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मुलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा गांव, पानी के लिए करना पड़ता है कई किलोमीटर का सफर

मुरैना के खोह का पुरा गांव में ग्रामीण आज भी मुलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. ग्रामीणों को हर रोज 3 किलोमीटर दूर से पीने का पानी लाना पड़ता है. गांव में स्कूल नहीं होने के कारण बच्चे पढ़ भी नहीं पा रहे हैं.

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Published : Feb 10, 2020, 12:24 PM IST

Updated : Feb 10, 2020, 3:33 PM IST

Villagers struggle for drinking water
पीने के पानी के लिए ग्रामीणों की जद्दोजहद

मुरैना। जिले के खोह का पुरा गांव में आज भी ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं तो दूर की बात, यहां ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए भी तीन किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है. विकास नहीं होने से ग्रामीण आज भी बदतर जीवन जीने को मजबूर हैं. गांव के लोग की बदहाली की कहानी कोई भी अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है, ऐसे में ग्रामीणों ने परिस्थितियों के साथ समझौता कर लिया है. इस गांव में सपेरा समाज के 50 घरों में लगभग 300 से अधिक लोग रहते हैं. तीन किलोमीटर दूर से पानी लाने में ही हर रोज 3 से 4 घंटे लग जाते हैं. जिसके चलते बच्चे भी स्कूल नहीं जा पाते. गांव तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क भी नहीं है.

पीने के पानी के लिए ग्रामीणों की जद्दोजहद

जिले की सुमावली विधानसभा का तुस्सीपुरा खोह का पुरा गांव शहर से लगभग 35 किलोमीटर दूर है. कच्चे रास्तों से सिर पर पानी के बर्तन रखे हुए गुजरती महिलाओं का ये दृश्य आपको गर्मियों के मौसम में तो आमतौर पर नजर आ जाते होंगे. लेकिन सर्दियों के मौसम में ये तस्वीर आपको थोड़ा चौंका रही होंगी. सर्दियों में पानी की जरूरत कम पड़ती है, पर जरूरत होती तो है और उसी जरूरत के लिए इन लोगों को हर रोज 3 किलोमीटर पैदल जा कर पानी लाना पड़ता है.

गांव की महिलाओं का कहना है कि, 'पीने के पानी लाने के लिए दूर जाना पड़ता है. बच्चों को भी साथ ले जाना पड़ता है. हम लोगों ने इस समस्या को कई बार सरपंच से लेकर कलेक्टर तक को बताया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई'.

कलेक्टर प्रियंका दास का कहना है कि, उन्हें खोह का पुरा गांव में पानी की समस्या के बारे में मीडिया से जानकारी मिली है, उन्होंने जांच करवाने की बात कही है. तो वहीं सड़क की समस्या को लेकर कलेक्टर ने कहा कि, जल्द ही डीपीआर तैयार करवा कर रास्ते का निर्माण करवा दिया जाएगा.

मुरैना। जिले के खोह का पुरा गांव में आज भी ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं तो दूर की बात, यहां ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए भी तीन किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है. विकास नहीं होने से ग्रामीण आज भी बदतर जीवन जीने को मजबूर हैं. गांव के लोग की बदहाली की कहानी कोई भी अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है, ऐसे में ग्रामीणों ने परिस्थितियों के साथ समझौता कर लिया है. इस गांव में सपेरा समाज के 50 घरों में लगभग 300 से अधिक लोग रहते हैं. तीन किलोमीटर दूर से पानी लाने में ही हर रोज 3 से 4 घंटे लग जाते हैं. जिसके चलते बच्चे भी स्कूल नहीं जा पाते. गांव तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क भी नहीं है.

पीने के पानी के लिए ग्रामीणों की जद्दोजहद

जिले की सुमावली विधानसभा का तुस्सीपुरा खोह का पुरा गांव शहर से लगभग 35 किलोमीटर दूर है. कच्चे रास्तों से सिर पर पानी के बर्तन रखे हुए गुजरती महिलाओं का ये दृश्य आपको गर्मियों के मौसम में तो आमतौर पर नजर आ जाते होंगे. लेकिन सर्दियों के मौसम में ये तस्वीर आपको थोड़ा चौंका रही होंगी. सर्दियों में पानी की जरूरत कम पड़ती है, पर जरूरत होती तो है और उसी जरूरत के लिए इन लोगों को हर रोज 3 किलोमीटर पैदल जा कर पानी लाना पड़ता है.

