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मुरैना: MIC की बैठक आयोजित, पूर्व नगर निगम आयुक्त की वित्तीय स्वीकृतियां अमान्य घोषित - mp news

नगर निगम मुरैना में गुरुवार को एमआईसी की बैठक का आयोजन हुआ है. बैठक में पूर्व निगम आयुक्त मूलचंद वर्मा द्वारा की गई स्वीकृतियों को प्रस्ताव लाकर शून्य घोषित कर दिया गया.

MIC की बैठक आयोजित
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Published : Aug 23, 2019, 12:21 PM IST

मुरैना। नगर निगम मुरैना में गुरुवार को एमआईसी की बैठक का आयोजन हुआ. बैठक में पूर्व नगर निगम आयुक्त मूलचंद वर्मा द्वारा दी गई स्वीकृतियों को सर्वसम्मति से शून्य घोषित कर दिया गया. ये ठेकेदारों के बीच भी खासी चर्चा का विषय बना हुआ है. एमआईसी की बैठक में 17 बिंदुओं पर चर्चा की गई.

MIC की बैठक आयोजित


पूर्व नगर निगम आयुक्त मूलचंद वर्मा के शासन द्वारा ट्रांसफर आदेश जारी होने के बाद चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए लगभग 50 करोड़ के निर्माण कार्यों को वित्तीय स्वीकृति प्रदान की थी, जो नियम विरुद्ध होने के कारण एमआईसी ने बैठक में प्रस्ताव लाकर उसे अमान्य घोषित कर दिया.


नगर निगम मुरैना द्वारा वसूल किए जाने वाले स्थायी कर जैसे जलकर, संपत्ति कर और प्रकाश कर की वसूली ना होने से निगम पर वित्तीय भार पड़ने लगा था और आर्थिक स्थिति बिगड़ रही थी. इससे विकास कार्य प्रभावित हो रहे थे. इसे ध्यान में रखते हुए नगर निगम मुरैना ने लगभग 30 करोड़ से अधिक के लंबित करों को वसूल करने के लिए अभियान चलाने का निर्णय लिया है, ताकि करों की वसूली जल्द से जल्द हो और अधोसंरचना विकास कार्य शुरू किए जा सकें. यही नहीं आगामी 14 सितंबर को लगने वाली लोक अदालत में लगभग 2 करोड़ से अधिक टैक्स वसूली का लक्ष्य रखा गया है.

मुरैना। नगर निगम मुरैना में गुरुवार को एमआईसी की बैठक का आयोजन हुआ. बैठक में पूर्व नगर निगम आयुक्त मूलचंद वर्मा द्वारा दी गई स्वीकृतियों को सर्वसम्मति से शून्य घोषित कर दिया गया. ये ठेकेदारों के बीच भी खासी चर्चा का विषय बना हुआ है. एमआईसी की बैठक में 17 बिंदुओं पर चर्चा की गई.

MIC की बैठक आयोजित


पूर्व नगर निगम आयुक्त मूलचंद वर्मा के शासन द्वारा ट्रांसफर आदेश जारी होने के बाद चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए लगभग 50 करोड़ के निर्माण कार्यों को वित्तीय स्वीकृति प्रदान की थी, जो नियम विरुद्ध होने के कारण एमआईसी ने बैठक में प्रस्ताव लाकर उसे अमान्य घोषित कर दिया.


नगर निगम मुरैना द्वारा वसूल किए जाने वाले स्थायी कर जैसे जलकर, संपत्ति कर और प्रकाश कर की वसूली ना होने से निगम पर वित्तीय भार पड़ने लगा था और आर्थिक स्थिति बिगड़ रही थी. इससे विकास कार्य प्रभावित हो रहे थे. इसे ध्यान में रखते हुए नगर निगम मुरैना ने लगभग 30 करोड़ से अधिक के लंबित करों को वसूल करने के लिए अभियान चलाने का निर्णय लिया है, ताकि करों की वसूली जल्द से जल्द हो और अधोसंरचना विकास कार्य शुरू किए जा सकें. यही नहीं आगामी 14 सितंबर को लगने वाली लोक अदालत में लगभग 2 करोड़ से अधिक टैक्स वसूली का लक्ष्य रखा गया है.

