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क्या कोरोना से पहले भूख लेगी जान..? - नाथ समुदाय के सामने भोजन संकट

पूरे देश में लॉकडाउन का 7वां दिन है, जबकि मुरैना के एक गांव में लोग भूख से तड़प रहे हैं, जिन्हें पहले रसूखदारों ने निचोड़ा और अब भूख तड़पा रही है. ऐसे में वो कोरोना से मरें या न मरें, लेकिन भूख से जरूर मर जाएंगे.

Food crisis for Nath community
नाथ समुदाय के सामने भोजन संकट
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Published : Mar 31, 2020, 3:16 PM IST

Updated : Mar 31, 2020, 3:25 PM IST

मुरैना। विश्व भर में महामारी का रूप ले चुके कोरोना वायरस के चलते हाहाकार मचा है, भारत में भी इस संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन किया गया है. जिसका सबसे बुरा असर गरीबों और मजदूर तबके पर पड़ रहा है. ऐसा नहीं है कि सरकार इस तबके की मदद नहीं कर रही है. सरकार ने मजदूर और गरीब तबके के लिए मुफ्त में अनाज देने की घोषणा की है, लेकिन मुरैना में गुलपुरा गांव में नाथ समुदाय के 100 परिवारों के नसीब में शायद सरकारी मदद का सुख ही नहीं लिखा है.

नाथ समुदाय के सामने भोजन संकट

मुरैना जिले में नाथ समुदाय का एक ऐसा गांव हैं, जहां राशन कार्ड के अभाव में लोगों को अनाज नहीं मिल रहा है क्योंकि मुसीबत में जिन रसूखदारों से ये परिवार उधार लेते थे, उनके पास इनक राशन कार्ड गिरवी रखा है, लेकिन इस संकट के दौरान भी वो राशन कार्ड नहीं दे रहे हैं, जिसके चलते उनके सामने रोटी का संकट आ गया है, लॉकडाउन के चलते उन्हें कोई काम भी नहीं मिल रहा है, जिसके चलते उनको भूखो मरने की नौबत आ गई है.

ये भी पढ़ें-पलायन कर आने वाले मजदूरों की मदद के लिए तैयार प्रशासन, जांच के बाद भेजा जा रहा घर

गुलपुरा गांव में नाथ समुदाय के करीब 100 परिवार रहते हैं, जो लॉकडाउन की मुश्किल घड़ी में दाने-दाने को मोहताज हैं, इन परिवारों के घरों में पिछले तीन दिनों से चूल्हा तक नहीं जला है. नाथ समुदाय के लोगों ने बताया कि पिछले तीन दिनों से वे भूखे हैं. वे सरकार से इस समय मिल रही मदद का लाभ लेना चाहते हैं, लेकिन बेबस हैं. ऐसे में वो महामारी से मरें या न मरें, लेकिन भूख से जरूर मर जाएंगे.

जिम्मेदार अधिकारीयों की मानें तो राशन की सप्लाई शासन के निर्देशानुसार किया जा रहा है, अगर इस समुदाय के साथ गांव में ऐसी समस्या है तो उसकी जांच के बाद तुरंत कार्रवाई की जाएगी, लेकिन देखना ये होगा कि इस समुदाय की जान पहले कोरोना लेती है या भूख.

मुरैना। विश्व भर में महामारी का रूप ले चुके कोरोना वायरस के चलते हाहाकार मचा है, भारत में भी इस संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन किया गया है. जिसका सबसे बुरा असर गरीबों और मजदूर तबके पर पड़ रहा है. ऐसा नहीं है कि सरकार इस तबके की मदद नहीं कर रही है. सरकार ने मजदूर और गरीब तबके के लिए मुफ्त में अनाज देने की घोषणा की है, लेकिन मुरैना में गुलपुरा गांव में नाथ समुदाय के 100 परिवारों के नसीब में शायद सरकारी मदद का सुख ही नहीं लिखा है.

नाथ समुदाय के सामने भोजन संकट

मुरैना जिले में नाथ समुदाय का एक ऐसा गांव हैं, जहां राशन कार्ड के अभाव में लोगों को अनाज नहीं मिल रहा है क्योंकि मुसीबत में जिन रसूखदारों से ये परिवार उधार लेते थे, उनके पास इनक राशन कार्ड गिरवी रखा है, लेकिन इस संकट के दौरान भी वो राशन कार्ड नहीं दे रहे हैं, जिसके चलते उनके सामने रोटी का संकट आ गया है, लॉकडाउन के चलते उन्हें कोई काम भी नहीं मिल रहा है, जिसके चलते उनको भूखो मरने की नौबत आ गई है.

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गुलपुरा गांव में नाथ समुदाय के करीब 100 परिवार रहते हैं, जो लॉकडाउन की मुश्किल घड़ी में दाने-दाने को मोहताज हैं, इन परिवारों के घरों में पिछले तीन दिनों से चूल्हा तक नहीं जला है. नाथ समुदाय के लोगों ने बताया कि पिछले तीन दिनों से वे भूखे हैं. वे सरकार से इस समय मिल रही मदद का लाभ लेना चाहते हैं, लेकिन बेबस हैं. ऐसे में वो महामारी से मरें या न मरें, लेकिन भूख से जरूर मर जाएंगे.

जिम्मेदार अधिकारीयों की मानें तो राशन की सप्लाई शासन के निर्देशानुसार किया जा रहा है, अगर इस समुदाय के साथ गांव में ऐसी समस्या है तो उसकी जांच के बाद तुरंत कार्रवाई की जाएगी, लेकिन देखना ये होगा कि इस समुदाय की जान पहले कोरोना लेती है या भूख.

Last Updated : Mar 31, 2020, 3:25 PM IST
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