मुरैना। जिले से छात्र और छात्राओं द्वारा विभिन्न एथलेटिक प्रतियोगिताओं के साथ साथ क्रिकेट, वॉलीबॉल और फुटबॉल के साथ-साथ हॉकी का अभ्यास कर संभाग राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर मुरैना को एक पहचान दिलाई, लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण की वजह से स्टेडियम बंद कर दिए गए. जिसका परिणाम यह रहा कि खिलाड़ी अभ्यास करने से वंचित हो गए और अब 5 माह बाद हालात यह हैं कि खिलाड़ियों की रिदम पूरी तरह खत्म हो गई. अब खिलाड़ियों को फिर से शून्य से शुरुआत करनी पड़ रही है.
वहीं कई खिलाड़ी लंबे समय से सेना और पुलिस फोर्स में नौकरी के लिए परीक्षा क्वालीफाई करना चाहते हैं. उन खिलाड़ी के पास अगर खिलाड़ी कोटा का लाभ लेना है, तो उन्हें करंट में आयोजित हुए राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के सर्टिफिकेट दिखाना होता है, लेकिन वर्तमान में कोरोना की वजह से सभी प्रतियोगिता रद्द कर दी गई है. ऐसे में खिलाड़ियों को डर सताने लगा है. एथलीट खेलने वाली खिलाड़ी ने बताया कि लॉकडाउन होने की वजह से 5 महीने बाद वह मैदान पर आई हैं. अभ्यास नहीं करने की वजह से उनका शरीर मानव काम करना ही बंद कर दिया हो. यही हालात 100 मीटर 400 मीटर 600 मीटर और 1000 मीटर के रेस लगाने वाले खिलाड़ियों की भी देखी गई. जिसमें बालिका और बालक वर्ग के खिलाड़ी शामिल थे. जिन्हें शुरूआत कराने के लिए 40 मीटर की दौड़ से अभ्यास कराया जा रहा है.
लॉकडाउन के कारण खिलाड़ियों का अभ्यास पूरी तरह खत्म
100 मीटर दौड़ की प्रतियोगिता में प्रदेश में तीसरा और संभाग में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली नीलम तोमर का कहना है कि लॉकडाउन के कारण उनका अभ्यास पूरी तरह खत्म हो गया और अब दोबारा से प्रयास तो कर रही है, लेकिन शरीर साथ नहीं दे रहा. वहीं अन्य एथलीट रेशमा कुशवाह का कहना है कि दिल्ली पुलिस और उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ-साथ हरियाणा में भी पुलिस फोर्स में भर्ती निकलने की घोषणा हो गई है और ऐसे में हमारे पास किसी तरह के करंट प्रतियोगिताओं के सर्टिफिकेट नहीं है. वहीं आने वाले दिनों में भी सभी प्रतियोगिता रद्द कर दी गई है. ऐसे में खिलाड़ी कोटे का लाभ हमें नहीं मिल सकेगा और ना ही अभ्यास इतना है कि हम परीक्षा क्वालीफाई कर पाए. ऐसे में लॉकडाउन के कारण हमारा भविष्य भी संकट में है.
खिलाड़ियों को शून्य से अभ्यास कराना पड़ेगा
शालेय क्रीड़ा से राज्य स्तर तक प्रदर्शन कर चुकी खिलाड़ी अंकिता बघेल का कहना है की ना ही स्कूल खुल रहे हैं और ना ही स्कूलों के माध्यम से होने वाले प्रतियोगिताओं का भी आयोजन सरकार द्वारा कराया जा रहा है. ऐसे में हमारे जैसे खिलाड़ियों का भविष्य भी खतरे में आ गया है. वहीं एथलेटिक के प्रशिक्षक नरेंद्र सिकरवार का कहना है कि 5 गांव के खिलाड़ियों के अभ्यास टूटने के कारण उनका शरीर भी काम नहीं कर रहा कि वह एकाएक मैदान पर उतरकर अच्छा प्रदर्शन कर पाए. ऐसे में उन्हें शून्य से अभ्यास कराना पड़ेगा. उनका कहना है कि फिलहाल अगर कोई प्रतियोगिता और भर्ती आती है तो यह खिलाड़ी अपना बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे.