मुरैना। जिले के खोह का पुरा गांव में आज भी ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं तो दूर की बात, यहां ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए भी तीन किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है. विकास नहीं होने से ग्रामीण आज भी बदतर जीवन जीने को मजबूर हैं. गांव के लोग की बदहाली की कहानी कोई भी अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है, ऐसे में ग्रामीणों ने परिस्थितियों के साथ समझौता कर लिया है. इस गांव में सपेरा समाज के 50 घरों में लगभग 300 से अधिक लोग रहते हैं. तीन किलोमीटर दूर से पानी लाने में ही हर रोज 3 से 4 घंटे लग जाते हैं. जिसके चलते बच्चे भी स्कूल नहीं जा पाते. गांव तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क भी नहीं है.
जिले की सुमावली विधानसभा का तुस्सीपुरा खोह का पुरा गांव शहर से लगभग 35 किलोमीटर दूर है. कच्चे रास्तों से सिर पर पानी के बर्तन रखे हुए गुजरती महिलाओं का ये दृश्य आपको गर्मियों के मौसम में तो आमतौर पर नजर आ जाते होंगे. लेकिन सर्दियों के मौसम में ये तस्वीर आपको थोड़ा चौंका रही होंगी. सर्दियों में पानी की जरूरत कम पड़ती है, पर जरूरत होती तो है और उसी जरूरत के लिए इन लोगों को हर रोज 3 किलोमीटर पैदल जा कर पानी लाना पड़ता है.
गांव की महिलाओं का कहना है कि, 'पीने के पानी लाने के लिए दूर जाना पड़ता है. बच्चों को भी साथ ले जाना पड़ता है. हम लोगों ने इस समस्या को कई बार सरपंच से लेकर कलेक्टर तक को बताया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई'.
कलेक्टर प्रियंका दास का कहना है कि, उन्हें खोह का पुरा गांव में पानी की समस्या के बारे में मीडिया से जानकारी मिली है, उन्होंने जांच करवाने की बात कही है. तो वहीं सड़क की समस्या को लेकर कलेक्टर ने कहा कि, जल्द ही डीपीआर तैयार करवा कर रास्ते का निर्माण करवा दिया जाएगा.