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'शांतिदूत' के निधन से शोक में डूबा चंबल अंचल, आज शाम आएगा पार्थिव शरीर, गुरुवार को होगा अंतिम संस्कार - Madhya Pradesh News

गांधीवादी विचारक डॉ. एसएन सुब्बाराव के निधन से पूरे चंबल अंचल में शोक की लहर है. मुरैना के जौरा में गांधी सेवा आश्रम की स्थापना से लेकर इलाके के विकास के लिए सुब्बाराव के योगदान ने इसकी तस्वीर बदल दी है. बुधवार शाम 6 बजे उनका पार्थिव शरीर आश्रम पहुंचेगा.

Chambal region engulfed in mourning after death of bhaiji, body will come this evening
'शांतिदूत' के निधन से शोक में डूबा चंबल अंचल, आज शाम आएगा पार्थिव शरीर
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Published : Oct 27, 2021, 11:58 AM IST

Updated : Oct 27, 2021, 3:54 PM IST

मुरैना। गांधीवादी विचारक डा. एसएन सुब्बाराव का जिले के जौरा से गहरा संबंध रहा है. जौरा ही नहीं बल्कि समूचे चंबल अंचल में भाईजी के निधन की खबर को सुनकर लोग शोक संतप्त हैं. एसएन सुबाराव का पार्थिव शरीर बुधवार शाम 6 बजे मुरैना पहुंचेगा, यहां पार्थिव देह को 30 मिनट PWD रेस्ट हाउस में दर्शनार्थ रखा जाएगा. इसके बाद जौरा में उनकी अंतिम यात्रा निकाली जाएगी. गुरुवार को उनका अंतिम संस्कार जोरा के गांधी सेवा आश्रम में किया जाएगा.

डॉक्टर एसएन सुब्बाराव भाईजी पहली बार 1962 में मुरैना जिले के जौरा में आए फिर उन्होंने चंबल के हालातों को न केवल बारिकी से जाना बल्कि समझा और उसके समाधान के लिए चंबल अंचल को अपनी कर्मभूमि भी बना ली. उनकी शांति का जो बीज रोपण हुआ था, वह गांधी आश्रम के रूप में एक वट वृक्ष बन गया है जिसकी न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया में अलग पहचान है.

मुरैना में 672 डकैतों का आत्मसमर्पण कराने वाले 'शांतिदूत' नहीं रहे

पंडित जवाहरलाल नेहरू के सलाहकार थे सुब्बाराव
डॉक्टर एसएन सुबाराव जवाहरलाल नेहरू के सलाहकार के रूप में काम करते थे और उनके बहुत नजदीक थे. साठ के दशक में एसएन सुब्बाराव कांग्रेस के राष्ट्रीय सेवा दल के को-ऑर्डिनेटर भी थे. नेहरू जी के सलाहकार होने के नाते चंबल अंचल में सिंचाई के लिए शुरू की जाने वाली नहर परियोजना का अवलोकन करने मुरैना जिले में आए थे. इसी दौरान उन्होंने चंबल अंचल की समस्या को जाना और समझा तथा उसके निराकरण के लिए काम करना शुरू किया. राहुल गांधी ने भी उनके निधन पर दुख जताया.

'शांतिदूत' के निधन से शोक में डूबा चंबल अंचल

डकैतों को समर्पण के लिए किया प्रेरित
डॉक्टर एसएन सुबाराव ने जौरा में नहर परियोजना के अवलोकन के समय समाज के लोगों के साथ 10 समस्या के उन्मूलन के लिए विचार-विमर्श शुरू किया और डकैतों से भी प्रत्यक्ष रूप से संबंध स्थापित कर उन्हें समाज की मुख्यधारा में वापस लौटने के लिए प्रेरित किया. इसके साथ उन्होंने डकैतों को शासन और प्रशासन से हर संभव मदद दिलाने का काम किया और उसका परिणाम ये हुआ कि सन 1972 में दो चरणों में 672 इनामी डकैतों का आत्मसमर्पण कर एकबार चंबल को दस्यु मुक्त कर दिया.

