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विद्युत मंडल कर्मचारियों ने किया निजीकरण का विरोध, कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन - विद्युत मंडल का निजीकरण

मुरैना जिले में विद्युत मंडल के कर्मचारियों ने निजीकरण संबंधी नीतियों का विरोध करते हुए जमकर विरोध किया. इस दौरान सीएम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा गया.

protest against privatization
निजीकरण का विरोध
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Published : Nov 26, 2020, 8:33 PM IST

मुरैना। मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के कर्मचारियों ने आज सरकार की निजीकरण संबंधी नीतियों का विरोध करते हुए जोरदार प्रदर्शन किया. इस दौरान रैली निकालकर कर्मचारी भानगढ़ कलेक्ट्रेट पहुंचे, जहां मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के नाम पर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर निगम मंडलों के निजीकरण को वापस लिए जाने की मांग की गई.

कर्मचारियों का मानना है कि, निजीकरण से हमेशा कर्मचारी और उपभोक्ताओं के हितों का हनन होता है. इसलिए यह सरकार का उचित कदम नहीं है. संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले आंदोलन का नेतृत्व कर रहे विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के महाप्रबंधक का कहना है, अगर सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत अनुदान की राशि मंडल को वापस कर दें, तो मंडलों का घाटा समाप्त हो जाएगा.

पढ़े: निजीकरण को लेकर विद्युत कर्मचारी-अधिकारियों ने किया विरोध, कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के घाटे में जाने के पीछे सरकार की लोकलुभावन योजनाएं भी हैं. अगर इन राशियों का सरकार भुगतान समय से कर दें, तो विभाग फायदे में ही रहेगा, क्योंकि ऐसा कोई विभाग नहीं है, जो इतने कम संसाधन और कर्मचारियों में इतनी बड़ी विद्युत व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित कर सकें.

इस दौरान निजीकरण संबंधी नीतियों का विरोध कर रहे कर्मचारियों ने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार अपनी नीतियों को वापस नहीं लेती है, तो भविष्य में प्रदर्शन किया जायेगा, जिसकी योजना संगठन द्वारा प्रदेश स्तर पर बनाई जा रही है.

मुरैना। मध्य प्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के कर्मचारियों ने आज सरकार की निजीकरण संबंधी नीतियों का विरोध करते हुए जोरदार प्रदर्शन किया. इस दौरान रैली निकालकर कर्मचारी भानगढ़ कलेक्ट्रेट पहुंचे, जहां मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के नाम पर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर निगम मंडलों के निजीकरण को वापस लिए जाने की मांग की गई.

कर्मचारियों का मानना है कि, निजीकरण से हमेशा कर्मचारी और उपभोक्ताओं के हितों का हनन होता है. इसलिए यह सरकार का उचित कदम नहीं है. संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले आंदोलन का नेतृत्व कर रहे विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के महाप्रबंधक का कहना है, अगर सरकार विभिन्न योजनाओं के तहत अनुदान की राशि मंडल को वापस कर दें, तो मंडलों का घाटा समाप्त हो जाएगा.

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विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के घाटे में जाने के पीछे सरकार की लोकलुभावन योजनाएं भी हैं. अगर इन राशियों का सरकार भुगतान समय से कर दें, तो विभाग फायदे में ही रहेगा, क्योंकि ऐसा कोई विभाग नहीं है, जो इतने कम संसाधन और कर्मचारियों में इतनी बड़ी विद्युत व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित कर सकें.

इस दौरान निजीकरण संबंधी नीतियों का विरोध कर रहे कर्मचारियों ने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार अपनी नीतियों को वापस नहीं लेती है, तो भविष्य में प्रदर्शन किया जायेगा, जिसकी योजना संगठन द्वारा प्रदेश स्तर पर बनाई जा रही है.

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