मुरैना। मध्यप्रदेश के सीधी में अनियंत्रित होकर बस के नहर में गिरने से 49 लोगों की मौत हो गई. इस हादसे ने परिवहन विभाग द्वारा की जा रही यात्री वाहनों की मॉनिटरिंग और यातायात नियमों के पालन की व्यवस्था की असलियत सामने लाकर रख दी है. सड़कों पर कहीं अनियंत्रित वाहनों को नियंत्रित करने के लिए चेकिंग नहीं होती. बस वाले यात्रियों को ओवरलोड करके लेकर जाते हैं. जिस पर किसी तरह का कोई अंकुश परिवहन विभाग का नहीं है. वहीं ईटीवी भारत ने आज मुरैना बस स्टैंड से कई शहरों व ग्रामीण क्षेत्र के लिए जा रही यात्री बसों का रियलिटी चेक किया. जिसमें क्षमता से अधिक सवारियां ले जाना सामने आया. बस संचालकों की अधिक मुनाफा कमाने की नियत के साथ-साथ मजबूरी भी है, क्योंकि क्षेत्र में बड़ी संख्या में यात्री आते जाते हैं. लेकिन यातायात के संसाधनों का अभाव है. इसलिए लोग मजबूरन क्षमता से अधिक बस यात्री बसों में ले जाया करते हैं.
मुरैना बस स्टैंड से लगभग 200 यात्री बसें हर दिन मुरैना से ग्वालियर, मुरैना से धौलपुर आगरा, मुरैना से सबलगढ़ और श्योपुर तक और मुरैना से पोरसा भिंड के लिए निकलती है. मुरैना बस स्टैंड पर बसों में यात्रा कर रहे यात्रियों के रियलिटी को चेक किया तो सामने आया कि बसों में बस स्टैंड से निकलते समय तो यात्रियों की क्षमता सीटों के अनुसार है, लेकिन जैसे-जैसे यह यात्री बस बस स्टैंड से निकलकर रास्ते से होते हुए यात्रियों को पिकअप करती हुई जाती है. बसों में क्षमता अधिक होती चली जाती है.
रियलिटी चेक: रायसेन में यात्री बसों की हालत खस्ता
2 सैकड़ा से अधिक बसें जाती हैं मुरैना बस स्टैंड से हर दिन
मुरैना बस स्टैंड से ग्वालियर की ओर लगभग 60 से 70 यात्री बसें सवारियों को लाती ले जाती हैं तो मुरैना से अंबाह-पोरसा और भिंड के लिए भी लगभग एक सैकड़ा बस जाती है. इसी तरह मुरैना से जौरा, सबलगढ़, कैलारस और श्योपुर होते हुए शिवपुरी तक 40 से 50 यात्री बसें चलती हैं. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र के लिए मुरैना से बागचीनी मुरैना से देवगढ़, मुरैना से सुमावली, मुरैना से पहाड़गढ़ जैसे अनेक रूप हैं. जहां ग्रामीण क्षेत्रों में यात्री बसें नियमित रूप से आती है. ग्रामीण क्षेत्रों में जाने वाली बसें अत्यधिक क्षमता के साथ जाती हैं. क्योंकि क्षेत्र और आबादी बढ़ी है लेकिन वाहनों के परमिट कम है.
अच्छी सड़कें भी हैं दुर्घटना का कारण
मुरैना से ग्वालियर संचालित होने वाली बस के ऑपरेटर ने बताया कि मुरैना से जाने वाली बसें कई रूटों पर यात्री वाहनों की संख्या कम होने के कारण मजबूरन यात्रियों को ओवरलोड की स्थिति में बैठा कर ले जाना पड़ता है. दूसरा कारण यह भी है कि क्षेत्रों में अच्छी सड़कें होने के कारण वाहन तेज रफ्तार में चलते हैं. जो कई बार हादसे का शिकार बनते हैं. पुलिस और परिवहन विभाग को इन सड़कों पर जगह-जगह वैकीकेड्टस व स्पीड ब्रेकर की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि स्पीड को नियंत्रित किया जा सके.