  • श्री सुब्बा रावजी के दुःखद निधन पर मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।
    वे गांधीवादी विचारधारा के जननायक रहे व चंबल के बाग़ियों के अहिंसात्मक हृदय परिवर्तन के महान अभियान में सहभागी भी।
    उनके परिवारजनों को मेरी संवेदनाएँ।

    — Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 27, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

नहीं रहे गांधीवादी विचारक डॉ. एसएन सुब्बाराव, जयपुर के SMS अस्पताल में ली अंतिम सांस


डकैतों के रोजगार के लिए की गांधी आश्रम की स्थापना
आत्मसमर्पण करने वाले 672 डकैतों और उनके परिवारी जनों को समाज सम्मान की दृष्टि से देखें और वह बिना किसी भय के अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें, इसके लिए उन्हें रोजगार देने की व्यवस्था की गई. कुछ डकैतों पर कानूनी क्षेत्रों के कारण सजा हुई, उन्हें जेल जाना पड़ा ऐसे डकैतों के परिजनों के रहने और और रोजगार के लिए गांधी आश्रम की स्थापना की गई. जिसमें उनके परिजनों को रोजगार मुहैया कराया गया जो आज भी निरंतर काम कर रहा है.

गांधी आश्रम से जुड़े कई लोग
गांधी आश्रम में सूत काटकर खादी के कपड़े बनाने का काम आज भी जारी है. इसके साथ ही स्वदेशी को बढ़ावा देने का अभियान भी गांधी आश्रम से शुरू किया गया ताकि गांधी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाया जा सके. उसी कड़ी में यहां कई काम किए जाते हैं, फिर चाहे शहद उत्पादन इकाई हो, सरसों तेल कच्ची घानी का काम हो अथवा वर्मी कंपोस्ट जैसे खाद के निर्माण की इकाई स्थापित से लेकर खादी के आधुनिक डिजाइनिंग वाले वस्त्र निर्माण का काम हो. एसएन सुब्बाराव के साथ रहने वाले पूर्व विधायक महेंद्र मिश्रा ने कहा कि है उनका एक भव्य स्मारक होना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को चंबल के इतिहास के साथ-साथ डॉक्टर एसएन सुब्बाराव के समाज के लिए किए गए पुनीत कार्यों की जानकारी मिल सके.

मुरैना। गांधीवादी विचारक डा. एसएन सुब्बाराव का जिले के जौरा से गहरा संबंध रहा है. जौरा ही नहीं बल्कि समूचे चंबल अंचल में भाईजी के निधन की खबर को सुनकर लोग शोक संतप्त हैं. एसएन सुबाराव का पार्थिव शरीर बुधवार शाम 6 बजे मुरैना पहुंचेगा, यहां पार्थिव देह को 30 मिनट PWD रेस्ट हाउस में दर्शनार्थ रखा जाएगा. इसके बाद जौरा में उनकी अंतिम यात्रा निकाली जाएगी. गुरुवार को उनका अंतिम संस्कार जोरा के गांधी सेवा आश्रम में किया जाएगा.

डॉक्टर एसएन सुब्बाराव भाईजी पहली बार 1962 में मुरैना जिले के जौरा में आए फिर उन्होंने चंबल के हालातों को न केवल बारिकी से जाना बल्कि समझा और उसके समाधान के लिए चंबल अंचल को अपनी कर्मभूमि भी बना ली. उनकी शांति का जो बीज रोपण हुआ था, वह गांधी आश्रम के रूप में एक वट वृक्ष बन गया है जिसकी न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया में अलग पहचान है.

