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MSP को कानून बनाए केंद्र सरकार- केएन गोविंदाचार्य

अंतरराष्ट्रीय विचारक एवं राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के आयोजक नर्मदा दर्शन और आध्यात्मिक प्रवास पर नरसिंहपुर पहुंचे. इस दौरान प्रेसवार्ता में उन्होंने कृषि कानून पर केंद्र सरकार को सलाह दी.

Narsinghpur
केएन गोविंदाचार्य की प्रेसवार्ता
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Published : Feb 24, 2021, 8:27 AM IST

Updated : Feb 24, 2021, 9:38 AM IST

नरसिंहपुर। अंतरराष्ट्रीय विचारक एवं राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के आयोजक प्रख्यात चिंतक केएन गोविंदाचार्य नर्मदा दर्शन और आध्यात्मिक प्रवास पर नरसिंहपुर पहुंचे. उन्होंने नरसिंहपुर में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि 'अपने साथियों के साथ नर्मदा दर्शन यात्रा पर निकला हूं जो 20 फरवरी से 17 मार्च तक जारी रहेगी. ये यात्रा आध्यात्मिक और धार्मिक तौर पर है.'

कृषि कानून पर गोविंदाचार्य की सलाह

कृषि कानून पर गोविंदाचार्य की सलाह

साथ ही गोविंदाचार्य ने तीन कृषि कानून पर लेकर उपजे विवाद को लेकर केंद्र सरकार को नसीहत या यूं कहें की सलाह देते हुए कहा कि 'सबसे पहले केंद्र सरकार कृषि कानून में एमएसपी पर सिर्फ आश्वासन दे रही है बल्कि उन्हें एक कदम आगे बढ़कर इसे कानून बनाना चाहिए, ताकि किसानों को भरोसा हो सके. वहीं विवाद की स्थिति में जिला स्तर पर एडीएम को सर्वे सर्वा बनाया गया है इस पर संशोधन करते हुए 11 सदस्य कमेटी बनाना चाहिए, जिसमें किसान भी शामिल रहे और उन्हें हाई कोर्ट में अपील करने का भी अधिकार मिलना चाहिए. गेहूं चावल को एसेंशियल बोर्ड से हटाया ना जाए बल्कि उन्हें यथावत रखा जाए जिससे किसानों में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ेगा और संवाद के लिए नए दरवाजे खुलेंगे. यदि सरकार इन पहलुओं पर गौर करती है तो मेरा ऐसा मानना है कि जल्द ही इस राष्ट्रव्यापी समस्या से निदान पाया जा सकता है.'

स्वदेशी विकास की आवश्यकता

उन्होंने कहा कि यात्रा का स्वरूप है कि लोगों से बातचीत करना और नर्मदा दर्शन करना. उन्होंने बता कि 'सन 60 से स्वयंसेवक संघ से जुड़ा सन 2000 को 2 वर्ष की छुट्टी ली अध्ययन के लिए. अध्ययन के दौरान पाया कि ग्रामीण गरीबी नहीं घटी, अपराध, बेरोजगारी, कमजोर वर्ग का नुकसान रहा, महिला सम्मान में कमी आई. सबको भोजन सबको काम के लिए व्यवस्था जरूरी है, स्वदेशी विकास भी आवश्यक है. कौटिल्य शोध संस्थान से जुड़ा, बाद में राष्ट्रीय स्वाभिमान का गठन साथियों से मिलकर किया.

...तो नर्मदा देगी करोड़ों अरबों !

उन्होंने कहा की 'आज देश को जल, जंगल, जमीन और पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए प्रकृति के प्रति हर व्यक्ति को समर्पित होने की जरूरत है. तभी हम आने वाले कल को सुरक्षित कर पाएंगे. मैं नर्मदा दर्शन यात्रा कर रहा हूं, नर्मदा के स्मरण दर्शन से ही मुक्ति है, इस यात्रा का स्वरूप सामूहिक है. गौ सेवा संस्थान सहित अन्य कई लोग इससे जुड़े हैं. कई मंचों को जोड़कर राष्ट्रीय स्वाभिमान मंच बना है, कुल मिलाकर सभी के सहयोग से यह नर्मदा यात्रा अध्ययन प्रवास जारी है. यात्रा के दौरान बीच-बीच में लोग शामिल हो रहे हैं.'

