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केन्द्रीय कृषि मंत्री के संसदीय क्षेत्र में खाद की किल्लत से परेशान किसान! डिमांड से काफी कम है आवक

केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र के किसान खाद की कमी से जूझ रहे हैं. किसानों का आरोप है कि कृषि विभाग ने खाद की कम डिमांड भेजी इसलिए जिले में खाद की किल्लत है. कुछ लोगों का दावा है कि इस साल जिले में सरसो का रकबा भी बढ़ा है.

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Published : Oct 1, 2021, 8:39 PM IST

केन्द्रीय कृषि मंत्री के संसदीय क्षेत्र में खाद की किल्लत से परेशान किसान
केन्द्रीय कृषि मंत्री के संसदीय क्षेत्र में खाद की किल्लत से परेशान किसान

मुरैना। चंबल अंचल की मुख्य फसल सरसों की बोवनी का समय आ गया है. किसान लंबे समय से बोवनी की तैयारी कर मेहनत कर रहे थे लेकिन ऐन वक्त पर खाद की किल्लत ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. बताया जा रहा है कि कृषि विभाग के आला अधिकारियों द्वारा प्रदेश स्तर पर जो डिमांड भेजी गई वह सिर्फ 20 हजार मीट्रिक टन थी. इसके बदले जिले को सिर्फ 9 हजार मीट्रिक टन खाद मिली. इसमें भी मुरैना आने वाली खाद में से 40 फीसदी खाद भिंड जिले को दी जानी है.

नहीं मिल रही खाद

मांग से कम भेजी गई डिमांड

मुरैना जिले में पिछले साल 1,72,000 हेक्टेयर भूमि में सरसों की बोवनी की गई थी, लेकिन इस साल सरसों के भाव ज्यादा होने के कारण किसानों का रुझान सरसों के प्रति बड़ा है. इस साल सरसो का रकबा 2,30,000 हेक्टेयर होने की उम्मीद है. हालांकि कृषि विभाग ने अभी 1,70,000 हेक्टेयर भूमि में सरसों की बोवनी होने का अनुमान जताया है. लेकिन उनका मानना यह भी है कि इस बार सरसों के भाव अधिक होने के कारण खरीद की फसल बाजरे को लेने के बाद ज्यादातर किसान उस भूमि में सरसों की बोवनी करेंगे, जिससे सरसों का रकबा बढ़ जाएगा.

इस साल सरसो का रकबा बढ़ने की उम्मीद

मुरैना जिले में 2,30,000 हेक्टेयर भूमि पर सरसों की बोवनी का अनुमान है. जिसके लिए किसान के पास महज 20 दिन का उपयुक्त समय है. इन 20 दिनों में मुरैना जिले के किसानों को रबी सीजन फसल के लिए 70,000 मीट्रिक टन खाद की जरूरत है, लेकिन कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग के उपसंचालक पीसी पटेल ने बताया उन्होंने अपने विभाग के प्रमुख को 20,000 मीट्रिक टन खाद उपलब्ध कराने की डिमांड भेजी है. जिसके एवज में अभी तक मुरैना जिले को मार्कफेड और इफको संस्थाओं के माध्यम से 3 रैक खाद की मिली है. इसमें से 40 फीसदी खास भिंड जिले को उपलब्ध कराया जा रहा है. शेष 60 फीसदी खाद को मुरैना जिले के किसानों को वितरित किया जा रहा है. एक रैक में अधिकतम तीन हजार मैट्रिक टन खाद आती है, ऐसे में अभी तक 8 से 9 हजार मीट्रिक टन खाद ही मिली है.

मांग के हिसाब से की जा रही है आपूर्ति

मुरैना जिले को मिली 3 रैक खाद

कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मुरैना जिले में तीन रैक खाद आना है. उसमें से जिले को एक रैक खाद मिली है. जबकि दो रैक आना अभी भी बाकी है. बताया जा रहा है कि अगले तीन दिनों में जिले में खाद को दो रैक आने की उम्मीद है. कृषि क्षेत्र में काम करने वाली अग्रणी संस्था इसको ने खाद वितरण में हो रही देरी को लेकर कई कारण बताए हैं. इसमें मूख्य कारण पीएसओ मशीन में ताजा रेट अपडेट नहीं होना है. मुरैना में सिर्फ बाजार में ही नहीं, शासकीय दुकानों, इसको के बिक्री केंद्र, मार्कफेड के गोदाम और वितरण केंद्रों पर भी खाद की कमी है. खाद की उपलब्धता न होने के कारण ये ज्यादातर समय बंद रहते हैं.

अधिकारियों का कहना नहीं है खाद की कमी

कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग के उपसंचालक पीसी पटेल का कहना है कि जिले में अभी खाद की कोई कमी नहीं है. लगातार मांग के अनुसार आपूर्ति की जा रही है. हमने शासन को 20,000 मीट्रिक टन और वर्क की डिमांड भेजी थी, जिसकी शासन धीरे-धीरे आपूर्ति कर रहा है. लेकिन इस आपूर्ति और मांग के बीच में जो समय का अंतर है उसको लेकर किसान अपने भविष्य को ध्यान में रखते हुए बेहद चिंतित हैं.

