मुरैना। चंबल नदी से रेत का अवैध खनन जारी है, प्रशासन कई बार रेत माफिया पर कार्रवाई कर चुका है, फिर भी रेत माफिया के हौसले इतने बुलंद हैं कि, वो बेखौफ नदियों का सीना छलनी कर रहे हैं, प्रशासन के लिए रेत माफिया पर लगाम लगाना बड़ी चुनौती बन गया है. कई जानकार तो इसे राजनीतिक संरक्षण भी मानते हैं, जबकि रोजाना चंबल से हजारों की संख्या में ट्रैक्टरों से अवैध रेत का परिवहन होता है.
टोल नाकों पर पुलिस नहीं करती कार्रवाई
भाजपा के पूर्व विधायक गजराज सिंह का आरोप है कि, रेत माफिया को संरक्षण मिलने के चलते पुलिस और प्रशासन कार्रवाई नहीं करता है. रेत माफिया के हौसले इतने बुलंद हैं कि, आईपीएस अधिकारी तक की हत्या करने से नहीं चूकते हैं. गजराज सिंह ने ये भी बताया कि, मुरैना के हर थाने में माफिया का हिस्सा जाता है. जिसके चलते पुलिस अवैध परिवहन कर रहे ट्रैक्टर-ट्राली को नहीं पकड़ती. हर रोज जिले के थानों के सामने से हजारों ट्रैक्टर ट्राली रेत भरकर गुजरती हैं.
'अवैध रेत खनन बीजेपी की देन'
चंबल नदी से धड़ल्ले से किए जा रहे रेत के अवैध खनन को कांग्रेस नेता बीजेपी की देन मानते हैं. कांग्रेस जिलाध्यक्ष राजेंद्र सिंह यादव ने बताया कि, पूर्व की कमलनाथ सरकार चंबल के कुछ घाटों पर रेत खनन के लिए सरकारी ठेके शुरू करने की पॉलिसी ला रही थी, लेकिन नई सरकार ने इस पर रोक लगा दी है. कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी के नेता पूरे प्रदेश में अवैध खनन करवा रहे हैं.
अवैध रेत खनन को सियासी संरक्षण
स्थानीय जानकारों की मानें तो, कांग्रेस के 16 महीने की सरकार में मुरैना जिले में कोई भी विकास कार्य नहीं हुआ, अवैध खनन पर नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रजनीश दुबे ने बताया कि, बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही दलों की सरकारों में रेत खनन जमकर होता है क्योंकि दोनों ही दलों के नेताओं का रेत माफियाओं को संरक्षण है. जिसका बड़ा कारण दो विधानसभा क्षेत्र में रेत खनन करने वालों का वोट बैंक है, जिसका असर चुनाव में पड़ता है. जिसके चलते नेता चुनावों के समय ही अवैध खनन में मदद करने के भरोसे पर ही वोट मांगते हैं. राज्य सरकार प्रशासन और पुलिस को छूट दे तो 24 घंटे में अवैध खनन पर रोक लगा सकती है.
पुलिस समय-समय पर करती है कार्रवाई
पुलिस की मानें तो वो अवैध रेत पर वन विभाग के साथ मिलकर समय-समय पर कार्रवाई करती है, हाल ही में की गई कार्रवाई में 1600 ट्राली अवैध डंप किया गया रेत जब्त किया गया था. मुरैना के एएसपी के मुताबिक रेत माफिया में आपराधिक प्रवृत्ति के लोग भी रहते हैं. जिसके चलते पूरी तैयारी के साथ ही कार्रवाई को अंजाम दिया जाता है.
स्टाफ की कमी से जूझ रहा है वन विभाग
वन विभाग चंबल अभ्यारण की सुरक्षा के लिए लगातार पुलिस और राजस्व विभाग के साथ मिलकर रेत माफिया पर कार्रवाई करता है. डीएफओ अमित निकम खुद मान रहे हैं कि, वन विभाग में स्टाफ की कमी है और रेत माफिया कई बार हमला भी कर देते हैं. कार्रवाई के दौरान रेत के टैक्टर भी छुड़ाकर ले गए हैं. वन विभाग के पास इतने संसाधन व शस्त्र नहीं हैं.