नरसिंहपुर। सरकार जहां शिक्षा को लेकर अनेक योजनाएं बना रही है. वहीं पलेरा गांव में महज एक नाले में आई बाढ़ की वजह से बच्चे स्कूल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. यहां हाल ऐसे हैं कि स्कूल की डगर पार करने से बेहतर बच्चे पढ़ाई छोड़ना समझते हैं. पलेरा गांव की बेटियों ने सिर्फ इस वजह से स्कूल जाना छोड़ दिया कि गांव से पांच किलोमीटर दूर बसुरिया गांव जाना पड़ता है. वहीं शासन- प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.
जिले के गाडरवारा तहसील के पलेरा गांव में केवल एक प्राथमिक स्कूल है, जिससे आगे की पढ़ाई के लिए बच्चों को पांच किलोमीटर दूर बसुरिया गांव जाना पड़ता है. वहीं इस स्कूल जाने की सड़क कच्ची है, जहां बीच में पड़ने वाला नाला उफान पर है. जिसके चलते बच्चे स्कूल नहीं पा रहे हैं. वहीं स्कूल प्रबंधन ने इनकी गैरहाजिरी के चलते नोटिस तक जारी कर दिया है.
स्कूल के अलावा यहां से पास के बड़े कस्बे सालीचौका जाने के लिए भी इकलौता रास्ता है. इसी रास्ते की बदौलत यहां के ग्रामीण, बाजार और अस्पताल आसानी से पहुंच जाते हैं,गाड़ियां इसी रास्ते से आ जा सकते हैं, इसके अलावा यहां से तहसील गाडरवारा जाने का भी रास्ता है, पर उसके लिए करीब 15 से 20 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ती है, जो ग्रामीणों के लिए हर दिन कर पाना मुमकिन नहीं है. यही वजह है कि ग्रामीणों के लिए ये नाला मुसीबत बन गया है.
पहले भी लगा चुके हैं प्रशासन से गुहार
तीन साल पहले यहां की एक छात्रा ने कलेक्टर के सामने रोते हुए गांव के इस रास्ते पर ब्रिज बनाने की गुहार लगाई थी, जिसके बाद ये खबर सुर्खियों में रही. तत्कालीन बीजेपी सरकार की मंत्री अर्चना चिटनीस ने मामले में संज्ञान लेकर जल्द इस नाले पर पुल बनाने का आश्वासन दिया था, पर हालात आज भी वैसे ही है.