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खुले में शौच जाने को मजबूर हैं गोटेगांव के लोग, प्रदेश का पहला ओडीएफ जिला है नरसिंहपुर - पोस्टरों पर शौचालयों का निर्माण

मध्यप्रदेश का पहला ओडीएफ जिला नरसिंहपुर जहां सिर्फ कागजों और पोस्टरों पर शौचालयों का निर्माण हुआ है, लोग अब भी खुले में शौंच करने को मजबूर हैं.

खुले में शौच को मजबूर
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Published : Oct 11, 2019, 11:23 AM IST

Updated : Oct 11, 2019, 12:19 PM IST

नरसिंहपुर। जिले के लिए वह दिन किसी ऐतिहासिक दिन से कम नहीं था जब नरसिंहपुर मध्यप्रदेश का पहला ओडीएफ जिला बना और खुद प्रदेश के मुखिया ने मंच से इसकी घोषणा थी. 9 मार्च 2017 को जिले को पहला ओडीएफ तो घोषित कर दिया गया लेकिन अभी भी यहां के रहवासी खुले में शौच को जाने को मजबूर है.

खुले में शौच को मजबूर

क्या कागजों में भी शौचालय बनाए जा सकते हैं क्या बैनर पोस्टरों से ओडीएफ घोषित किया जा सकता है. सुनने में आपको अटपटा जरूर लगेगा लेकिन यह सच है ऐसा ही कुछ नरसिंहपुर में देखने को मिलता है जहां की गोटेगांव नगर परिषद में अनेकों परिवार आज भी खुले में शौच को जाने को बेबस हैं.

गोटेगांव में आज भी कई घरों में शौचालय या नहीं बने या फिर सिर्फ सैनेटरी सीट डालकर खानापूर्ति कर उन्हें सूचीबद्ध कर दिया गया है. लोगों ने परिषद में शिकायतें भी की पर राशि जमा कर उन्हें पर्चियां भी थमा दी गई और फिर कागजों में ओडीएफ घोषित कर दिया गया. यहां के रहवासी बताते हैं कि जब भी सीओ में दफ्तर में गए तो वह गोलमोल जवाब देकर टाल देते हैं.

नरसिंहपुर। जिले के लिए वह दिन किसी ऐतिहासिक दिन से कम नहीं था जब नरसिंहपुर मध्यप्रदेश का पहला ओडीएफ जिला बना और खुद प्रदेश के मुखिया ने मंच से इसकी घोषणा थी. 9 मार्च 2017 को जिले को पहला ओडीएफ तो घोषित कर दिया गया लेकिन अभी भी यहां के रहवासी खुले में शौच को जाने को मजबूर है.

खुले में शौच को मजबूर

क्या कागजों में भी शौचालय बनाए जा सकते हैं क्या बैनर पोस्टरों से ओडीएफ घोषित किया जा सकता है. सुनने में आपको अटपटा जरूर लगेगा लेकिन यह सच है ऐसा ही कुछ नरसिंहपुर में देखने को मिलता है जहां की गोटेगांव नगर परिषद में अनेकों परिवार आज भी खुले में शौच को जाने को बेबस हैं.

गोटेगांव में आज भी कई घरों में शौचालय या नहीं बने या फिर सिर्फ सैनेटरी सीट डालकर खानापूर्ति कर उन्हें सूचीबद्ध कर दिया गया है. लोगों ने परिषद में शिकायतें भी की पर राशि जमा कर उन्हें पर्चियां भी थमा दी गई और फिर कागजों में ओडीएफ घोषित कर दिया गया. यहां के रहवासी बताते हैं कि जब भी सीओ में दफ्तर में गए तो वह गोलमोल जवाब देकर टाल देते हैं.

Intro:9 मार्च 2017 का दिन नरसिंहपुर के लिए किसी ऐतिहासिक दिन से कम नही था जब मध्यप्रदेश का नरसिंहपुर पहला ओडीएफ जिला बना और खुद प्रदेश के मुखिया ने मंच से इसकी घोषणा की लेकिन इसकी हकीकत क्या है आइए हम आपको बताते हैं क्या वाकई बैनर पोस्टर और कागजों में ही नरसिंहपुर ओडीएफ घोषित हुआ है देखिए यह रिपोर्ट.....Body: - 9 मार्च 2017 का दिन नरसिंहपुर के लिए किसी ऐतिहासिक दिन से कम नही था जब मध्यप्रदेश का नरसिंहपुर पहला ओडीएफ जिला बना और खुद प्रदेश के मुखिया ने मंच से इसकी घोषणा की लेकिन इसकी हकीकत क्या है आइए हम आपको बताते हैं क्या वाकई बैनर पोस्टर और कागजों में ही नरसिंहपुर ओडीएफ घोषित हुआ है देखिए यह रिपोर्ट.....


- क्या कागजों में भी शौचालय बनाए जा सकते हैं क्या बैनर पोस्टरों से ओडीएफ घोषित किया जा सकता है सुनने में आपको अटपटा जरूर लगेगा लेकिन यह सच है ऐसा ही कुछ नरसिंहपुर में देखने को मिलता है जहां की गोटेगांव तहसील कि नगर परिषद में अनेकों परिवार आज भी खुले में शौच को जाने में मजबूर बेबस हैं एक और सरकार देशभर में स्वच्छता अभियान छेड़े हुए ही है ताकि रोगों को भगाया जा सके लेकिन गोटेगांव नगर परिषद में आज भी कई घरों में शौचालय या तो बने ही नहीं है और कुछ घरों में बनी हुई है तो सिर्फ सैनेटरी सीट डालकर प्रशासन ने खानापूर्ति कर उन्हें सूची में डालकर ओडीएफ घोषित करा दिया जिसका खामियाजा अब यहां के लोगों को उठाना पड़ रहा है वहीं कुछ परिवार अब भी शौचालय विहीन है और मजबूरन उन्हें खुले में शौच को जाना पड़ता है


बाइट 01 - मोहन भाई- रहवासी





- ओडीएफ होने के बाद भी शौचालय ना बनने पर ऐसा नहीं है कि रहवासियों ने नगर परिषद में जाकर शिकायतें ना की हो यहां तक की राशि जमा कर उन्हें उन्हें पर्चियां भी थमा दी गई और फिर कागजों में ओडीएफ घोषित कर दिया गया यहां की रहवासी बताती हैं कि जब भी सीओ में दफ्तर में जाते हैं तो वह गोलमोल जवाब देकर टाल देते हैं वहां सुनने वाला कोई नहीं है


बाइट 02 - मुन्नीबाई - रहवासी

वाइट 03 पुष्पा बाई- रहवासी









तो देखा आपने किस तरह है शासन में बैठे नुमाइंदे ही सरकारों को चूना लगा रहे है कुछ समय बाद नगर निकायों के चुनाव भी होने वाले है ऐसे हाल में इसका खामियाजा सरकारों को उठाना पड़े तो यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी .......................


 Conclusion:ओडीएफ होने के बाद भी शौचालय ना बनने पर ऐसा नहीं है कि रहवासियों ने नगर परिषद में जाकर शिकायतें ना की हो यहां तक की राशि जमा कर उन्हें उन्हें पर्चियां भी थमा दी गई और फिर कागजों में ओडीएफ घोषित कर दिया गया यहां की रहवासी बताती हैं कि जब भी सीओ में दफ्तर में जाते हैं तो वह गोलमोल जवाब देकर टाल देते हैं वहां सुनने वाला कोई नहीं है
Last Updated : Oct 11, 2019, 12:19 PM IST
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