मुरैना। विधानसभा चुनाव संपन्न होते ही किसान पुनः खाद की समस्या से जूझने लगें है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के चुनाव लड़ने से लोगों को विश्वास था कि, चुनाव के बाद यह समस्या नहीं रहेगी. लोगों का यह विश्वास सिर्फ एक चुनावी शिगूफा बनकर रह गया है. खाद के लिए किसान सर्दी में ठिठुरते हुए रात 4 बजे से लाइन में खड़े हो रहे हैं, लेकिन फिर भी उनको खाद नहीं मिल पा रही है. हालांकि अधिकारी अभी भी डींगें भर रहे है कि, जिले में खाद को कोई कमी नहीं है. किसानों को उनकी आवश्यकता के हिसाब से खाद दिया जाएगा. समय पर खाद नहीं मिलने से किसानों को गेहूं की फसल की बोवनी की चिंता सता रही है.
खाद के लिए लोग लाइनों में लगे: रबी फसल की बोवनी के लिए किसानों को खाद की आवश्यकता पड़ रही है. खाद लेने के लिए किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में सवार होकर तड़के बाजार और कृषि उपजमंडी में पहुंच जाते हैं. बाजार में सरकारी दुकान हो या प्राइवेट हर जगह खाद के लिए किसानों की भीड़ लगी हुई है. किसान अपनी व्यवस्था बनाने के लिए खुद ही लाइन लगाकर खड़े हो जाते हैं, लेकिन घंटो लाईन में खड़े रहने के बाद जब उनकी बारी आती है, तब तक या तो टोकन खत्म हो जाते हैं, या फिर खाद.
एडीएम बोले खाद की कोई कमी नहीं: जब सब कुछ सही होता है तो कर्मचारी लंच करने के बहाने गायब हो जाते हैं. इससे किसान थक-हारकर अपने घर वापस लौट जाते हैं और दूसरे दिन फिर खाद के लिए प्रयास करता है. यह सिलसिला करीब एक सप्ताह से निरंतर चलता आ रहा है. इससे एक तरफ किसानों की जेब ढीली हो रही है, तो वहीं दूसरी ओर गेहूं की फसल बोवनी से लेट होती जा रही है. इस संबंध में एडीएम सीबी प्रसाद का कहना है कि, जिले में खाद की कोई कमी नहीं है. चूंकि किसान एक साथ सैकड़ों की संख्या में खाद के लिए दुकान पर पहुंच जाते है, इसलिए व्यवस्था खराब हो जाती है. किसानों को उनकी जरूरत के हिसाब से खाद उपलब्ध कराया जाएगा.
तोमर से मुरैना वासियों को काफी उम्मीदें: यहां उल्लेखनीय है कि, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के विधानसभा चुनाव लड़ने से लोगों को यह विश्वास हो गया था कि, अब यहां पर खाद की कोई समस्या नहीं रहेगी. केंद्रीय मंत्री का ध्यान अब तक पूरे देश में था, लेकिन चुनाव के बाद अब सिर्फ मुरैना जिले पर है. लोगों का यह विश्वास एक सपना बनकर रह गया है. लोगों ने केंद्रीय मंत्री से जो उम्मीद लगा रखी है, वह पूरी नहीं हुई. किसान अब खाद के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे है.