मुरैना। जिला अस्पताल की नई बिल्डिंग की तीसरी मंजिल पर DEIC (डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर) शुरू किया गया है. इस सेंटर के शुरू होते ही मुरैना जिला अस्पताल देश का पहला ऐसा अस्पताल बन जाएगा, जहां पर एक ही छत के नीचे बच्चों की सभी बीमारियों का उपचार होगा. इसके लिए डीईआईसी यूनिट में डेंटिस्ट, सायकॉलोजिस्ट, स्पेशल केटरेक्ट,ऑडियोलॉजिस्ट डॉक्टर की तैनाती के साथ स्पीच थेरेपी की व्यवस्था भी की है. इससे लोगों के समय और धन की बचत होगी. इसके अलावा बच्चों के मनोरंजन से संबंधित तमाम संसाधन मुहैया कराए गए हैं. जहां बच्चे आनंद पूर्वक माहौल प्राप्त कर सकें. जिला अस्पताल प्रबंधन के अनुसार नई विंग का जल्द ही शुभारंभ कराया जाएगा.
ऑडियोलॉजिस्ट की हुई पदस्थापना: जिला अस्पताल में पीआईसी, एनआरसी व डीआईसी की व्यवस्था पहले से थी. इसलिए यहां पर बच्चों के जन्म से लेकर गहन चिकित्सा इकाई व कुपोषण का उपचार किया जा रहा था. आम तौर पर यह व्यवस्था मध्य प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में उपलब्ध थी, लेकिन तालु से ग्रसित बच्चों के उपचार के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी. यहां तक कि मध्य प्रदेश के किसी भी निजी अस्पताल में इस बीमारी के उपचार की व्यवस्था नहीं थी. इसलिए इस बीमारी से ग्रसित बच्चों के परिजन अपने बच्चों का इलाज करवाने के लिए दिल्ली अथवा जयपुर ले जाते थे. इसलिए उनका समय और धन दोनों की बर्बादी होती थी. लेकिन मुरैना जिला अस्पताल में डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर स्थापित होने से अब इस बीमारी का उपचार मध्य प्रदेश में ही होगा. इसके लिए सेंटर में ऑडियोलॉजिस्ट डॉ. ललिता राय की पदस्थापना की गई है.
स्पीच थेरेपी से बोलने में असमर्थ बच्चों का इलाज: महिला डॉक्टर तालू के उपचार ले साथ ही बोलने में असमर्थ बच्चों का उपचार स्पीच थेरेपी से करेंगी. ऑडियोलॉजिस्ट डॉक्टर के साथ ही यहां पर एक दंत चिकित्सक की पदस्थापना भी की गई है. इसके अलावा इस सेंटर में बच्चों के हर्ट, दिल में छेद व अन्य गंभीर बीमारियों का उपचार भी किया जाएगा. हालांकि सेंटर में अभी अन्य विशेषज्ञ डॉक्टरों की पदस्थापना होना बाकी है. आरएमओ डॉ. सुरेंद्र गुर्जर ने बताया कि ''डीईआइसी शुरू होने से मुरैना जिला अस्पताल मध्य प्रदेश का पहला ऐसा अस्पताल बन गया है, जहां एक ही छत के नीचे बच्चों की सभी बीमारियों का उपचार किया जाएगा. अभी तक तालू से ग्रसित बच्चों को उपचार के दिल्ली या जयपुर ले जाया जाता था, लेकिन अब इसका उपचार मुरैना में ही होगा. इससे लोगों के समय और धन दोनों की बचत होगी, सेंटर में अभी एक ऑडियोलॉजिस्ट डॉक्टर व दंत चिकित्सक की पदस्थापना की गई है''.
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यूनिट में मनोरंजन के संसाधन मौजूद: सीएमएचओ डॉ. राकेश शर्मा ने बताया कि ''जिला अस्पताल की नई बिल्डिंग में तैयार कराई गई विंग में विभिन्न प्रकार की थैरेपी के साथ-साथ बच्चों के मनोरंजन से संबंधित तमाम संसाधन मुहैया कराए गए हैं. जहां बच्चे आनंदपूर्वक माहौल प्राप्त कर सकें, नई विंग का जल्द ही शुभारंभ कराया जाएगा''. बता दें कि मुरैना जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य प्रोग्राम के तहत 40 हजार 973 बच्चे अलग-अलग बीमारियों के खोजे गए हैं. इनमें से 39 हजार 382 बच्चों को चिन्हित किया गया और 38 हजार 556 बच्चों का सफलतापूर्वक इलाज किया गया है.
बच्चों को चिन्हित इस तरह किया जाता है: राष्ट्रीय बाल कल्याण कर्यक्रम के तहत शून्य से 18 वर्ष तक के मानसिक व शारीरिक रूप से दिव्यांग, दिल में छेद, आंखों में तिरछापन,पीठ में फोड़ा, पैरों के टेड़ेपन जैसी बीमारियों से ग्रसित बच्चों को चिन्हित करने के लिए ब्लॉक स्तर पर टीमें स्कूल-आंगनबाड़ी केंद्रों पर जाकर बच्चों को चिन्हित किया जाता है. हल्की बीमारियों वाले बच्चों को मौके पर ही दवाईयां दी जातीं हैं अथवा उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर इलाज मुहैया कराया जाता है. वहीं गंभीर बीमारियों वाले मरीजों को जिला मुख्यालय पर भेजा जाता है. यहां इन बच्चों को अलग-अलग थैरेपी के जरिए इलाज दिया जाता है और 6.50 लाख के नि:शुल्क ऑपरेशन भी कराए जाते हैं.