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मकर संक्रांति पर दोगुना हुआ गजक का व्यापार, दुकानदारों के भी खिले चेहरे - मुरैना में तेजी से बढ़ रहा गजक

मुरैना की गजक की मिठास चंबल से लेकर देश और विदेश तक फैली हुई है. सर्दी के मौसम में गजक का व्यापार जोरों पर होता है. मकर संक्राति पर होने वाली पूजा में तिलकुट के इस्तेमाल के चलते गजक का व्यापार आम दिनों के मुकाबले दोगुना से भी अधिक हो जाता है.

gajak
गजक
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Published : Jan 14, 2020, 1:43 PM IST

Updated : Jan 14, 2020, 3:36 PM IST

मुरैना। चंबल अंचल में बसा मुरैना अपनी नायाब और बेहद खास चीज गजक के लिए पूरे देश में मशहूर है. जिसका नाम सुनते ही स्वाद के शौकीनों के मुंह में पानी आ जाता है. सर्दी के सीजन में तो गजक का व्यापार जोरों पर होता है, जो भी इस गजक का स्वाद एक बार चख लेता है, वो कभी नहीं भूलता.

सर्दियों में बढ़ी गजक की डिमांड

सर्दियों में बनने वाली गजक का मकर संक्रांति पर विशेष महत्व होता है. मकर संक्राति पर होने वाली पूजा में तिलकुट के इस्तेमाल के चलते गजक का व्यापार आम दिनों के मुकाबले दोगुना हो जाता है. जबकि इस बार तो मुरैना में खासतौर पर गजक महोत्सव भी मनाया गया. जिससे गजक का अलग अलग स्वाद लोगों की जुबान तक पहुंचा.

gajak story
गजक बनाते हलवाई

इस गजक का इतिहास लगभग 80 साल पुराना है, जिसे सर्दियों का टॉनिक भी कहा जाता है. गजक स्वाद के साथ-साथ औषधि का काम भी करती है. गजक व्यापारी आकाश शिवहरे बताते हैं कि, गजक सर्दियों में शरीर को गर्म रखती है. जिसके चलते सर्दियों में इसकी मांग ज्यादा रहती है. यह गजक खाने में जितनी स्वादिष्ट होती है. इसको बनाने में उससे कही ज्यादा मेहनत लगती है. जमीन पर बैठकर हथौड़े से तिल को कूटते ये हलवाई गजक बना रहे हैं. जिन्हें देखकर इतना तो कहा ही जा सकता है कि, गजक की मिठास काफी मेहनत के बाद हमे मिलती है.

gajak story
अलग-अलग प्रकार की गजक

कभी एमपी और यूपी तक फेमस रही मुरैना की गजक, आज पूरी दुनिया में अपनी छाप छोड़ रही है. जिसका स्वाद दुनियाभर के लोगों के मुंह में मिठास घोल रही है. आज मुरैना की गजक पूरे देश में चंबल और मध्यप्रदेश की एक बड़ी पहचान बनकर उभरी है और इस साल तो अच्छी सर्दी पड़ने से लोग जमकर गजक का लुफ्त उठा रहे हैं.

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गजक खरीदते लोग

मुरैना। चंबल अंचल में बसा मुरैना अपनी नायाब और बेहद खास चीज गजक के लिए पूरे देश में मशहूर है. जिसका नाम सुनते ही स्वाद के शौकीनों के मुंह में पानी आ जाता है. सर्दी के सीजन में तो गजक का व्यापार जोरों पर होता है, जो भी इस गजक का स्वाद एक बार चख लेता है, वो कभी नहीं भूलता.

सर्दियों में बढ़ी गजक की डिमांड

सर्दियों में बनने वाली गजक का मकर संक्रांति पर विशेष महत्व होता है. मकर संक्राति पर होने वाली पूजा में तिलकुट के इस्तेमाल के चलते गजक का व्यापार आम दिनों के मुकाबले दोगुना हो जाता है. जबकि इस बार तो मुरैना में खासतौर पर गजक महोत्सव भी मनाया गया. जिससे गजक का अलग अलग स्वाद लोगों की जुबान तक पहुंचा.

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गजक बनाते हलवाई

इस गजक का इतिहास लगभग 80 साल पुराना है, जिसे सर्दियों का टॉनिक भी कहा जाता है. गजक स्वाद के साथ-साथ औषधि का काम भी करती है. गजक व्यापारी आकाश शिवहरे बताते हैं कि, गजक सर्दियों में शरीर को गर्म रखती है. जिसके चलते सर्दियों में इसकी मांग ज्यादा रहती है. यह गजक खाने में जितनी स्वादिष्ट होती है. इसको बनाने में उससे कही ज्यादा मेहनत लगती है. जमीन पर बैठकर हथौड़े से तिल को कूटते ये हलवाई गजक बना रहे हैं. जिन्हें देखकर इतना तो कहा ही जा सकता है कि, गजक की मिठास काफी मेहनत के बाद हमे मिलती है.

