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विश्व संग्रहालय दिवस पर कार्यक्रम आयोजित, पुरातात्विक संपदा सहेजने का लिया संकल्प

विश्व संग्रहालय दिवस पर पंडित राम प्रसाद बिस्मिल संग्रहालय मुरैना में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जहां सभी ने पुरातात्विक संपदा सहेजने का लिया संकल्प लिया.

विश्व संग्रहालय दिवस पर कार्यक्रम आयोजित
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Published : May 20, 2019, 1:46 PM IST

मुरैना। विश्व संग्रहालय दिवस पर पंडित राम प्रसाद बिस्मिल संग्रहालय मुरैना में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें चंबल अंचल में भी पुरा संपदा को सहेजने का संकल्प लिया गया. इस दौरान जिला पुरातत्व अधिकारी अशोक शर्मा ने प्राचीन पुरा संपदा और मूर्तियों के काल खंडों सहित उनकी विशेषताओं से परिचित कराया. अंचल के दूरदराज क्षेत्रों में बिखरी पुरा संपदा को सहेजने के लिए किए गए कार्य भी बताए.

विश्व संग्रहालय दिवस पर कार्यक्रम आयोजित

जिले की सिहोनिया स्थित ककनमठ क्षेत्र, शनि पर्वत क्षेत्र स्थित मितावली, पडावली, बटेश्वर और नरेश्वर जैसे सातवीं शताब्दी से 11वीं शताब्दी तक की चोल राजाओं की संस्कृति को दर्शाने वाली कलाकृति परिपूर्ण मूर्तियों के बारे में जानकारी दी गई. बता दें कि कार्यक्रम में ऐसी कई मूर्तियों और कलाकृतियों का वर्णन किया गया, जो विभिन्न कालखंडों की कला और संस्कृति का गुणगान करती है. पत्थर की ये प्रतिमाएं लोगों का मन मोह रही हैं. उन्होंने बताया कि आज के समय में पुरा संपदाओं को सहेजने के लिए संग्रहालय महती आवश्यकता है, ताकि एक ही स्थान पर समूचे अंचल के ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व की और इतिहास की कहानियां कहने वाली संपदाओं को सहेजने के लिए एक विशेष केंद्र हर जिले मुख्याल पर बनाया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ी इस से परिचित होती रहे.


बता दें कि मुरैना चंबल अंचल का मुख्यालय है, जहां कुछ समय पहले ही पंडित राम प्रसाद बिस्मिल शहीद संग्रहालय बनाया गया है, लेकिन चंबल अंचल के अन्य जिले भिंड और श्योपुर में पुरासंपदा के संरक्षण और प्रदर्शन के लिए कोई केंद्र नहीं है. लिहाजा वहां लोगों को अपने क्षेत्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों से रू-ब-रू होने का अवसर नहीं मिल पा रहा है. साथ ही मुरैना में जो शहीद संग्रहालय बनाया गया है, वह भी पुरा संपदाओं को सहेजने के लिए पर्याप्त नहीं है. यहां अंचल से लाई गई सैकड़ों मूर्तियां रखी तो गई हैं, लेकिन उन्हें व्यवस्थित और सुरक्षित करने के लिए पर्याप्त इंतजामात शासन द्वारा नहीं किए गए हैं.

मुरैना। विश्व संग्रहालय दिवस पर पंडित राम प्रसाद बिस्मिल संग्रहालय मुरैना में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें चंबल अंचल में भी पुरा संपदा को सहेजने का संकल्प लिया गया. इस दौरान जिला पुरातत्व अधिकारी अशोक शर्मा ने प्राचीन पुरा संपदा और मूर्तियों के काल खंडों सहित उनकी विशेषताओं से परिचित कराया. अंचल के दूरदराज क्षेत्रों में बिखरी पुरा संपदा को सहेजने के लिए किए गए कार्य भी बताए.