गांव की महिलाओं का कहना है कि, 'पीने के पानी लाने के लिए दूर जाना पड़ता है. बच्चों को भी साथ ले जाना पड़ता है. हम लोगों ने इस समस्या को कई बार सरपंच से लेकर कलेक्टर तक को बताया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई'.

कलेक्टर प्रियंका दास का कहना है कि, उन्हें खोह का पुरा गांव में पानी की समस्या के बारे में मीडिया से जानकारी मिली है, उन्होंने जांच करवाने की बात कही है. तो वहीं सड़क की समस्या को लेकर कलेक्टर ने कहा कि, जल्द ही डीपीआर तैयार करवा कर रास्ते का निर्माण करवा दिया जाएगा.

Intro:एंकर - मुरैना जिले में आज भी ऐसे गांव हैं जहां पर लोगों को मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है। आजादी के 72 सालों के बाद भी लोग सड़क, पानी और शिक्षा के लिए मोहताज है। जी हां हम बात कर रहे हैं मुरैना जिले के तुस्सीपुरा के खोह का पुरा गांव की। जिसमें सपेरा समाज के 50 घरों में लगभग 300 से अधिक लोग रहते हैं। पर इन लोगों को हर रोज 3 किलोमीटर दूर से पीने का पानी लाना पड़ता है। जिसमें हर रोज 3 से 4 घंटे लग जाते हैं जिसके चलते बच्चे भी स्कूल नहीं जा पाते। वहीं गांव तक सड़क न होने से गांव पूरी तरह से विकास से कटा हुआ है। ऐसे में ये गांव विकास की उस तस्वीर में कहीं भी नजर नहीं आएगा जिस की बात आज हर कोई कर रहा है।


Body:वीओ1- मुरैना जिले की सुमावली विधानसभा का तुस्सीपुरा खोह का पुरा गाँव शहर से लगभग 35 किलोमीटर दूर है। कच्चे रास्तों पर सिर पर पानी के बर्तन रखे हुए ये दृश्य आपको गर्मियों के मौसम में तो आमतौर पर नजर आ जाता होगा। पर सर्दियों के मौसम में ये तस्वीर देखकर आपको थोड़ा चौंका रही होगी।पर क्या करें सर्दियों में पानी की जरूरत कम पड़ती है, पर जरूरत होती तो है और उसी जरूरत के लिए इन लोगों को हर रोज 3 किलोमीटर पैदल जा कर पानी लाना पड़ता है।

बाइट1 - कुमरो - ग्रामीण ( लंबी दाढ़ी है)
बाइट2 - रोहन - ग्रामीण( लाल पगड़ी बांधे हुए है)

वीओ2 - किसी भी जगह को विकास के लिए वहां तक पहुंचने के लिए रास्ते का होना सबसे अहम बात होती है। पर शहर से महज 35 किलोमीटर दूर होने के बाद भी इस गांव तक पहुंचने का रास्ता नहीं है। ऐसे में ये गांव विकास से काफी दूर है।गाँव की महिलाओं का कहना है कि पीने के पानी लाने के लिए दूर जाना पड़ता है।बच्चों को भी साथ ले जाना पड़ता है हम लोगों ने इस समस्या को कई बार सरपंच से लेकर कलेक्टर तक कि है लेकिन कोई सुनवाई नही हुई।

बाइट3 - सखी रीना - ग्रामीण महिला।
बाइट4 - मंजू - ग्रामीण युवती।


Conclusion:वीओ3 - कलेक्टर प्रियंका दास के अनुसार उस गांव में पानी की समस्या की जानकारी मीडिया के जरिए मिल रही है। जिसकी वह जांच कराने की बात कह रही है। वहीं सड़क को लेकर वो डीपीआर तैयार होने और जल्द ही सड़क बनवाने का आश्वासन दे रही है। पर देखना यही है कि इतने सालों में जो काम नहीं हुआ वो अब कब तक होगा।

बाइट5 - प्रियंका दास - कलेक्टर मुरैना।


वीओ4 - आज 21वीं सदी में ऐसा गांव होना विकास की तस्वीर पर बड़ा सवाल खड़ी करती है। अब देखना यही है कि क्या इस गांव की तस्वीर को बदला जाएगा या ऐसे ही बद से बदहाल होता जाएगा।
Last Updated : Feb 10, 2020, 3:33 PM IST
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