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अलग-अलग प्रकार की गजक

कभी एमपी और यूपी तक फेमस रही मुरैना की गजक, आज पूरी दुनिया में अपनी छाप छोड़ रही है. जिसका स्वाद दुनियाभर के लोगों के मुंह में मिठास घोल रही है. आज मुरैना की गजक पूरे देश में चंबल और मध्यप्रदेश की एक बड़ी पहचान बनकर उभरी है और इस साल तो अच्छी सर्दी पड़ने से लोग जमकर गजक का लुफ्त उठा रहे हैं.

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गजक खरीदते लोग
Intro:एंकर - मुरैना की गजक की मिठास चंबल से लेकर देश और विदेश तक फैली हुई है। वैसे तो सर्दी के समय में गजक का व्यापार जोरों पर होता है, पर मकर संक्राति पर होने वाली पूजा में तिलकुट के इस्तेमाल के चलते गजक का व्यापार आम दिनों से दुगने से भी अधिक हो जाता है। साल में चार महीनों में बनने वाली गजक का मकर संक्रांति पर विशेष महत्व होता है। खासकर इस साल गजक महोत्सव मनाया गया जिससे की गजक के अलग अलग स्वाद लोगों तक पहुंच सके। गजक की सादा पट्टी के अलावा रोल गजक के समोसे, पट्टी गजक, गजक की बर्फी, चॉकलेट गजक जैसे कई नए स्वाद की गजक के साथ लोगों को मिलेंगे।


Body:वीओ1 - मुरैना में बनने वाली गजक का इतिहास लगभग 80 साल पुराना है।आज गजक का व्यापार बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। मुरैना में लगभग छोटे-बड़े 200 से अधिक दुकानदार हैं, जो गजक बनाने का काम करते हैं।औसतन 100 किलो गजक हर व्यापारी 1 दिन में तैयार कर बेच लेता है। मुरैना की गजक ना अंचल में बल्कि पूरे देश भर यहां से तैयार होकर जाती है और तो कई लोग ऐसे भी हैं जो विदेश जाकर बस गए हैं वह भी इस ग़ज़क को मंगवाते हैं। अगर ये कहे तो मुरैना की गजक एक उद्योग के तौर पर सामने आई है तो गलत नहीं होगा। अनुमान मुरैना में 1 दिन में 25 लाख की गजक बन जाती है।साल में सर्दियों के चार महीनों में बनने वाली गजक का मकर संक्रांति पर विशेष महत्व होता है। इस बार सर्दी भी अच्छी पड़ी है जिससे दुकानदारों का गजक का काम दोगुना हो गया है।मकर संक्रांति को लेकर ये दुकानदार अपनी अपनी दुकानों को फूल मालाओं से सजाया भी जाएगा है।


बाइट1 - आकाश शिवहरे - दुकानदार मुरैना।
(टोपी पहने हुए है)


वीओ2 - गजक कारीगर की माने तो गजक बनाने का काम साल में केवल 4 महीने ही होता है। गजक में मिलाने वाली तिल को सबसे पहले बुंझा जाता है।गुड़ की चाशनी बनाकर उसको खींचा जाता है फिर उसकी कुटाई की जाती है जितनी अधिक कुटाई होती है।उतनी ही गजक खस्ता बनती है,इसलिए मुरैना की गजक को लेने के लिए आसपास के जिलों सहित अन्य राज्यों के लोग यहां आते है।मुरैना की गजक में जो स्वाद आता है वो है यहां के पानी की तासीर।जो अन्य जगह शहरों में गजक बनाने पर स्वाद नही आता है।मकर संक्रांति पर गजक बनाने का काम और तेज़ हो जाता है।

बाइट2 - विजय - ग्राहक आगरा।
बाइट3 - पंकज गोस्वामी - कारीगर।


Conclusion:वीओ3 - मुरैना की गजक का स्वाद अपने आप में जुदा है। यही कारण है कि देश और विदेश में रहने वाले लोग मुरैना में रहने वाले अपने रिश्तेदारों से गजक भेजने की डिमांड करते रहते हैं।मुरैना की गजक के बेहतरीन स्वाद के पीछे का प्रमुख कारण यहां का पानी है। तभी तो कई लोग मुरैना से देश के अन्य शहरों में यहां से कारीगर लेकर गए पर उन्हें वहां बनी गजक से मुरैना वाला स्वाद नहीं मिल पाया।
Last Updated : Jan 14, 2020, 3:36 PM IST
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