मुरैना में 672 डकैतों का आत्मसमर्पण कराने वाले 'शांतिदूत' नहीं रहे

पंडित जवाहरलाल नेहरू के सलाहकार थे सुब्बाराव
डॉक्टर एसएन सुबाराव जवाहरलाल नेहरू के सलाहकार के रूप में काम करते थे और उनके बहुत नजदीक थे. साठ के दशक में एसएन सुब्बाराव कांग्रेस के राष्ट्रीय सेवा दल के को-ऑर्डिनेटर भी थे. नेहरू जी के सलाहकार होने के नाते चंबल अंचल में सिंचाई के लिए शुरू की जाने वाली नहर परियोजना का अवलोकन करने मुरैना जिले में आए थे. इसी दौरान उन्होंने चंबल अंचल की समस्या को जाना और समझा तथा उसके निराकरण के लिए काम करना शुरू किया. राहुल गांधी ने भी उनके निधन पर दुख जताया.

'शांतिदूत' के निधन से शोक में डूबा चंबल अंचल

डकैतों को समर्पण के लिए किया प्रेरित
डॉक्टर एसएन सुबाराव ने जौरा में नहर परियोजना के अवलोकन के समय समाज के लोगों के साथ 10 समस्या के उन्मूलन के लिए विचार-विमर्श शुरू किया और डकैतों से भी प्रत्यक्ष रूप से संबंध स्थापित कर उन्हें समाज की मुख्यधारा में वापस लौटने के लिए प्रेरित किया. इसके साथ उन्होंने डकैतों को शासन और प्रशासन से हर संभव मदद दिलाने का काम किया और उसका परिणाम ये हुआ कि सन 1972 में दो चरणों में 672 इनामी डकैतों का आत्मसमर्पण कर एकबार चंबल को दस्यु मुक्त कर दिया.

  • श्री सुब्बा रावजी के दुःखद निधन पर मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।
    वे गांधीवादी विचारधारा के जननायक रहे व चंबल के बाग़ियों के अहिंसात्मक हृदय परिवर्तन के महान अभियान में सहभागी भी।
    उनके परिवारजनों को मेरी संवेदनाएँ।

    — Rahul Gandhi (@RahulGandhi) October 27, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

नहीं रहे गांधीवादी विचारक डॉ. एसएन सुब्बाराव, जयपुर के SMS अस्पताल में ली अंतिम सांस


डकैतों के रोजगार के लिए की गांधी आश्रम की स्थापना
आत्मसमर्पण करने वाले 672 डकैतों और उनके परिवारी जनों को समाज सम्मान की दृष्टि से देखें और वह बिना किसी भय के अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें, इसके लिए उन्हें रोजगार देने की व्यवस्था की गई. कुछ डकैतों पर कानूनी क्षेत्रों के कारण सजा हुई, उन्हें जेल जाना पड़ा ऐसे डकैतों के परिजनों के रहने और और रोजगार के लिए गांधी आश्रम की स्थापना की गई. जिसमें उनके परिजनों को रोजगार मुहैया कराया गया जो आज भी निरंतर काम कर रहा है.

गांधी आश्रम से जुड़े कई लोग
गांधी आश्रम में सूत काटकर खादी के कपड़े बनाने का काम आज भी जारी है. इसके साथ ही स्वदेशी को बढ़ावा देने का अभियान भी गांधी आश्रम से शुरू किया गया ताकि गांधी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाया जा सके. उसी कड़ी में यहां कई काम किए जाते हैं, फिर चाहे शहद उत्पादन इकाई हो, सरसों तेल कच्ची घानी का काम हो अथवा वर्मी कंपोस्ट जैसे खाद के निर्माण की इकाई स्थापित से लेकर खादी के आधुनिक डिजाइनिंग वाले वस्त्र निर्माण का काम हो. एसएन सुब्बाराव के साथ रहने वाले पूर्व विधायक महेंद्र मिश्रा ने कहा कि है उनका एक भव्य स्मारक होना चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को चंबल के इतिहास के साथ-साथ डॉक्टर एसएन सुब्बाराव के समाज के लिए किए गए पुनीत कार्यों की जानकारी मिल सके.

Last Updated : Oct 27, 2021, 3:54 PM IST
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