जिले में नहीं है खाद की किल्लत

केंद्रीय कृषि मंत्री के 'घर' में उर्वरक के लिए भिड़े किसान, गोदाम के बाहर लगी लंबी कतार

खाद एवं बीज का व्यापार करने वाले व्यापारी किसानों की इस मजबूरी का फायदा खूब उठाते हैं. इस समय भी 1205 रुपए प्रति बैग डीएपी की कीमत है, जो बाजार में उन्हें 1400 से 1500 रुपये प्रति बैग में दिया जा रहा है. कृषि विभाग के अधिकारी इसकी मॉनिटरिंग करने के बजाए पूरी तरह आश्वस्त हैं कि जब किसान शिकायत करेगा तब इसकी जांच की जाएगी.

मुरैना। चंबल अंचल की मुख्य फसल सरसों की बोवनी का समय आ गया है. किसान लंबे समय से बोवनी की तैयारी कर मेहनत कर रहे थे लेकिन ऐन वक्त पर खाद की किल्लत ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. बताया जा रहा है कि कृषि विभाग के आला अधिकारियों द्वारा प्रदेश स्तर पर जो डिमांड भेजी गई वह सिर्फ 20 हजार मीट्रिक टन थी. इसके बदले जिले को सिर्फ 9 हजार मीट्रिक टन खाद मिली. इसमें भी मुरैना आने वाली खाद में से 40 फीसदी खाद भिंड जिले को दी जानी है.

नहीं मिल रही खाद

मांग से कम भेजी गई डिमांड

मुरैना जिले में पिछले साल 1,72,000 हेक्टेयर भूमि में सरसों की बोवनी की गई थी, लेकिन इस साल सरसों के भाव ज्यादा होने के कारण किसानों का रुझान सरसों के प्रति बड़ा है. इस साल सरसो का रकबा 2,30,000 हेक्टेयर होने की उम्मीद है. हालांकि कृषि विभाग ने अभी 1,70,000 हेक्टेयर भूमि में सरसों की बोवनी होने का अनुमान जताया है. लेकिन उनका मानना यह भी है कि इस बार सरसों के भाव अधिक होने के कारण खरीद की फसल बाजरे को लेने के बाद ज्यादातर किसान उस भूमि में सरसों की बोवनी करेंगे, जिससे सरसों का रकबा बढ़ जाएगा.

इस साल सरसो का रकबा बढ़ने की उम्मीद

मुरैना जिले में 2,30,000 हेक्टेयर भूमि पर सरसों की बोवनी का अनुमान है. जिसके लिए किसान के पास महज 20 दिन का उपयुक्त समय है. इन 20 दिनों में मुरैना जिले के किसानों को रबी सीजन फसल के लिए 70,000 मीट्रिक टन खाद की जरूरत है, लेकिन कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग के उपसंचालक पीसी पटेल ने बताया उन्होंने अपने विभाग के प्रमुख को 20,000 मीट्रिक टन खाद उपलब्ध कराने की डिमांड भेजी है. जिसके एवज में अभी तक मुरैना जिले को मार्कफेड और इफको संस्थाओं के माध्यम से 3 रैक खाद की मिली है. इसमें से 40 फीसदी खास भिंड जिले को उपलब्ध कराया जा रहा है. शेष 60 फीसदी खाद को मुरैना जिले के किसानों को वितरित किया जा रहा है. एक रैक में अधिकतम तीन हजार मैट्रिक टन खाद आती है, ऐसे में अभी तक 8 से 9 हजार मीट्रिक टन खाद ही मिली है.

मांग के हिसाब से की जा रही है आपूर्ति

मुरैना जिले को मिली 3 रैक खाद

कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मुरैना जिले में तीन रैक खाद आना है. उसमें से जिले को एक रैक खाद मिली है. जबकि दो रैक आना अभी भी बाकी है. बताया जा रहा है कि अगले तीन दिनों में जिले में खाद को दो रैक आने की उम्मीद है. कृषि क्षेत्र में काम करने वाली अग्रणी संस्था इसको ने खाद वितरण में हो रही देरी को लेकर कई कारण बताए हैं. इसमें मूख्य कारण पीएसओ मशीन में ताजा रेट अपडेट नहीं होना है. मुरैना में सिर्फ बाजार में ही नहीं, शासकीय दुकानों, इसको के बिक्री केंद्र, मार्कफेड के गोदाम और वितरण केंद्रों पर भी खाद की कमी है. खाद की उपलब्धता न होने के कारण ये ज्यादातर समय बंद रहते हैं.

अधिकारियों का कहना नहीं है खाद की कमी

कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग के उपसंचालक पीसी पटेल का कहना है कि जिले में अभी खाद की कोई कमी नहीं है. लगातार मांग के अनुसार आपूर्ति की जा रही है. हमने शासन को 20,000 मीट्रिक टन और वर्क की डिमांड भेजी थी, जिसकी शासन धीरे-धीरे आपूर्ति कर रहा है. लेकिन इस आपूर्ति और मांग के बीच में जो समय का अंतर है उसको लेकर किसान अपने भविष्य को ध्यान में रखते हुए बेहद चिंतित हैं.

जिले में नहीं है खाद की किल्लत

केंद्रीय कृषि मंत्री के 'घर' में उर्वरक के लिए भिड़े किसान, गोदाम के बाहर लगी लंबी कतार

खाद एवं बीज का व्यापार करने वाले व्यापारी किसानों की इस मजबूरी का फायदा खूब उठाते हैं. इस समय भी 1205 रुपए प्रति बैग डीएपी की कीमत है, जो बाजार में उन्हें 1400 से 1500 रुपये प्रति बैग में दिया जा रहा है. कृषि विभाग के अधिकारी इसकी मॉनिटरिंग करने के बजाए पूरी तरह आश्वस्त हैं कि जब किसान शिकायत करेगा तब इसकी जांच की जाएगी.

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