Intro:भोपाल। नगरीय निकाय चुनाव के परिसीमन और वार्ड आरक्षण का कार्यक्रम घोषित होते ही तय हो गया है कि नगरीय निकाय चुनाव अपने तय समय से कुछ महीने बाद होंगे। सरकार के इस फैसले के बाद सियासत भी तेज हो गई है आज मप्र बीजेपी के अध्यक्ष राकेश सिंह ने आरोप लगाया है कि हार के डर से कांग्रेस ने चुनाव टाले हैं और वह प्रशासकों की नियुक्ति चाहती है।भाजपा के आरोप पर कांग्रेस ने पलटवार करते कहा है कि ऐसे आरोप लगाने वालों को पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए,जिन्होंने मंडी और सहकारिता के चुनाव हार के डर से प्रशासकों की नियुक्ति की। कांग्रेस ने उन्हें हाल ही में धूल चटाई थी और आने वाले चुनाव में भी धूल चटाएंगे।


Body:भाजपा नेताओं द्वारा आज नगरीय निकाय चुनाव को लेकर आरोप लगाया है कि कांग्रेस हार के डर से नगरीय निकाय चुनाव टालना चाहती है। इस पर कांग्रेस ने कहा है की विधानसभा चुनाव की तरह नगरीय निकाय चुनाव में भी भाजपा का सूपड़ा साफ होगा। जिन लोगों ने अपनी सरकार में ना मंडी चुनाव समय पर कराए और ना सहकारिता के चुनाव समय पर कराए। वह किस मोहित से इस तरह के आरोप लगा रहे हैं।

प्रदेश के 16 नगर निगम, 98 नगर पालिका और 272 नगर परिषद में चुनाव को लेकर परिसीमन और आरक्षण का काम चल रहा है। नगरीय निकाय चुनाव में सुधार हेतु सरकार द्वारा बनाई गई मंत्री परिषद समिति भी चुनाव सुधार को लेकर निरंतर बैठक कर रही है। वर्तमान परिसीमन में वार्डों में जनसंख्या की तुलना में काफी असंतुलन है। जनता सालों से नए परिसीमन की मांग कर रही है। इसलिए परिसीमन बहुत आवश्यक है। इसकी वजह से नगरीय निकाय चुनाव में थोड़ी देरी हुई है। कांग्रेस सरकार शुरू से सोच रही है कि निष्पक्ष चुनाव संपन्न हो और बेहतर प्रतिनिधि चुनकर आए।इस चुनाव को लेकर भाजपा के सारे आरोप बेबुनियाद तथा तथ्यों के विपरीत है। डर तो बीजेपी को है कि कमलनाथ सरकार ने 9 माह में इतने जन हितेषी काम किए हैं,तो चुनाव में भाजपा उनका सामना कैसे करेगी।


Conclusion:इस बारे में मप्र कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि इस तरह की व्यवस्था समय-समय पर होती रहती है।उन्हें गलतफहमी है कि उनसे कोई भयभीत है,अभी कांग्रेस ने बीजेपी को धूल चटाई है और नगरीय निकाय चुनाव में फिर धूल चटाएगी। भाजपा जब इस तरह की बात करती है, तो उसे अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। वह बताएं कि समय निकल जाने के बाद जो 6-6 महीने और 1- 1 साल तक सहकारिता में साढे चार हजार प्रशासकों को क्यों नियुक्त किया गया था और क्यों चुनाव आगे बढ़ाए गए थे। जब वो ऐसा कर चुके हैं,तो इस तरह के बयान देकर अपने आप पर कीचड़ उठा रहे हैं।
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