मुरैना। पूरे देश में लॉकडाउन को लगे एक महीने से अधिक हो चुका है. इस दौरान वाहनों व फैक्ट्रियों का संचालन पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ है. लेकिन इसका फायदा शहर की आबोहवा में देखने को मिल रहा है. मुरैना शहर के सबसे प्रदूषित बैरियर इलाके में जहां रोज 6 से 8 हजार वाहन एवं 35 से अधिक फैक्ट्रियों का संचालन होता था. लेकिन लॉकडाउन में वहां भी हवा में कार्बनडाई ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसें 45 से 50 प्रतिशत में कमी आई है.
जीवाजी गंज इलाके में तो इस समय मनुष्य के सेहत के लिहाज से सबसे सुरक्षित है. यहां हवा में हानिकारक गैसों का स्तर ना के बराबर हो गया है. प्राणी वैज्ञानिक डॉ विनायक सिंह तोमर ने शहर के 4 इलाकों में हवा की सैंपलिंग कराई तो असर चौंकाने वाले निकले. हवा में मौजूद गैस जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाईऑक्साइड, सल्फर डाईऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर जैसी गैस अपनी लगभग सामान्य स्थिति में आ चुकी है.
एक महीने पहले हवा में गैस अपनी सामान्य स्थिति से दुगनी रफ़्तार से जहर घोल रही थी. लेकिन लॉकडाउन के अंतराल में ये सभी गैसें अपनी सामान्य स्थिति में आ चुकी हैं. डॉ विनायक सिंह तोमर ने इन गैसों का परीक्षण शहर के 4 स्थानों से किया है. लॉकडाउन के एक महीने के अंतराल में सभी फैक्ट्रियों और वाहन बंद होने से शहर की आबोहवा पूरी तरह से शुद्ध हो चुकी हैं. डॉ विनायक सिंह तोमर ने कहा कि आज शहर की जो शुद्ध आबोहवा है वह आज से 10 से 15 साल पहले थी.