विश्व संग्रहालय दिवस पर कार्यक्रम आयोजित

जिले की सिहोनिया स्थित ककनमठ क्षेत्र, शनि पर्वत क्षेत्र स्थित मितावली, पडावली, बटेश्वर और नरेश्वर जैसे सातवीं शताब्दी से 11वीं शताब्दी तक की चोल राजाओं की संस्कृति को दर्शाने वाली कलाकृति परिपूर्ण मूर्तियों के बारे में जानकारी दी गई. बता दें कि कार्यक्रम में ऐसी कई मूर्तियों और कलाकृतियों का वर्णन किया गया, जो विभिन्न कालखंडों की कला और संस्कृति का गुणगान करती है. पत्थर की ये प्रतिमाएं लोगों का मन मोह रही हैं. उन्होंने बताया कि आज के समय में पुरा संपदाओं को सहेजने के लिए संग्रहालय महती आवश्यकता है, ताकि एक ही स्थान पर समूचे अंचल के ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व की और इतिहास की कहानियां कहने वाली संपदाओं को सहेजने के लिए एक विशेष केंद्र हर जिले मुख्याल पर बनाया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ी इस से परिचित होती रहे.


बता दें कि मुरैना चंबल अंचल का मुख्यालय है, जहां कुछ समय पहले ही पंडित राम प्रसाद बिस्मिल शहीद संग्रहालय बनाया गया है, लेकिन चंबल अंचल के अन्य जिले भिंड और श्योपुर में पुरासंपदा के संरक्षण और प्रदर्शन के लिए कोई केंद्र नहीं है. लिहाजा वहां लोगों को अपने क्षेत्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों से रू-ब-रू होने का अवसर नहीं मिल पा रहा है. साथ ही मुरैना में जो शहीद संग्रहालय बनाया गया है, वह भी पुरा संपदाओं को सहेजने के लिए पर्याप्त नहीं है. यहां अंचल से लाई गई सैकड़ों मूर्तियां रखी तो गई हैं, लेकिन उन्हें व्यवस्थित और सुरक्षित करने के लिए पर्याप्त इंतजामात शासन द्वारा नहीं किए गए हैं.

Intro:विश्व संग्रहालय दिवस के अवसर पर पंडित राम प्रसाद बिस्मिल संग्रहालय मुरैना में कार्यक्रम आयोजित किए गए जिसमें चंबल अंचल में भी खरी पुरा संपदा को सहेजने का संकल्प लिया गया इस दौरान जिला पुरातत्व अधिकारी अशोक शर्मा ने प्राचीन पुरा संपदा और मूर्तियों के काल खंडों सहित उनकी विशेषताओं से परिचित कराया । अंचल के दूरदराज क्षेत्रों में बिखरी पुरा संपदा को सहेजने के लिए किए गए कार्य भी बताए ।


Body:मुरैना जिले की सिहोनिया स्थित ककनमठ क्षेत्र , शनि पर्वत क्षेत्र स्थित मितावली , पडावली , बटेश्वर और नरेश्वर जैसे सातवीं शताब्दी से 11वीं शताब्दी तक की चोल राजाओं की संस्कृति को दर्शाने वाली कलाकृति परिपूर्ण मूर्तियों, सेव संस्कृती वाली मूर्तियां सहित ऐसी अनेक मूर्तियों का और कलाकृतियों का वर्णन किया जो विभिन्न काल खंडों की कला और संस्कृति का गुणगान आज भी पत्थर की प्रतिमा कर लोगों का मन मोह रही हैं । उन्होंने बताया आज के समय में पुरा संपदाओं को सहेजने के लिए संग्रहालय महती आवश्यकता है ताकि एक ही स्थान पर समूचे अंचल के ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व की एवं इतिहास की कहानियां कहने वाली संपदाओं को सहेजने के लिए एक विशेष केंद्र हर जिले मुख्याल पर बनाया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ी इस से परिचित होती रहे ।


Conclusion:ज्ञात हो कि मुरैना चंबल अंचल का मुख्यालय है , जहां कुछ समय पूर्व ही पंडित राम प्रसाद बिस्मिल शहीद संग्रहालय बनाया गया है । लेकिन चंबल अंचल के अन्य जिले भिंड एवं श्योपुर में पुरासंपदा के संरक्षण एवं प्रदर्शन के लिए कोई केंद्र नहीं है । लिहाजा वहां लोगों को अपने क्षेत्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों से रूबरू होने का अवसर नहीं मिल पा रहा । साथ ही मुरैना में जो शहीद संग्रहालय बनाया गया है वह भी पुरा संपदाओं को सहेजने के लिए पर्याप्त नहीं है। जहां अंचल से लाई गई सैकड़ों मूर्तियां रखी तो गई है लेकिन उन्हें व्यवस्थित एवं सुरक्षित करने हेतु पर्याप्त इंतजामात शासन द्वारा नहीं किए गए जो चिंता का विषय है ।
बाईट - 1 अशोक शर्मा - जिला पुरातत्व अधिकारी मुरैना
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