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मिट्टी के गणेश बने लोगों की पहली पसंद, अंतिम रूप देने में जुटे कलाकार - मुरैना न्यूज

देश भर में गणेश उत्सव को लेकर तैयारियां जोरों पर है. चारो ओर गणपति बप्पा के लिए पंडाल भी सज गए हैं. कलाकार मिट्टी के गणेश को अंतिम रूप दे रहे हैं. पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक लोग भी मिट्टी के बने भगवान गणेश की स्थापना कर रहे हैं.

भगवान गणेश की प्रतिमा को कलाकार दे रहे अंतिम रूप
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Published : Sep 1, 2019, 11:57 PM IST

Updated : Sep 2, 2019, 3:21 PM IST

मुरैना। जिले में गणेश उत्सव को लेकर तैयारियां लगभग पूरी हो गई हैं. जगह-जगह गणेश पंडाल भी सज चुके हैं. वहीं कोलकाता से आए विशेष कलाकार मिट्टी के गणेश को अंतिम रूप दे रहे हैं. पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक लोगों की पहली पसंद मिट्टी के बने भगवान गणेश है.

भगवान गणेश की प्रतिमा को कलाकार दे रहे अंतिम रूप

कोलकाता के कलाकार मिट्टी, बांस, घास और कच्चे कलर का उपयोग कर भगवान गणेश की प्रतिमा बना रहे हैं. ताकि विसर्जन के दौरान पानी में मिट्टी आराम से घुल जाए और कलर से पानी प्रदूषित न हो. 6 साल पहले पीओपी की मूर्तियों पर प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया था, जिस पर बड़ोखर निवासी मूर्ति कारोबारी बासु राठौर ने 2013 में कोलकाता से मूर्तिकार बुलाकर मूर्ति बनवाना शुरू किया था.

मूर्तिकार का कहना है कि पहले साल केवल सात मूर्तियों के ऑर्डर मिले थे. लेकिन धीरे-धीरे काम बढ़ता गया और इस साल करीब 75 भगवान गणेश और 200 माता की मिट्टी की मूर्तियों के ऑर्डर मिले हैं. जोकि अम्बाह, पोरसा, सबलगढ़ श्योपुर, भिंड जिले के गोरमी और राजस्थान के धौलपुर से दिए गए हैं. वहीं मूर्ति खरीददारों का कहना है कि जबसे प्रशासन ने पीओपी की मूर्तियों पर रोक लगाई है, तब से मिट्टी से बने गणेश जी की मूर्तियां खरीद रहे हैं.

मुरैना। जिले में गणेश उत्सव को लेकर तैयारियां लगभग पूरी हो गई हैं. जगह-जगह गणेश पंडाल भी सज चुके हैं. वहीं कोलकाता से आए विशेष कलाकार मिट्टी के गणेश को अंतिम रूप दे रहे हैं. पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक लोगों की पहली पसंद मिट्टी के बने भगवान गणेश है.

भगवान गणेश की प्रतिमा को कलाकार दे रहे अंतिम रूप

कोलकाता के कलाकार मिट्टी, बांस, घास और कच्चे कलर का उपयोग कर भगवान गणेश की प्रतिमा बना रहे हैं. ताकि विसर्जन के दौरान पानी में मिट्टी आराम से घुल जाए और कलर से पानी प्रदूषित न हो. 6 साल पहले पीओपी की मूर्तियों पर प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया था, जिस पर बड़ोखर निवासी मूर्ति कारोबारी बासु राठौर ने 2013 में कोलकाता से मूर्तिकार बुलाकर मूर्ति बनवाना शुरू किया था.

मूर्तिकार का कहना है कि पहले साल केवल सात मूर्तियों के ऑर्डर मिले थे. लेकिन धीरे-धीरे काम बढ़ता गया और इस साल करीब 75 भगवान गणेश और 200 माता की मिट्टी की मूर्तियों के ऑर्डर मिले हैं. जोकि अम्बाह, पोरसा, सबलगढ़ श्योपुर, भिंड जिले के गोरमी और राजस्थान के धौलपुर से दिए गए हैं. वहीं मूर्ति खरीददारों का कहना है कि जबसे प्रशासन ने पीओपी की मूर्तियों पर रोक लगाई है, तब से मिट्टी से बने गणेश जी की मूर्तियां खरीद रहे हैं.

Intro:एंकर - मुरैना जिले में गणेश उत्सव को लेकर तैयारियां जोरों पर चल रही है। जगह-जगह पर गणेश पांडाल लगने लगे हैं जिनके लिए कलकत्ता से आए विशेष कलाकार मुरैना शहर में दो जगह मिट्टी के गणेश बनाने में लगे हुए हैं और उनमें अंतिम रूप दे रहे हैं। पानी को प्रदूषित किए बगैर गणेश उत्सव मनाने के लिए अब आम जनता भी जागरूक हो गई है इसलिए लोग भी मिट्टी के गणेश जी ही ले रहे हैं। यही वजह है लोग अब पीओपी से बनी गणेश जी की मूर्तियों को कोई पसंद नहीं कर रहा। ये कारोबार लाखो का हो चुका है, कलकत्ता के कलाकार मिट्टी से बनाए गए गणेश जी में मिट्टी,बांस, घास व कच्चे कलर का उपयोग कर रहे हैं। जिससे विसर्जन के दौरान पानी में मिट्टी आराम से खुल जाए और कलर से पानी प्रदूषित ना हो।


Body:वीओ - 6 साल पहले पीओपी की मूर्तियों पर प्रशासन द्वारा सख्ती करने पर बड़ोखर निवासी मूर्ति कारोबारी बासु राठौर अपने दोस्तों के पास कलकत्ता गया। जहां उसने मिट्टी के गणेश बनते देखा फिर वहीं से कारीगर लाकर यह काम मुरैना में 2013 में शुरू किया। पहली साल मिट्टी की मूर्ति के सात मूर्तियों के आर्डर मिले। पर हर साल यह काम बढ़ता गया और इस साल 75 गणेश जी और 200 माता की मिट्टी की मूर्तियों के आर्डर हैं, जो कि अम्बाह,पोरसा,सबलगढ़ श्योपुर,भिंड जिले के गोरमी और राजस्थान के धौलपुर से दिए गए हैं। 14 कारीगर कोलकाता से आकर मूर्तियां बना रहे हैं।

बाइट1 - बासु राठौर - मूर्ति कारोबारी।


Conclusion:वीओ - मूर्ति खरीदारों का कहना है जबसे प्रशासन ने पीओपी की मूर्तियों पर रोक लगाई गई जब से मिट्टी से बने गणेश जी की मूर्तियां को खरीद रहे है। लगभग चार साल हो गए है,मिट्टी की मूर्तियां विसर्जन के दौरान पानी में आराम से गुल जाती है और मूर्ति में उपयोग किये गए कच्चे कलर पानी मे कोई नुकसान नही पहुंचाते हैं। श्रद्धालुओं अब मिट्टी से बनी मूर्तियों को ही पसंद कर रहे है और अपने मिलने जुलने वालो को भी मिट्टी से बनी मूर्तियां खरीदने के लिए कह रहे है।

बाइट2 - नीरज गौड़ - मूर्ति खरीददार।
Last Updated : Sep 2, 2019, 3:21 PM IST
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