मुरैना। रेत माफिया से लगातार लोहा ले रहीं वन विभाग की एसडीओ श्रद्धा पांढरे पुलिस महकमे के ढुलमुल रवैए से परेशान हैं. खुद पर लगातार हो रहे हमले को लेकर उन्होंने बड़ा आरोप खाकी वर्दी पर लगाया है.
ताजा मामले में कार्रवाई के दौरान वन विभाग की टीम के ऊपर रेत माफियाओं ने फायरिंग की थी. इस मामले की शिकायत लेकर पुलिस थाने पहुंची टीम के साथ पुलिसिया रवैया बेहद चौंकाने वाला और निराशाजनक रहा.
एसडीओ का साफ कहना है कि सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी वन विभाग का बिल्कुल भी सहयोग नहीं करते. वहीं थाना में पदस्थ पुलिस अमला भी वन विभाग की शिकायत पर कार्रवाई नहीं कर रहा है. उनका ये भी आरोप है कि पुलिस रेत माफियाओं के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठा रही है.
पुलिस नहीं सुनती हमारी
एसडीओ ने बताया कि वो पुलिस थाने पहुंचे तो उन्हें घंटों बैठाए रखा गया. पुलिस ने 307 और डकैती की धाराओं के तहत मामला दर्ज नहीं किया. इशारों इशारों में उन्होंने पुलिस और रेत माफिया के सांठ गांठ की बात कह डाली.
उनके मुताबिक कार्रवाई के दौरान जब भी वन विभाग पुलिस से सहयोग मांगता है. तो पुलिस का रवैया लापरवाही भरा ही रहता है. ताजा मामले में ही अभी तक पुलिस ने बदमाशों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है.
एसडीओ का साफ कहना है कि ग्रामीण पुलिस पर रेत माफियाओं से मिलीभगत का आरोप लगाते हैं. वह आरोप इस तरह के रवैया से सही साबित होते हैं.
क्या है ताजा मामला?
गौरतलब है कि बुधवार को स्टेशन रोड थाना क्षेत्र के बिसंगपुर गांव में एसडीओ पांढरे व उनकी टीम ने अवैध रेत का एक ट्रैक्टर-ट्रॉली पकड़ा था. इसके बाद रेत माफिया वन टीम की घेराबंदी व गोलीबारी करते हुए ट्रैक्टर-ट्रॉली को छुड़ा ले गए.
इस मामले में आधी रात को स्टेशन रोड थाने में एफआइआर दर्ज हुई. जिसमें पुलिस ने वनकर्मियों की निशानदेही पर रिठौरा निवासी कल्ली गुर्जर के अलावा खबरौली निवासी धर्मेन्द्र गुर्जर, लल्ला गुर्जर, दिलीप गुर्जर और रिठौरा के गजेन्द्र गुर्जर को धर दबोचा.
हमने किया अपना काम
पुलिस का तर्क है कि उसने अपना काम कानून के तहत किया है. स्टेशन रोड पुलिस ने IPC की धारा 392 के अलावा 11-13 डकैती एक्ट की धारा भी दर्ज की है. पुलिस इस कार्रवाई को सही बता रही है, जिससे एसडीओ श्रद्धा पांढरे पूरी तरह अस्वीकार कर रहीं हैं.
एसडीओ के अनुसार ऐसे मामलों में हम 307 की मांग करते हैं, लेकिन पुलिस ऐसी धाराएं लगाती है जिससे माफिया को राहत मिल जाती है और उनके हौसले बुलंद होते हैं.
श्रद्धा पांढरे का बयान
हमारी जान लेने के लिए गोलियां चलाई जा रही हैं, पर पुलिस 307 की एफआईआर नहीं करती। स्टेशन रोड थाने ममें एफआईआर नहीं कर रहे थे, मैं रात 1 बजे गई तक मामला दर्ज हुआ.बयानों में हमारे कर्मचारी 5-6 आरोपित बता रहे थे, पुलिस ने 4-5 लिखे . मैंने विरोध किया और रात में टीआई को बुलाया तो टीआई वनकर्मियों को धमकाने लगे.मैंने इसकी शिकायत अपने वरिष्ठ अफसरों से कर दी है.