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मुरैना: पासवान के निधन पर पूर्व सांसद अशोक अर्गल ने जताया शोक - पूर्व सांसद अशोक अर्गल

केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के निधन पर पूर्व सांसद अशोक अर्गल ने शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि दी. अर्गल ने कहा कि, रामविलास पासवान ऊर्जावान जननायक थे.

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रामविलास पासवान
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Published : Oct 9, 2020, 4:59 PM IST

Updated : Oct 9, 2020, 5:24 PM IST

मुरैना। केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के संस्थापक राम विलास पासवान का गुरुवार को लंबी बिमारी के बाद निधन हो गया. केंद्रीय मंत्री के निधन से देशभर में शोक की लहर है. वहीं केंद्रीय मंत्री के निधन पर पूर्व सांसद अशोक अर्गल ने शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि दी है.

पासवान के निधन पर पूर्व सांसद ने जताया शोक.

अशोक अर्गल ने कहा कि, रामविलास पासवान ऊर्जावान जननायक थे, इसलिए अभी तक के इतिहास में सबसे ज्यादा मतों से जीतने वाले नेता के रूप में उनकी पहचान बनी हुई है. 1977 से लेकर वर्तमान तक, चाहे सरकार किसी की भी रही हो, रामविलास पासवान सदैव जनहित के मुद्दों पर चर्चा करते थे.

पूर्व सांसद ने कहा कि, उनके दिवंगत पिता छविराम अर्गल 1977 में पहली बार लोकसभा के सांसद बने थे, उस समय में संसद की कार्यवाही गैलरी में बैठकर देखा करते थे. तब रामविलास पासवान एक युवा चेहरा हुआ करते थे. सदन में जयप्रकाश नारायण के आंदोलन के बाद समाजवादी राजनीति के माध्यम से वो राजनीति में ऊर्जावान नेता की छवि लेकर पहुंचे थे. उन्होंने छात्र नेता से लेकर समाजवादी आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. यही कारण था कि, वो लगातार चुने जाते रहे.

अशोक अर्गल ने कहा कि, पूर्व सांसद छविराम अर्गल के साथ दो बार और मेरे साथ 5 कार्यकालों के दौरान रामविलास पासवान सदन में रहे. इस दौरान उनके नजदीक रहने और उनसे राजनीतिक अनुभव लेने के बहुत सारे क्षण मुझे मिले. कई बार वह मुरैना के समाजवादी नेताओं के बारे में मुझसे जानकारी लिया करते थे.

मुरैना। केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के संस्थापक राम विलास पासवान का गुरुवार को लंबी बिमारी के बाद निधन हो गया. केंद्रीय मंत्री के निधन से देशभर में शोक की लहर है. वहीं केंद्रीय मंत्री के निधन पर पूर्व सांसद अशोक अर्गल ने शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि दी है.

पासवान के निधन पर पूर्व सांसद ने जताया शोक.

अशोक अर्गल ने कहा कि, रामविलास पासवान ऊर्जावान जननायक थे, इसलिए अभी तक के इतिहास में सबसे ज्यादा मतों से जीतने वाले नेता के रूप में उनकी पहचान बनी हुई है. 1977 से लेकर वर्तमान तक, चाहे सरकार किसी की भी रही हो, रामविलास पासवान सदैव जनहित के मुद्दों पर चर्चा करते थे.

पूर्व सांसद ने कहा कि, उनके दिवंगत पिता छविराम अर्गल 1977 में पहली बार लोकसभा के सांसद बने थे, उस समय में संसद की कार्यवाही गैलरी में बैठकर देखा करते थे. तब रामविलास पासवान एक युवा चेहरा हुआ करते थे. सदन में जयप्रकाश नारायण के आंदोलन के बाद समाजवादी राजनीति के माध्यम से वो राजनीति में ऊर्जावान नेता की छवि लेकर पहुंचे थे. उन्होंने छात्र नेता से लेकर समाजवादी आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. यही कारण था कि, वो लगातार चुने जाते रहे.

अशोक अर्गल ने कहा कि, पूर्व सांसद छविराम अर्गल के साथ दो बार और मेरे साथ 5 कार्यकालों के दौरान रामविलास पासवान सदन में रहे. इस दौरान उनके नजदीक रहने और उनसे राजनीतिक अनुभव लेने के बहुत सारे क्षण मुझे मिले. कई बार वह मुरैना के समाजवादी नेताओं के बारे में मुझसे जानकारी लिया करते थे.

Last Updated : Oct 9, 2020, 5:24 PM IST
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