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महिला दिवस विशेषः पद्म विभूषण से सम्मानित जानकी देवी की कहानी

मुरैना जिले के जौरा में जन्मी जानकी देवी बजाज ने कुटीर उद्योग के माध्यम से ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जानकी देवी ने महात्मा गांधी से प्रभावित होकर सोने के गहनों को दान कर दिया. उन्होंने पर्दा प्रथा का त्याग कर देश में आजादी की नई इबारत लिखी थी.

Janaki Devi Bajaj
जानकी देवी बजाज
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Published : Mar 8, 2021, 1:23 AM IST

Updated : Mar 8, 2021, 6:26 AM IST

मुरैना। भारत की आजादी में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की भूमिका से तो आप वाकिफ ही होंगे. महात्मा गांधी ने अहिंसा के मार्ग पर चलकर भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भुमिका निभाई थी. गांधी के विचारों से प्रेरित होकर कई महान लोगों ने भारत को आजादी के साथ भारत को मजबूत बनाने में योगदान दिया. महिलाओं ने भी भारत को मजबूत बनाने के लिए विशेष भुमिका निभाई है. इनमें से एक है जानकी देवी बजाज.

जानकी देवी गांधीवादी जीवन शैली की कट्टर समर्थक थीं. उन्होंने कुटीर उद्योग के माध्यम से ग्रामीण विकास में काफी सहयोग किया. वह एक स्वावलंबी महिला थीं, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया. जानकी देवी बजाज एक ओर दानी और मित्तव्ययी तो थी वहीं दूसरी ओर कठोर भी थीं. जानकी देवी बजाज ने देश के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया. जानकी देवी बजाज को सम्मानित करने के लिए भारत सरकार ने सन 1956 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया.

  • आठ वर्ष की उम्र में हो गई शादी

जानकी देवी का जन्म 7 जनवरी 1893 को मुरैना जिले के जौरा में एक संपन्न वैष्णव मारवाड़ी परिवार में हुआ था. जानकी देवी की शादी परिजन ने आठ वर्ष की में संपन्न बजाज घराने में जमनालाल बजाज के साथ कर दी. विवाह के बाद जानकीदेवी को 1902 में जौरा छोड़ अपने पति जमनालाल बजाज के साथ महाराष्ट्र के वर्धा आना पड़ा. जमनालाल गांधी से प्रभावित थे. उन्होंने गांधी की सादगी को अपने जीवन में उतार लिया. जानकी देवी ने भी स्वेच्छा से त्याग के रास्ते को अपनाया.

  • जानकी देवी ने त्याग दिए गहने

जानकी देवी ने शादी के कुछ समय बाद ही महात्मा गांधी से प्रभावित होकर सोने के गहनों को दान कर दिया. संत विनोबा भावे बजाज परिवार के आत्मिक गुरु थे. विबोना दास जानकी देवी की बच्चों सी निश्चलता से इतने प्रभावित हुए कि वह जानकी देवी के छोटे भाई ही बन गए. जानकी देवी ने जमनालाल के कहने पर सामजिक वैभव और कुलीनता के प्रतीक बन चुके पर्दा प्रथा का भी त्याग कर दिया. उन्होंने सभी महिलाओं को भी इसे त्यागने के लिए प्रोत्साहित किया. साल 1919 में उनके इस कदम से प्रेरित हो कर हजारों महिलाएं आजाद महसूस कर रही थी.

  • जानकी देवी पुरस्कार की घोषणा

भारतीय व्यापारियों की महिला विंग ने ग्रामीण उद्यमियों के लिए सन 1992- 93 में IMC महिला विंग जानकी देवी पुरस्कार की स्थापना की. IMC महिला विंग जानकी देवी बजाज पुरस्कार की स्थापना का उद्देश्य ग्रामीण भारत से मजबूत संबंध बनाए रखना था, ताकि उनके कामों को बढ़ावा और सम्मान दिया जा सके.

  • जानकी देवी के जीवन के महत्त्वपूर्ण कार्य
  1. जानकी देवी ने जमनालाल बजाज के कहने पर सामजिक वैभव और कुलीनता के प्रतीक बन चुके पर्दा प्रथा का त्याग कर दिया था.
  2. 28 साल की उम्र में जानकी देवी ने अपने सिल्क के वस्त्रों को त्याग कर खादी को अपनाया. वह अपने हाथों से सूत कातती और सैकड़ों लोगों को भी सूत कातना सिखातीं थी.
  3. जानकी देवी ने स्वदेशी आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जब महाराष्ट्र के वर्धा में विदेशी सामानों की होली जलाई जा रही थी, तब उन्होंने विदेशी कपड़ों के थान जलाने से पहले एक बार भी नहीं सोचा.
  4. भारत में पहली बार 17 जुलाई 1928 के ऐतिहासिक दिन को जानकी देवी अपने पति और हरिजनों के साथ वर्धा के लक्ष्मीनारायण मंदिर पहुंचीं और मंदिर के दरवाजे हर किसी के लिए खोल दिए.
  5. जानकी देवी की प्रसिद्धि बहुत दूर तक थी. उन्होंने महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा दिया.
  6. आचार्य विनोबा भावे के साथ जानकी देवी कूपदान, ग्रामसेवा, गौसेवा और भूदान जैसे आंदोलनों से जुड़ी रहीं.
  7. गौसेवा के प्रति उनके जूनून के चलते वह 1942 से कई सालों तक 'अखिल भारतीय गौसेवा संघ' की अध्यक्ष रहीं.

