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Teachers Day 2023: जिद-जुनून और हौसले ने बदल दी जिंदगी, दोनों हाथ गंवाने के बाद भी प्रदीप बन गए सरकारी शिक्षक

देश शिक्षक दिवस मना रहा है. इस बीच मुरैना में जिद, जुनून और हौसले ने एक दिव्यांग की जिंदगी बदल दी. दोनों हाथ गंवाने के बाद प्रदीप सरकारी शिक्षक बन गए. आईए जानते हैं उनकी दर्द भरी कहानी...

handicapped pradeep
दिव्यांग शिक्षक प्रदीप की कहानी
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 5, 2023, 6:18 PM IST

Updated : Sep 5, 2023, 6:47 PM IST

दिव्यांग शिक्षक प्रदीप

मुरैना। जब मन में सच्ची लगन और जिगर में हौसला हो तो मनुष्य क्या नहीं कर सकता है. हमने जिद और जुनून से लोगों को आसमान की बुलंदियां छूते हुए भी देखा है. ऐसा ही एक मामला पहाड़गढ़ जनपद के अंतर्गत आने वाले राम नगर गांव में सामने आया है. यहां पर एक युवक ने यौवन की दहलीज पर कदम रखते ही अपने दोनों हाथ गंवा दिए थे. एक समय तो उसे ऐसा लगने लगा कि, बस यहीं पर मेरी जिंदगी का समापन हो गया, लेकिन जब उसने अपने कलेजे को मजबूत करते हुए कुछ करने की ठानी, तो सफलता की ऊंचाइयां छूता चला गया. दोनों हाथ गंवाने के बाद युवक अपनी जिद और जुनून से सरकारी मास्टर बन गया है. अब वह अपना जीवन एक आम आदमी की तरह जी रहा है.

दिव्यांग शिक्षक प्रदीप की दर्द भरी कहानी: मुरैना जिला मुख्यालय से करीब 65 किलोमीटर दूर पहाड़गढ़ जनपद के अंतर्गत रामनगर नामक एक गांव पड़ता है. यहां पर एक सरकारी स्कूल में दिव्यांग शिक्षक प्रदीप बच्चों को पढ़ाने के लिए आते हैं. शिक्षक प्रदीप की कहानी बड़ी दर्द भरी है. वे मूलतः भिंड जिले के रहने वाले हैं. यौवन की दहलीज पर कदम रखते ही चारा काटने वाली मशीन में उनके दोनों हाथ चले गए. लंबे इलाज के बाद डॉक्टरों ने उनके दोनों हाथ काट दिए थे. हाथ कटने के बाद एक समय तो उनको ऐसा लगा कि, बस अब तो उनकी जिंदगी यहीं पर थम गई है. लेकिन उन्होंने अपने कलेजे को कठोर करते हुए जिंदगी में कुछ करने की ठान ली.

ये भी खबरें यहां पढ़ें:

जुनून ने बनाया शिक्षक: उन्होंने पूरी हिम्मत व जुनून से काम किया तो सफलता उनके कदम चूमने लगी. प्रदीप ने अपनी मेहनत व लगन से एमपी शिक्षक भर्ती परीक्षा पास कर सरकारी मास्टर बन गए है. स्कूल में पढ़ाई लिखाई का काम हो या, अन्य घरेलू कामकाज, वे बिना हाथों के भी अपना हर काम आम आदमी की तरह करते हैं. दिव्यांग होने के बावजूद भी वे अपना जीवन आम आदमी की तरह बिता रहे हैं. यह सब उनकी जिद-जुनून और हौसले की वजह से ही संभव हुआ है.

दिव्यांग शिक्षक प्रदीप

मुरैना। जब मन में सच्ची लगन और जिगर में हौसला हो तो मनुष्य क्या नहीं कर सकता है. हमने जिद और जुनून से लोगों को आसमान की बुलंदियां छूते हुए भी देखा है. ऐसा ही एक मामला पहाड़गढ़ जनपद के अंतर्गत आने वाले राम नगर गांव में सामने आया है. यहां पर एक युवक ने यौवन की दहलीज पर कदम रखते ही अपने दोनों हाथ गंवा दिए थे. एक समय तो उसे ऐसा लगने लगा कि, बस यहीं पर मेरी जिंदगी का समापन हो गया, लेकिन जब उसने अपने कलेजे को मजबूत करते हुए कुछ करने की ठानी, तो सफलता की ऊंचाइयां छूता चला गया. दोनों हाथ गंवाने के बाद युवक अपनी जिद और जुनून से सरकारी मास्टर बन गया है. अब वह अपना जीवन एक आम आदमी की तरह जी रहा है.

दिव्यांग शिक्षक प्रदीप की दर्द भरी कहानी: मुरैना जिला मुख्यालय से करीब 65 किलोमीटर दूर पहाड़गढ़ जनपद के अंतर्गत रामनगर नामक एक गांव पड़ता है. यहां पर एक सरकारी स्कूल में दिव्यांग शिक्षक प्रदीप बच्चों को पढ़ाने के लिए आते हैं. शिक्षक प्रदीप की कहानी बड़ी दर्द भरी है. वे मूलतः भिंड जिले के रहने वाले हैं. यौवन की दहलीज पर कदम रखते ही चारा काटने वाली मशीन में उनके दोनों हाथ चले गए. लंबे इलाज के बाद डॉक्टरों ने उनके दोनों हाथ काट दिए थे. हाथ कटने के बाद एक समय तो उनको ऐसा लगा कि, बस अब तो उनकी जिंदगी यहीं पर थम गई है. लेकिन उन्होंने अपने कलेजे को कठोर करते हुए जिंदगी में कुछ करने की ठान ली.

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जुनून ने बनाया शिक्षक: उन्होंने पूरी हिम्मत व जुनून से काम किया तो सफलता उनके कदम चूमने लगी. प्रदीप ने अपनी मेहनत व लगन से एमपी शिक्षक भर्ती परीक्षा पास कर सरकारी मास्टर बन गए है. स्कूल में पढ़ाई लिखाई का काम हो या, अन्य घरेलू कामकाज, वे बिना हाथों के भी अपना हर काम आम आदमी की तरह करते हैं. दिव्यांग होने के बावजूद भी वे अपना जीवन आम आदमी की तरह बिता रहे हैं. यह सब उनकी जिद-जुनून और हौसले की वजह से ही संभव हुआ है.

Last Updated : Sep 5, 2023, 6:47 PM IST
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