मुरैना। जिले में गणेश उत्सव को लेकर तैयारियां लगभग पूरी हो गई हैं. जगह-जगह गणेश पंडाल भी सज चुके हैं. वहीं कोलकाता से आए विशेष कलाकार मिट्टी के गणेश को अंतिम रूप दे रहे हैं. पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक लोगों की पहली पसंद मिट्टी के बने भगवान गणेश है.
कोलकाता के कलाकार मिट्टी, बांस, घास और कच्चे कलर का उपयोग कर भगवान गणेश की प्रतिमा बना रहे हैं. ताकि विसर्जन के दौरान पानी में मिट्टी आराम से घुल जाए और कलर से पानी प्रदूषित न हो. 6 साल पहले पीओपी की मूर्तियों पर प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया था, जिस पर बड़ोखर निवासी मूर्ति कारोबारी बासु राठौर ने 2013 में कोलकाता से मूर्तिकार बुलाकर मूर्ति बनवाना शुरू किया था.
मूर्तिकार का कहना है कि पहले साल केवल सात मूर्तियों के ऑर्डर मिले थे. लेकिन धीरे-धीरे काम बढ़ता गया और इस साल करीब 75 भगवान गणेश और 200 माता की मिट्टी की मूर्तियों के ऑर्डर मिले हैं. जोकि अम्बाह, पोरसा, सबलगढ़ श्योपुर, भिंड जिले के गोरमी और राजस्थान के धौलपुर से दिए गए हैं. वहीं मूर्ति खरीददारों का कहना है कि जबसे प्रशासन ने पीओपी की मूर्तियों पर रोक लगाई है, तब से मिट्टी से बने गणेश जी की मूर्तियां खरीद रहे हैं.