मुरैना। चंबल अंचल में बसा मुरैना अपनी नायाब और बेहद खास चीज गजक के लिए पूरे देश में मशहूर है. जिसका नाम सुनते ही स्वाद के शौकीनों के मुंह में पानी आ जाता है. सर्दी के सीजन में तो गजक का व्यापार जोरों पर होता है, जो भी इस गजक का स्वाद एक बार चख लेता है, वो कभी नहीं भूलता.
सर्दियों में बनने वाली गजक का मकर संक्रांति पर विशेष महत्व होता है. मकर संक्राति पर होने वाली पूजा में तिलकुट के इस्तेमाल के चलते गजक का व्यापार आम दिनों के मुकाबले दोगुना हो जाता है. जबकि इस बार तो मुरैना में खासतौर पर गजक महोत्सव भी मनाया गया. जिससे गजक का अलग अलग स्वाद लोगों की जुबान तक पहुंचा.
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इस गजक का इतिहास लगभग 80 साल पुराना है, जिसे सर्दियों का टॉनिक भी कहा जाता है. गजक स्वाद के साथ-साथ औषधि का काम भी करती है. गजक व्यापारी आकाश शिवहरे बताते हैं कि, गजक सर्दियों में शरीर को गर्म रखती है. जिसके चलते सर्दियों में इसकी मांग ज्यादा रहती है. यह गजक खाने में जितनी स्वादिष्ट होती है. इसको बनाने में उससे कही ज्यादा मेहनत लगती है. जमीन पर बैठकर हथौड़े से तिल को कूटते ये हलवाई गजक बना रहे हैं. जिन्हें देखकर इतना तो कहा ही जा सकता है कि, गजक की मिठास काफी मेहनत के बाद हमे मिलती है.
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कभी एमपी और यूपी तक फेमस रही मुरैना की गजक, आज पूरी दुनिया में अपनी छाप छोड़ रही है. जिसका स्वाद दुनियाभर के लोगों के मुंह में मिठास घोल रही है. आज मुरैना की गजक पूरे देश में चंबल और मध्यप्रदेश की एक बड़ी पहचान बनकर उभरी है और इस साल तो अच्छी सर्दी पड़ने से लोग जमकर गजक का लुफ्त उठा रहे हैं.
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