक नाले में बाढ़ की वजह से एक गांव के बच्चे कई दिनों से स्कूल न जाने को मजबूर है हद तो तब है जब यहां की बेटियां इस नाले में बाढ़ की वजह से स्कूल न पहुंचने के चलते पढ़ाई तक छोड़ रहीं हैं । देखिये नरसिंहपुर से हमारी ये खास खबर...Body:- बहुत कठिन है डगर स्कूल की... जी हां महज एक नाले में बाढ़ की वजह से एक गांव के बच्चे कई दिनों से स्कूल न जाने को मजबूर है हद तो तब है जब यहां की बेटियां इस नाले में बाढ़ की वजह से स्कूल न पहुंचने के चलते पढ़ाई तक छोड़ रहीं हैं । देखिये नरसिंहपुर से हमारी ये खास खबर...
- जिले के गाडरवारा तहसील के पलेरा गांव की बेटियों ने सिर्फ इस वजह से स्कूल जाना छोड़ दिया कि उनके स्कूल के रास्ते मे बना नाला बाढ़ के चलते उन्हें स्कूल जाने से रोक देता है । दरअसल पलेरा गांव में प्राथमिक शाला तो है पर आगे की पढ़ाई के लिए यहां के बच्चो को गांव से पांच किलोमीटर दूर बसुरिया गांव जाना पड़ता है पर एक तो कच्ची सड़क उस पर रास्ते में पड़ने वाला ये नाला उनकी पढ़ाई में बाधा बना हुआ है । हालात ये हैं कि थोड़ी सी ही बारिश से नाले में बाढ़ आ जाती है... पिछले दिनों जिले में हुई मूसलाधार बारिश के चलते बोर्ड परीक्षाओं में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं स्कूल तक नही पहुंच पा रहे... हालात ये है कि स्कूल प्रबंधन ने इनकी गैरहाजिरी के चलते नोटिस तक जारी कर दिया है ।
बाईट 01- शिवा कौरव,छात्रा,बारहवीं
- तीन साल पहले यहां की एक छात्रा ने कलेक्टर के सामने रोते हुए गांव के इस रास्ते पर ब्रिज बनाने की गुहार लगाई थी जिसके बाद ये खबर मीडिया की सुर्खियों में रही । तत्कालीन भाजपा सरकार की मंत्री अर्चना चिटनीस ने मामले में संज्ञान लेकर जल्द इस नाले पर पुल बनाने का आश्वासन दिया था पर हालात आज भी ढाक के तीन पात.. छात्राएं पढ़ने का मन रखतीं हैं पर हालात उन्हें पढाई छोड़ने मजबूर कर रहे हैं ।
बाईट 02 - शिखा कौरव,पढाई छोड़ने वाली छात्रा
- स्कूल के अलावा यहाँ से पास के बड़े कस्बे सालीचौका जाने के लिए भी यही इकलौता रास्ता है... इसी रास्ते की बदौलत यहां के ग्रामीण,बाजार और अस्पताल आसानी से पहुंच जाते हैं और एम्बुलेंस और अन्य गाड़ियां इसी रास्ते से आ जा सकते हैं । इसके अलावा यहां से तहसील गाडरवारा जाने का भी रास्ता है पर उसके लिए करीब 15 से 20 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ती है जो ग्रामीणों के लिए हर दिन कर पाना मुमकिन नही । यही वजह है कि ग्रामीणों के लिए ये पुलिया बड़ी मुसीबत बनी हुई है ।
बाईट 03 - रमेश कुमार,ग्रामीण,पलेरा
- अब गाडरवारा एस डी एम इस मामले को सुलझाने का आश्वासन दे रहे हैं ।
बाईट 04 - राजेश शाह,एसडीएम,गाडरवारा
- हम चांद पर जाने की बात करते हैं और मंगल पर घर बसाने जा रहे हैं पर जब हमारे देश के भविष्य ही पढ़ाई को मोहताज हों और गांव ऐसे पिछडे हों तो फिर कैसे विकास की इमारत खड़ी की जा सकती है । पिछले सरकार का आश्वासन आज तक पूरा नही हो सका तो अब नई सरकार से गांव वालों को उम्मीद है कि जल्द उनके गांव के विकास के लिए कोई ठोस कदम उठाएगी ।Conclusion:हम चांद पर जाने की बात करते हैं और मंगल पर घर बसाने जा रहे हैं पर जब हमारे देश के भविष्य ही पढ़ाई को मोहताज हों और गांव ऐसे पिछडे हों तो फिर कैसे विकास की इमारत खड़ी की जा सकती है । पिछले सरकार का आश्वासन आज तक पूरा नही हो सका तो अब नई सरकार से गांव वालों को उम्मीद है कि जल्द उनके गांव के विकास के लिए कोई ठोस कदम उठाएगी ।
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