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MP: सदानीरा शक्कर नदी की अटकी सांस, पानी नहीं मिलने से मुश्किल में किसान

नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा से होकर बहने वाली शक्कर नदी के सूखने से तरबूजे-खरबूजे और ककड़ी की खेती कर अपने परिवार का पालन पोषण करने वाले छोटे किसानों के सामने संकट के बादल मड़राने लगे हैं.

पानी नहीं मिलने से मुश्किल में किसान
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Published : Jun 5, 2019, 6:51 PM IST

नरसिंहपुर| गाडरवारा की शक्कर नदी सदानीरा के नाम से जानी जाती थी, लेकिन आजकल शक्कर नदी की सांस भी अटकी हुई है. दूर-दूर तक पानी नजर नहीं आता है. आसपास लगे पेड़ भी सूखने की कगार पर हैं और नदी के सूखने से तरबूजे-खरबूजे और ककड़ी की खेती करने वाले छोटे किसानों के सामने भी रोजी-रोटी का संकट मंडराने लगा है.

पानी नहीं मिलने से मुश्किल में किसान

कई सालों से शक्कर नदी में गर्मी के दिनों में पानी की एक बूंद भी देखने को नहीं मिल रही है. जिससे किसान गड्ढा खोदकर पानी निकालते हैं और इसी पानी से सिंचाई करते हैं. किसानों का कहना है कि पहले के समय में काफी लोग इस खेती से जुड़े हुए थे, वर्तमान में 1-2 परिवार ही मजबूरी में इस जोखिम को उठा रहे हैं, जोकि दयनीय है.

नदी में जल नहीं होने से आसपास के जल स्तर में भी काफी गिरावट आई है. साथ ही आस पास गंदगी का अंबार लगा हुआ है.

नरसिंहपुर| गाडरवारा की शक्कर नदी सदानीरा के नाम से जानी जाती थी, लेकिन आजकल शक्कर नदी की सांस भी अटकी हुई है. दूर-दूर तक पानी नजर नहीं आता है. आसपास लगे पेड़ भी सूखने की कगार पर हैं और नदी के सूखने से तरबूजे-खरबूजे और ककड़ी की खेती करने वाले छोटे किसानों के सामने भी रोजी-रोटी का संकट मंडराने लगा है.

पानी नहीं मिलने से मुश्किल में किसान

कई सालों से शक्कर नदी में गर्मी के दिनों में पानी की एक बूंद भी देखने को नहीं मिल रही है. जिससे किसान गड्ढा खोदकर पानी निकालते हैं और इसी पानी से सिंचाई करते हैं. किसानों का कहना है कि पहले के समय में काफी लोग इस खेती से जुड़े हुए थे, वर्तमान में 1-2 परिवार ही मजबूरी में इस जोखिम को उठा रहे हैं, जोकि दयनीय है.

नदी में जल नहीं होने से आसपास के जल स्तर में भी काफी गिरावट आई है. साथ ही आस पास गंदगी का अंबार लगा हुआ है.

Intro:जिला नरसिंहपुर

गाडरवारा में शक्कर नदी सदा जलधार बहने के लिए पहचानी जाने वाली नदी हुआ करती थी लेकिन आज उस नदी में जल दूर -दूर तक देखने को नही मिलता आसपास लगे पेड़ भी सूखने की कगार पर है जो कि पर्यावरण को क्षति के रूप में देखी जा सकती है गन्दगी का अंबार नदी में देखा जा रहा है
वही नदी के जल से तरबूज -खरबूज व ककड़ी की खेती कर अपने परिवार का पालन पोषण करने वाले इन छोटे से किसानों के परिवार पर संकट के बादल उमड़ने लगे है Body:नदियों के अस्तित्व पर संकट जल इनके लिये एक याद बनकर रह गया तरबूज ककड़ी की खेती करने वाले परिवार पर भरण पोषण का संकट

एंकर जिले की गाडरवारा में शक्कर नदी सदा जलधार बहने के लिए पहचानी जाने वाली नदी हुआ करती थी लेकिन आज उस नदी में जल दूर -दूर तक देखने को नही मिलता आसपास लगे पेड़ भी सूखने की कगार पर है जो कि पर्यावरण को क्षति के रूप में देखी जा सकती है गन्दगी का अंबार नदी में देखा जा रहा है
वही नदी के जल से तरबूज -खरबूज व ककड़ी की खेती कर अपने परिवार का पालन पोषण करने वाले इन छोटे से किसानों के परिवार पर संकट के बादल उमड़ने लगे है लगातार कई वर्षों से नदी में गर्मी के दिनों में पानी की बून्द भी देखने को नही मिल रही जिससे किसान गड्ढे खोदकर पानी निकाल सिचाईं करने के लिए मजबूर है किसानों से बात करके जाना कि पहले के समय मे काफी लोग इस खेती से जुड़े हुए थे परंतु वर्तमान में 1 -2 परिवार ही मजबूरी में इस जोखिम को उठा रहे है जो कि दयनीय है
नदी में जल न होने से आसपास के जल के स्तर पर भी काफी गिरावट आई है
जल ही जीवन है यह चरितार्थ होते हुए इन किसानों पर दिखता है कैसे यह अपने जीवन के निर्वाह के लिए कठिन प्रयास कर तरबूज ककड़ी की फ़सल लगाते है उम्मीद करते है कि फ़सल अच्छी हो पर उनकी उम्मीद पर पानी फिरता नज़र आरहा है

वाइट 1 इन्दर कहार
Conclusion:नदी में जल न होने से आसपास के जल के स्तर पर भी काफी गिरावट आई है
जल ही जीवन है यह चरितार्थ होते हुए इन किसानों पर दिखता है कैसे यह अपने जीवन के निर्वाह के लिए कठिन प्रयास कर तरबूज ककड़ी की फ़सल लगाते है उम्मीद करते है कि फ़सल अच्छी हो पर उनकी उम्मीद पर पानी फिरता नज़र आरहा है
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