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गिरते तापमान और कोहरे के कारण फसलों पर पाले का संकट

मुरैना में शीत लहर के कारण फसलों पर पाले का संकट बना हुआ है. जिसके चलते आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है.

Crisis on crops due to falling temperature and fog
गिरते तापमान और कोहरे के कारण फसलों पर पाले का संकट
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Published : Dec 31, 2019, 8:20 PM IST

मुरैना। लगातार बढ़ रही कड़ाके की ठंड, गिरते तापमान और शीत लहर के कारण फसलों पर पाले का संकट बना हुआ है. जिले में सर्वाधिक सरसों की फसल उगाई जाती है. साथ ही सब्जी भी पाले का शिकार हो सकती है, क्योंकि लगातार ठंड बढ़ती जा रही है कोहरा भी घना रहता है. ऐसी स्थिति में शीतलहर चलने से क्षेत्र की फसलें पाले का शिकार हो सकती है.

गिरते तापमान और कोहरे के कारण फसलों पर पाले का संकट

आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा अंचल के किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए एडवाइजरी जारी की गई है. फसल विशेषज्ञ ने पाले के संकट से बचने के लिए फसलों पर अलाव और धुंआ उत्तर दिशा की तरफ खेत के सिरे से करने की सलाह दी है. ऐसा करने से शीतलहर से धुंआ सारे खेत की तरफ जाएगा और फसल की फूल और बाली पर ओस नहीं जम पाएगी. साथ ही किसानों को ये भी सलाह दी जा रही है कि अपने खेत के उत्तर पूर्वी हिस्से पर किसान ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं जो उत्तर पूर्व दिशा से चलने वाली शीत लहर वाली हवाओं को रोककर खेतों में खड़ी फसल पर बर्फ जमने से बचाने में मददगार साबित हो.

जिले में एक लाख 80 हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में सरसों की फसल खड़ी है. इसके अलावा सब्जी वाली फसलें चना और मटर सहित अन्य ऐसी फसलें जो पाले का शिकार हो सकते हैं. 10 हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में रबी की फसल पर पाले का संकट होने को लेकर वैज्ञानिक चिंतित हैं. खरीफ की फसल में अतिवृष्टि और बाढ़ के कारण किसान पहले से ही प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहे हैं.

मुरैना। लगातार बढ़ रही कड़ाके की ठंड, गिरते तापमान और शीत लहर के कारण फसलों पर पाले का संकट बना हुआ है. जिले में सर्वाधिक सरसों की फसल उगाई जाती है. साथ ही सब्जी भी पाले का शिकार हो सकती है, क्योंकि लगातार ठंड बढ़ती जा रही है कोहरा भी घना रहता है. ऐसी स्थिति में शीतलहर चलने से क्षेत्र की फसलें पाले का शिकार हो सकती है.

गिरते तापमान और कोहरे के कारण फसलों पर पाले का संकट

आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा अंचल के किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए एडवाइजरी जारी की गई है. फसल विशेषज्ञ ने पाले के संकट से बचने के लिए फसलों पर अलाव और धुंआ उत्तर दिशा की तरफ खेत के सिरे से करने की सलाह दी है. ऐसा करने से शीतलहर से धुंआ सारे खेत की तरफ जाएगा और फसल की फूल और बाली पर ओस नहीं जम पाएगी. साथ ही किसानों को ये भी सलाह दी जा रही है कि अपने खेत के उत्तर पूर्वी हिस्से पर किसान ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं जो उत्तर पूर्व दिशा से चलने वाली शीत लहर वाली हवाओं को रोककर खेतों में खड़ी फसल पर बर्फ जमने से बचाने में मददगार साबित हो.

जिले में एक लाख 80 हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में सरसों की फसल खड़ी है. इसके अलावा सब्जी वाली फसलें चना और मटर सहित अन्य ऐसी फसलें जो पाले का शिकार हो सकते हैं. 10 हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में रबी की फसल पर पाले का संकट होने को लेकर वैज्ञानिक चिंतित हैं. खरीफ की फसल में अतिवृष्टि और बाढ़ के कारण किसान पहले से ही प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहे हैं.

Intro:अंचल में लगातार बढ़ रही कड़ाके की ठंड गिरते तापमान और शीत लहर के कारण फसलों पर पाले का संकट बना हुआ है ज्ञात हो कि अंचल में सर्वाधिक सरसों की फसल उगाई जाती है साथ ही सब्जी वाली फसलें भी पाले का शिकार हो सकती हैं क्योंकि लगातार ठंड बढ़ती जा रही है कोहरा भी घना रहता है ऐसी स्थिति में शीतलहर चलने से अंचल की फसलें पाले का शिकार हो सकती हैं .।


Body:आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा अंचल के किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए एडवाइजरी जारी की है कि किसान लगातार पाले के संकट से बचने के लिए फसलों पर अलाव लगाएं और धुंआ उत्तर दिशा की तरफ खेत के सिरे से करें ताकि चलने वाली शीतलहर से धुंआ सारे खेत की तरफ जाए और ओस को फसल की फूल और बाली पर जमने एवं बर्फ बनने से रोके । साथ ही किसानों को यह भी सलाह दी जा रही है अपने खेत के उत्तर पूर्वी हिस्से पर किसान अधिक से अधिक वृक्ष लगाएं जो उत्तर पूर्व दिशा से चलने वाली शीत लहर वाली हवाओं को रोककर खेतों में खड़ी फसल पर बर्फ जमने से बचाने में मददगार साबित हो ।


Conclusion:ज्ञात हो कि मुरैना जिले में एक लाख 80 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सरसों की फसल खड़ी है इसके अलावा सब्जी वाली फसलें चना और मटर सहित अन्य ऐसी फसलें जो पहले का शिकार हो सकते हैं 10000 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में हैं मुरैना जिले में रबी की फसल पर पालिका संकट होने को लेकर वैज्ञानिक चिंतित हैं इससे पूर्व भी खरीफ की फसल में अतिवृष्टि और बाढ़ के कारण पहले से ही किसान प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहे हैं ।
बाईट 1 - डॉ वाय पी सिंह -सरसो एवं राई फसल विशेषज्ञ , कृषि अनुसंधान केंद्र मुरैना
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