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बस संचालक ले रहे मनमाना किराया, यात्री परेशान

नरसिंहपुर जिले से संचालित होने वाली बस सेवा पर प्रशासन का नियंत्रण खत्म हो गया है. यहां नियमों को पूरी तरह अनदेखा किया जा रहा है. प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा भी अब तक बस संचालकों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है.

Bus passengers are facing many problems.
बस यात्रियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
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Published : Mar 4, 2021, 10:55 PM IST

नरसिंहपुर। जिले से संचालित हो रही बसों में शासन के आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है. एक तरफ जहां सड़कों पर सिंगल डोर बसें दौड़ लगा रही हैं. वहीं दूसरी ओर बसों में किराया भी ज्यादा वसूला जा रहा है. अधिक किराया लेने पर जब यात्री विरोध करते हैं तो उन्हें रास्ते में ही उतार दिया जाता है. इस तरह के मामले कई बार सामने आने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा नियमों की अनदेखी करने वाले बस संचालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

यात्रियों को नहीं मिलती बसों की जानकारी

परिवहन विभाग की अनदेखी और लापरवाही के चलते ही यात्री बसों में जमकर मोटर व्हीकल एक्ट की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. सबसे बड़ी मुसीबत तो यह है कि यात्रियों को दी जाने वाली टिकट में न तो यात्री बस का नाम होता है और न ही बस का नंबर और दूरी का जिक्र. ऐसी हालत में सबसे ज्यादा मुसीबत उन लोगों को होती है जो किसी कारण से हादसे का शिकार हो जाते हैं, उन्हें न्यायालय में यह सिद्ध करना मुश्किल हो जाता है कि वे दुर्घटनाग्रस्त हुई बस में सफर कर रहे थे. नागरिकों ने प्रशासन से टिकट पर्ची पर यात्री बसों का नाम दर्ज करवाने की मांग की है.

नरसिंहपुर। जिले से संचालित हो रही बसों में शासन के आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है. एक तरफ जहां सड़कों पर सिंगल डोर बसें दौड़ लगा रही हैं. वहीं दूसरी ओर बसों में किराया भी ज्यादा वसूला जा रहा है. अधिक किराया लेने पर जब यात्री विरोध करते हैं तो उन्हें रास्ते में ही उतार दिया जाता है. इस तरह के मामले कई बार सामने आने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा नियमों की अनदेखी करने वाले बस संचालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

यात्रियों को नहीं मिलती बसों की जानकारी

परिवहन विभाग की अनदेखी और लापरवाही के चलते ही यात्री बसों में जमकर मोटर व्हीकल एक्ट की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. सबसे बड़ी मुसीबत तो यह है कि यात्रियों को दी जाने वाली टिकट में न तो यात्री बस का नाम होता है और न ही बस का नंबर और दूरी का जिक्र. ऐसी हालत में सबसे ज्यादा मुसीबत उन लोगों को होती है जो किसी कारण से हादसे का शिकार हो जाते हैं, उन्हें न्यायालय में यह सिद्ध करना मुश्किल हो जाता है कि वे दुर्घटनाग्रस्त हुई बस में सफर कर रहे थे. नागरिकों ने प्रशासन से टिकट पर्ची पर यात्री बसों का नाम दर्ज करवाने की मांग की है.

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