मुरैना। जौरा के मजरा गांव में ऐसा अनूठा मंदिर है जहां पशुपालक अपने पशुओं की कुशलता एवं बढ़ोत्तरी की प्रार्थना करने आते हैं. कारस देव बाबा के इस मंदिर में देश भर से हजारों लोग पशुओं के लिए मन्नत लेकर आते हैं.
ऐसा अनोखा मंदिर जहां पशुओं की बीमारी दूर करने की मन्नत लेकर आते हैं लोग
मुरैना के जौरा तहसील के मजरा गांव में कारस देव बाबा का प्राचीन मंदिर है, जहां श्रद्धालु अपने पशुओं की समस्या लेकर आते है और पशुओं की बीमारी दूर करने के लिए मन्नत मांगते हैं.
कारस देव बाबा का प्राचीन मंदिर
मुरैना। जौरा के मजरा गांव में ऐसा अनूठा मंदिर है जहां पशुपालक अपने पशुओं की कुशलता एवं बढ़ोत्तरी की प्रार्थना करने आते हैं. कारस देव बाबा के इस मंदिर में देश भर से हजारों लोग पशुओं के लिए मन्नत लेकर आते हैं.
Intro:चंबल अंचल के मुरैना जिले की जौरा तहसील के मजरा गांव में ऐसा अनूठा मंदिर है जहां पशुपालक अपने पशुओं की कुशलता एवं बढ़ोतरी की प्रार्थना करने आते हैं। कारस देव बाबा के नाम से देश भर में विख्यात संभवत इस इकलौते मंदिर मैं बैठे कारस देव बाबा पशुपालकों के पशुओं की बीमारी एवं अन्य समस्याओं से भी रक्षा करते हैं। भादों मास की पंचमी से प्रतिवर्ष लगने वाले तीन दिवसीय मेले में यहां देशभर से हजारों लोग पशुओं के संबंध में मनौती लेकर आते हैं। मंदिर से जुड़े एक अन्य मिथक के अनुसार मंदिर में बने स्तंभों को कोई भी शर्त लगा कर एक बार में गिनती नहीं कर सका है।Body:पशुओं के संबंध में हर प्रकार की मनौती पूरी करने वाला एक अनूठा मंदिर मुरैना जिले की जोरा तहसील से महज़ 4 किलोमीटर के फासले पर मजरा गांव में स्थित है। मंदिर के संबंध में जन विश्वास है कि यहां पर आने के बाद पशुओं की बीमारियों से दूर रहने से लेकर उनकी बढ़ोतरी संबंधी हर मनोकामना कारस देव बाबा पूरी करते हैं। यही वजह है कि पशुपालक मंदिर में प्रसाद के रूप में दूध दही कारस देव बाबा पर चढ़ाते हैं। इस कारण मंदिर में बने कुंड दूध दही से भर जाते हैं वही मंदिर में दूध दही पूरे फर्श पर बिखरा नजर आता है। मंदिर पर प्रतिवर्ष भादो मास पंचमी से लगने वाले मेले में देशभर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां आकर अपने पशुओं के संबंध में मन्नत मांगते हैं। खासकर दुधारू पशुओं के मालिक कारस बाबा को उन पशुओं का दूध दही अर्पित कर उन्हें हर प्रकार की बीमारी एवं संकट से दूर रखने की प्रार्थना करते हैं।
कुछ वर्ष पूर्व ही हुआ है मंदिर का नवनिर्माण
कारस देव बाबा के प्राचीन मंदिर के स्थान पर कुछ वर्ष पूर्व ही श्रद्धालुओं एवं ग्रामीणों द्वारा लाखों रुपए की लागत से राजस्थानी पत्थर से मंदिर का भव्य पुनर्निर्माण कराया गया है। नवनिर्माण में मंदिर के स्तंभ उन्हीं स्थानों पर लगाए गए हैं जहां वे पूर्व में स्थापित थे। मंडे के संबंध में मान्यता है कि इसके स्तंभों को कोई भी शर्त लगा कर नहीं गिन सकता। ग्रामीण नवनिर्मित मंदिर में भी इस मिथक के सही होने का दावा करते हैं।Conclusion:बाइट-1- श्रीधर शुक्ला निवासी मजरा
बाइट-2- मेले में गोरी जिला भिंड से आए श्रद्धालु रामबरन सिंह
कुछ वर्ष पूर्व ही हुआ है मंदिर का नवनिर्माण
कारस देव बाबा के प्राचीन मंदिर के स्थान पर कुछ वर्ष पूर्व ही श्रद्धालुओं एवं ग्रामीणों द्वारा लाखों रुपए की लागत से राजस्थानी पत्थर से मंदिर का भव्य पुनर्निर्माण कराया गया है। नवनिर्माण में मंदिर के स्तंभ उन्हीं स्थानों पर लगाए गए हैं जहां वे पूर्व में स्थापित थे। मंडे के संबंध में मान्यता है कि इसके स्तंभों को कोई भी शर्त लगा कर नहीं गिन सकता। ग्रामीण नवनिर्मित मंदिर में भी इस मिथक के सही होने का दावा करते हैं।Conclusion:बाइट-1- श्रीधर शुक्ला निवासी मजरा
बाइट-2- मेले में गोरी जिला भिंड से आए श्रद्धालु रामबरन सिंह