मुरैना। भारत की आजादी में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की भूमिका से तो आप वाकिफ ही होंगे. महात्मा गांधी ने अहिंसा के मार्ग पर चलकर भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भुमिका निभाई थी. गांधी के विचारों से प्रेरित होकर कई महान लोगों ने भारत को आजादी के साथ भारत को मजबूत बनाने में योगदान दिया. महिलाओं ने भी भारत को मजबूत बनाने के लिए विशेष भुमिका निभाई है. इनमें से एक है जानकी देवी बजाज.

जानकी देवी गांधीवादी जीवन शैली की कट्टर समर्थक थीं. उन्होंने कुटीर उद्योग के माध्यम से ग्रामीण विकास में काफी सहयोग किया. वह एक स्वावलंबी महिला थीं, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया. जानकी देवी बजाज एक ओर दानी और मित्तव्ययी तो थी वहीं दूसरी ओर कठोर भी थीं. जानकी देवी बजाज ने देश के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया. जानकी देवी बजाज को सम्मानित करने के लिए भारत सरकार ने सन 1956 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया.

  • आठ वर्ष की उम्र में हो गई शादी

जानकी देवी का जन्म 7 जनवरी 1893 को मुरैना जिले के जौरा में एक संपन्न वैष्णव मारवाड़ी परिवार में हुआ था. जानकी देवी की शादी परिजन ने आठ वर्ष की में संपन्न बजाज घराने में जमनालाल बजाज के साथ कर दी. विवाह के बाद जानकीदेवी को 1902 में जौरा छोड़ अपने पति जमनालाल बजाज के साथ महाराष्ट्र के वर्धा आना पड़ा. जमनालाल गांधी से प्रभावित थे. उन्होंने गांधी की सादगी को अपने जीवन में उतार लिया. जानकी देवी ने भी स्वेच्छा से त्याग के रास्ते को अपनाया.

  • जानकी देवी ने त्याग दिए गहने

जानकी देवी ने शादी के कुछ समय बाद ही महात्मा गांधी से प्रभावित होकर सोने के गहनों को दान कर दिया. संत विनोबा भावे बजाज परिवार के आत्मिक गुरु थे. विबोना दास जानकी देवी की बच्चों सी निश्चलता से इतने प्रभावित हुए कि वह जानकी देवी के छोटे भाई ही बन गए. जानकी देवी ने जमनालाल के कहने पर सामजिक वैभव और कुलीनता के प्रतीक बन चुके पर्दा प्रथा का भी त्याग कर दिया. उन्होंने सभी महिलाओं को भी इसे त्यागने के लिए प्रोत्साहित किया. साल 1919 में उनके इस कदम से प्रेरित हो कर हजारों महिलाएं आजाद महसूस कर रही थी.

  • जानकी देवी पुरस्कार की घोषणा

भारतीय व्यापारियों की महिला विंग ने ग्रामीण उद्यमियों के लिए सन 1992- 93 में IMC महिला विंग जानकी देवी पुरस्कार की स्थापना की. IMC महिला विंग जानकी देवी बजाज पुरस्कार की स्थापना का उद्देश्य ग्रामीण भारत से मजबूत संबंध बनाए रखना था, ताकि उनके कामों को बढ़ावा और सम्मान दिया जा सके.

  • जानकी देवी के जीवन के महत्त्वपूर्ण कार्य
  1. जानकी देवी ने जमनालाल बजाज के कहने पर सामजिक वैभव और कुलीनता के प्रतीक बन चुके पर्दा प्रथा का त्याग कर दिया था.
  2. 28 साल की उम्र में जानकी देवी ने अपने सिल्क के वस्त्रों को त्याग कर खादी को अपनाया. वह अपने हाथों से सूत कातती और सैकड़ों लोगों को भी सूत कातना सिखातीं थी.
  3. जानकी देवी ने स्वदेशी आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जब महाराष्ट्र के वर्धा में विदेशी सामानों की होली जलाई जा रही थी, तब उन्होंने विदेशी कपड़ों के थान जलाने से पहले एक बार भी नहीं सोचा.
  4. भारत में पहली बार 17 जुलाई 1928 के ऐतिहासिक दिन को जानकी देवी अपने पति और हरिजनों के साथ वर्धा के लक्ष्मीनारायण मंदिर पहुंचीं और मंदिर के दरवाजे हर किसी के लिए खोल दिए.
  5. जानकी देवी की प्रसिद्धि बहुत दूर तक थी. उन्होंने महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा दिया.
  6. आचार्य विनोबा भावे के साथ जानकी देवी कूपदान, ग्रामसेवा, गौसेवा और भूदान जैसे आंदोलनों से जुड़ी रहीं.
  7. गौसेवा के प्रति उनके जूनून के चलते वह 1942 से कई सालों तक 'अखिल भारतीय गौसेवा संघ' की अध्यक्ष रहीं.
Last Updated : Mar 8, 2021, 6:26 AM IST
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