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नरसिंहपुर: 71 साल की उम्र में युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बने प्रकाश पेठिया

नरसिंहपुर में रहने वाले 71 साल के प्रकाश पेठिया नौजवानों के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं. इन्हें इनके पड़ोसी रबरमैन के नाम से बुलाते हैं.

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Published : Jun 21, 2019, 3:46 PM IST

नरसिंहपुर। जिस उम्र ज्यादातर लोग आराम करना पंसद करते हैं, वहीं उम्र के इस पड़ाव में भी 71 साल के प्रकाश पेठिया नौजवानों के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं. नरसिंहपुर जिले की करेली तहसील में रहने वाले प्रकाश पेठिया, जिन्हें उनके पड़ोसी रबरमैन के नाम से बुलाते हैं, सुबह होते ही शहर की सड़कों पर साइकिलिंग के लिए निकल जाते हैं. खास बात ये है कि वे साइकिल चलाते हुए ही कई व्यायाम भी कर लेते हैं.

प्रेरणास्रोत बने 70 साल के प्रकाश पेठिया

प्रकाश पेठिया बताते हैं कि 70 साल की उम्र और दिल की धड़कन रोक देने वाला अंदाज़ उन्हें काफी पंसद है. वे सड़कों पर दोनों हाथ छोड़ साइकिल चलते हैं, तब उनमें गजब का संतुलन दिखाई पड़ता है. वे साइकल पर करबत नहीं करते हैं, बल्कि साइकिलिंग से अपने शरीर का संतुलन और योग का अदभुत नज़ारा पेश करते हैं.

उनकी यही जिन्दादिली है, जिसकी वजह से ये कभी अपने को उम्रदराज नहीं मानते. पेठिया का साफ कहना है कि मस्ती में जीने का अपना अलग ही मजा है.

नरसिंहपुर। जिस उम्र ज्यादातर लोग आराम करना पंसद करते हैं, वहीं उम्र के इस पड़ाव में भी 71 साल के प्रकाश पेठिया नौजवानों के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं. नरसिंहपुर जिले की करेली तहसील में रहने वाले प्रकाश पेठिया, जिन्हें उनके पड़ोसी रबरमैन के नाम से बुलाते हैं, सुबह होते ही शहर की सड़कों पर साइकिलिंग के लिए निकल जाते हैं. खास बात ये है कि वे साइकिल चलाते हुए ही कई व्यायाम भी कर लेते हैं.

प्रेरणास्रोत बने 70 साल के प्रकाश पेठिया

प्रकाश पेठिया बताते हैं कि 70 साल की उम्र और दिल की धड़कन रोक देने वाला अंदाज़ उन्हें काफी पंसद है. वे सड़कों पर दोनों हाथ छोड़ साइकिल चलते हैं, तब उनमें गजब का संतुलन दिखाई पड़ता है. वे साइकल पर करबत नहीं करते हैं, बल्कि साइकिलिंग से अपने शरीर का संतुलन और योग का अदभुत नज़ारा पेश करते हैं.

उनकी यही जिन्दादिली है, जिसकी वजह से ये कभी अपने को उम्रदराज नहीं मानते. पेठिया का साफ कहना है कि मस्ती में जीने का अपना अलग ही मजा है.

Intro:जिस उम्र की ढलान पर लोग आराम करते हैं या स्वास्थ्य लाभ लेते हों उस दौर में भी जब एक 71 साल का शख्स ऐसे करतब करे .... योग दिवस के मौके पार् आइये आखिर हम भी मिलते हैं ऐसी शक्सियत से नरसिंहपुर से हमारी इस ख़ास खबर में.....Body:जिस उम्र की ढलान पर लोग आराम करते हैं या स्वास्थ्य लाभ लेते हों उस दौर में भी जब एक 71 साल का शख्स ऐसे करतब करे .... योग दिवस के मौके पार् आइये आखिर हम भी मिलते हैं ऐसी शक्सियत से नरसिंहपुर से हमारी इस ख़ास खबर में.....

वी ओ 01 - ... वाकई सत्तर साल का ये नोजवान उम्र के आगे हरने को तैयार नहीं है। ....ये उम्र की परेशानियों को सीधी चुनोती दे रहा है।.....हम बात कर रहे हैं नरसिंहपुर जिले की करेली तहसील के इस शख्स प्रकाश पेठिया की... जिन्हें कोई रबरमेन कहता तो कोई योगी..... सुबह होते ही शहर की सड़कों पर इनके साइक्लिंग के कुछ नज़ारे हर किसी को अचरज में डाल देते हैं... ।जिस तरह साइकिल से हाथ छोड़कर ये साइकिल पर व्यायाम करते हैं वह किसी अजूबे से कम नही.... जो पहचानते हैं वे इन्हें झुककर सलाम करते और जो नहीं जानते वे इन्हें जानने की जिज्ञासा करते.... शहरवासी उन दिनों को भी याद करते हैं जब शहर की सडकें गड्डों से भरी हुयीं हुआ करतीं थीं पर उन सड़कों पर भी पेठिया का यही अंदाज़ लोगों का दिल जीत लिया करता था | ख़ुद योगाचार्य भी उनकी इस जीवन जीने की कला के मुरीद हे।


बाईट 01– हरिओम मामार

वी ओ 02 - सत्तर साल की उम्र और दिल की धड़कन रोक देने वाले अंदाज़ ......सड़कों पर दोनों हाथ छोड़ साईकिल चलते प्रकाश पेठिया अपने ही अंदाज में लोगो को योग का पाठ पड़ा रहे हे। वे कोई करतब नहीं बताते बल्कि साईकल चलाने के दौरान शारीरिक संतुलन और योग का अदभुत नज़ारा पेश करते हैं। साइकिल पर उनकी दिलकश व मस्ताना अंदाज लोगो को प्रेरणा देती है।यही जिन्दादिली है जिसकी वजह से ये कभी अपने को उम्रदराज ही नहीं मानते... साइक्लिंग के दौरान लोगों के तरह तरह के ताने इन्हें सुनने भी मिलते लेकिन इनसे इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता... इनका साफ़ कहना है कि मस्ती में जीने का अपना ही मज़ा है.... सत्तर की उम्र रबरमैंन पेठिया का हौसला बाकई काबिले तारीफ है...

बाईट 02– प्रकाश पेठिया,रबरमैन

Conclusion:साइकिल पर उनकी दिलकश व मस्ताना अंदाज लोगो को प्रेरणा देती है।यही जिन्दादिली है जिसकी वजह से ये कभी अपने को उम्रदराज ही नहीं मानते... साइक्लिंग के दौरान लोगों के तरह तरह के ताने इन्हें सुनने भी मिलते लेकिन इनसे इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता... इनका साफ़ कहना है कि मस्ती में जीने का अपना ही मज़ा है.... सत्तर की उम्र रबरमैंन पेठिया का हौसला बाकई काबिले तारीफ है...
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