मुरैना। लगातार बढ़ रही कड़ाके की ठंड, गिरते तापमान और शीत लहर के कारण फसलों पर पाले का संकट बना हुआ है. जिले में सर्वाधिक सरसों की फसल उगाई जाती है. साथ ही सब्जी भी पाले का शिकार हो सकती है, क्योंकि लगातार ठंड बढ़ती जा रही है कोहरा भी घना रहता है. ऐसी स्थिति में शीतलहर चलने से क्षेत्र की फसलें पाले का शिकार हो सकती है.
आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा अंचल के किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए एडवाइजरी जारी की गई है. फसल विशेषज्ञ ने पाले के संकट से बचने के लिए फसलों पर अलाव और धुंआ उत्तर दिशा की तरफ खेत के सिरे से करने की सलाह दी है. ऐसा करने से शीतलहर से धुंआ सारे खेत की तरफ जाएगा और फसल की फूल और बाली पर ओस नहीं जम पाएगी. साथ ही किसानों को ये भी सलाह दी जा रही है कि अपने खेत के उत्तर पूर्वी हिस्से पर किसान ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं जो उत्तर पूर्व दिशा से चलने वाली शीत लहर वाली हवाओं को रोककर खेतों में खड़ी फसल पर बर्फ जमने से बचाने में मददगार साबित हो.
जिले में एक लाख 80 हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में सरसों की फसल खड़ी है. इसके अलावा सब्जी वाली फसलें चना और मटर सहित अन्य ऐसी फसलें जो पाले का शिकार हो सकते हैं. 10 हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में रबी की फसल पर पाले का संकट होने को लेकर वैज्ञानिक चिंतित हैं. खरीफ की फसल में अतिवृष्टि और बाढ़ के कारण किसान पहले से ही प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहे हैं.