नरसिंहपुर। अंतरराष्ट्रीय विचारक एवं राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के आयोजक प्रख्यात चिंतक केएन गोविंदाचार्य नर्मदा दर्शन और आध्यात्मिक प्रवास पर नरसिंहपुर पहुंचे. उन्होंने नरसिंहपुर में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि 'अपने साथियों के साथ नर्मदा दर्शन यात्रा पर निकला हूं जो 20 फरवरी से 17 मार्च तक जारी रहेगी. ये यात्रा आध्यात्मिक और धार्मिक तौर पर है.'

कृषि कानून पर गोविंदाचार्य की सलाह

कृषि कानून पर गोविंदाचार्य की सलाह

साथ ही गोविंदाचार्य ने तीन कृषि कानून पर लेकर उपजे विवाद को लेकर केंद्र सरकार को नसीहत या यूं कहें की सलाह देते हुए कहा कि 'सबसे पहले केंद्र सरकार कृषि कानून में एमएसपी पर सिर्फ आश्वासन दे रही है बल्कि उन्हें एक कदम आगे बढ़कर इसे कानून बनाना चाहिए, ताकि किसानों को भरोसा हो सके. वहीं विवाद की स्थिति में जिला स्तर पर एडीएम को सर्वे सर्वा बनाया गया है इस पर संशोधन करते हुए 11 सदस्य कमेटी बनाना चाहिए, जिसमें किसान भी शामिल रहे और उन्हें हाई कोर्ट में अपील करने का भी अधिकार मिलना चाहिए. गेहूं चावल को एसेंशियल बोर्ड से हटाया ना जाए बल्कि उन्हें यथावत रखा जाए जिससे किसानों में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ेगा और संवाद के लिए नए दरवाजे खुलेंगे. यदि सरकार इन पहलुओं पर गौर करती है तो मेरा ऐसा मानना है कि जल्द ही इस राष्ट्रव्यापी समस्या से निदान पाया जा सकता है.'

स्वदेशी विकास की आवश्यकता

उन्होंने कहा कि यात्रा का स्वरूप है कि लोगों से बातचीत करना और नर्मदा दर्शन करना. उन्होंने बता कि 'सन 60 से स्वयंसेवक संघ से जुड़ा सन 2000 को 2 वर्ष की छुट्टी ली अध्ययन के लिए. अध्ययन के दौरान पाया कि ग्रामीण गरीबी नहीं घटी, अपराध, बेरोजगारी, कमजोर वर्ग का नुकसान रहा, महिला सम्मान में कमी आई. सबको भोजन सबको काम के लिए व्यवस्था जरूरी है, स्वदेशी विकास भी आवश्यक है. कौटिल्य शोध संस्थान से जुड़ा, बाद में राष्ट्रीय स्वाभिमान का गठन साथियों से मिलकर किया.

...तो नर्मदा देगी करोड़ों अरबों !

उन्होंने कहा की 'आज देश को जल, जंगल, जमीन और पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए प्रकृति के प्रति हर व्यक्ति को समर्पित होने की जरूरत है. तभी हम आने वाले कल को सुरक्षित कर पाएंगे. मैं नर्मदा दर्शन यात्रा कर रहा हूं, नर्मदा के स्मरण दर्शन से ही मुक्ति है, इस यात्रा का स्वरूप सामूहिक है. गौ सेवा संस्थान सहित अन्य कई लोग इससे जुड़े हैं. कई मंचों को जोड़कर राष्ट्रीय स्वाभिमान मंच बना है, कुल मिलाकर सभी के सहयोग से यह नर्मदा यात्रा अध्ययन प्रवास जारी है. यात्रा के दौरान बीच-बीच में लोग शामिल हो रहे हैं.'

Last Updated : Feb 24, 2021, 9:38 AM IST
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