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करोड़ों की लागत से प्रशासन ने कराया था पौधारोपण, अब पानी के अभाव में सूख रहे पौधे

मुरैना जिला प्रशासन ने 22 स्थानों पर करोड़ों रूपए की लागत से वृक्षारोपण मनरेगा योजना के तहत किया था. लेकिन स्थानीय अमले की उदासीनता के चलते रोपे गए पौधों में से अधिकांश पौधे देख-रेख और पानी के अभाव में सूख गये हैं.

Plant drought costing crores
करोड़ों की लागत से लगे पौधे सूखे
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Published : Feb 24, 2020, 1:02 PM IST

Updated : Feb 24, 2020, 1:27 PM IST

मुरैना। पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने के लिए मुरैना जिला प्रशासन ने 22 स्थानों पर करोड़ों रूपए की लागत से वृक्षारोपण मनरेगा योजना के तहत कराया था. लेकिन स्थानीय अमले की उदासीनता के चलते रोपे गए पौधों में से अधिकांश पौधे देख-रेख और पानी के अभाव में सूख गए हैं.

करोड़ों की लागत से लगे पौधे सूखे

करोड़ों किए गए थे खर्च

साल 2012-13 में मनरेगा योजना के तहत शासन ने जिलेभर में ऐसी सरकारी जमीनों को चिन्हित किया, जो लंबे समय से खाली पड़ी हैं, उन पर करोड़ों रूपए की लागत से वृक्षारोपण का कार्य किया गया. जिसके तहत स्थानीय मजदूरों को मनरेगा के तहत गड्डे खोदने का काम भी दिया गया, बाद में 40-60 के औसत से पौधे लगाये गए.

लगाए गए पौधों में 60 प्रतिशत जंगली पौधे और 40 प्रतिशत फलदार रोपे गए थे. शुरूआत में तो इन जगहों की तार फैंसिंग कराकर आवारा पशुओं से बचाकर रखने का इंतजाम भी किया गया था. साथ ही पौधों को पानी देने के लिए बाकायदा टैंकरों की व्यवस्था की गई थी. इसके अलावा एक ग्रामीण सुरक्षा गार्ड भी तैनात किया गए थे.

कुछ महीनों तक ये व्यवस्था चली बाद में सब कुछ बंद कर दिया गया, जिसके बाद देख-रेख और पानी के अभाव में पौधे नष्ट हो गये. जब कलेक्टर से इस बारे में बात की गई तो उनका कहना है कि इन जगहों पर सोलर पंप लगाए जाएंगें, ताकि पानी के अभाव में पौधे नष्ट न हों.

मुरैना। पर्यावरण को संतुलित बनाए रखने के लिए मुरैना जिला प्रशासन ने 22 स्थानों पर करोड़ों रूपए की लागत से वृक्षारोपण मनरेगा योजना के तहत कराया था. लेकिन स्थानीय अमले की उदासीनता के चलते रोपे गए पौधों में से अधिकांश पौधे देख-रेख और पानी के अभाव में सूख गए हैं.

करोड़ों की लागत से लगे पौधे सूखे

करोड़ों किए गए थे खर्च

साल 2012-13 में मनरेगा योजना के तहत शासन ने जिलेभर में ऐसी सरकारी जमीनों को चिन्हित किया, जो लंबे समय से खाली पड़ी हैं, उन पर करोड़ों रूपए की लागत से वृक्षारोपण का कार्य किया गया. जिसके तहत स्थानीय मजदूरों को मनरेगा के तहत गड्डे खोदने का काम भी दिया गया, बाद में 40-60 के औसत से पौधे लगाये गए.

लगाए गए पौधों में 60 प्रतिशत जंगली पौधे और 40 प्रतिशत फलदार रोपे गए थे. शुरूआत में तो इन जगहों की तार फैंसिंग कराकर आवारा पशुओं से बचाकर रखने का इंतजाम भी किया गया था. साथ ही पौधों को पानी देने के लिए बाकायदा टैंकरों की व्यवस्था की गई थी. इसके अलावा एक ग्रामीण सुरक्षा गार्ड भी तैनात किया गए थे.

कुछ महीनों तक ये व्यवस्था चली बाद में सब कुछ बंद कर दिया गया, जिसके बाद देख-रेख और पानी के अभाव में पौधे नष्ट हो गये. जब कलेक्टर से इस बारे में बात की गई तो उनका कहना है कि इन जगहों पर सोलर पंप लगाए जाएंगें, ताकि पानी के अभाव में पौधे नष्ट न हों.

Last Updated : Feb 24, 2020, 1:27 PM IST
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