मुरैना। आज शनिचरी अमावस्या है, देश में लोग दर्शन के लिए शनि मंदिर पहुंच रहे हैं. वहीं मुरैना के ऐंती गांव स्थित त्रेतायुगनी शनि मंदिर पर शुक्रवार की रात में ही भगवान शनिदेव का विशेष अभिषेक किया गया. मंदिर के गर्भ गृह में अव्यवस्था ना हो इसके लिए मंदिर परिसर में बाहर तेल चढ़ाने के लिए टैंक बनाए गए हैं. इस तेल को पाइप के जरिए मुख्य प्रतिमा तक पहुंचाने की भी व्यवस्था की गई. पुलिस ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सुरक्षा एवं यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए 4 सैकड़ा से ज्यादा पुलिस बल तैनात कर 20 पॉइंट बनाए हैं. 700 से ज्यादा पुलिस बल तैनात किए गए हैं. कोरोना संकट को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन और पुलिस ने श्रद्धालुओं के लिए मास्क और सैनिटाइजर की भी व्यवस्था की है. वहीं लाउडस्पीकर द्वारा लोगों को मास्क पहननेऔर सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए भी समझाइश दी जा रही है. 1 दिन के शनि मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 7 लाख तक पहुंच चुकी है, लेकिन इस बार कोरोना के चलते पिछले मेलों की तुलना में आधी भी भीड़ नहीं दिखी.
शनि मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता शनिधाम पर पहुंचे लाखों श्रद्धालु मंदिर में शुक्रवार से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था. ये सिलसिला शनिवार को भी जारी रहा. वीआईपी लोग को पास के साथ विशेष दर्शन करने वाले लोगों को अलग-अलग रास्ते से दर्शन कराए जा रहे हैं. प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए नायलॉन, कपड़ा, जूता, दान करने के लिए अलग-अलग जोन, महिला पुरुष के लिए अलग-अलग शौचालय और स्नानघर स्थाई रूप से निर्मित कर दिए हैं. साथ ही कुछ स्थाई रास्तों का निर्माण भी किया गया है. भगवान शनि देव के दर्शन के बाद श्रद्धालु हवन पूजा अर्चना भी कर रहे हैं. भगवान शनि देव के दर्शन के लिए देश के अनेकों राज्यों से यहां श्रद्धालु आ रहे हैं. मैनपुरी निवासी श्रद्धालु अशोक गुप्ता पिछले 30 साल से लगातार आ रहे हैं. उनके अनुसार यहां पहले कुछ नहीं था, लेकिन अब धीरे-धीरे एक भव्य मंदिर के रूप में स्थापित हुआ है. शनि देव कर्म फल का भुगतान करवा कर व्यक्ति की आत्मा को शुद्ध बनाने और आत्मोन्नति में सहायक होता है. शनि को मृत्यु लोक का न्यायाधीश माना गया है. शिवरात्रि पर निकली शिव बारात, झांकियां रहीं आकर्षण का केंद्र
700 से ज्यादा पुलिस बल को किया गया तैनात
शनि मेले के आयोजन के दौरान कोई अप्रिय घटना ना हो, इसलिए जिला प्रशासन ने 700 से अधिक पुलिस जवान और विभागीय कर्मचारियों की तैनाती की है. पुलिस अधिकारी के अनुसार दोपहर तक डेढ़ लाख श्रद्धालु दर्शन लाभ ले चुके हैं. शनिवार रात तक यहां श्रद्धालुओं की संख्या दो से तीन लाख तक पहुंचने का अनुमान बता रहे हैं. हालांकि कोरोना का समय है, इसलिए श्रद्धालुओं की संख्या इस बार कम है और मेले में अन्य सालों की अपेक्षा भीड़ कम है. शनि अमावस्या के समय से श्रद्धालुओं के लिए स्पेशल ट्रेनें भी चलाई जाती थी. लेकिन इस बार यह सारी व्यवस्था बंद है. जिससे श्रद्धालु भी कम संख्या में आ रहे हैं. हालांकि कुछ श्रद्धालु अपने निजी वाहनों से उत्तर प्रदेश, हरियाणा,राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई जिलों से आकर शनि मेले में शामिल होकर भगवान शनिदेव की पूजा अर्चना कर रहे हैं.
मेले में कोरोना से बचने की समझाइशकोरोना संकट को ध्यान में रखते हुए शनिधाम पर जिला प्रशासन और पुलिस ने श्रद्धालुओं के लिए मास्क और सैनिटाइजर की व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखने के लिए जगह जगह बेरिकेट्स लगाए गए हैं. पुलिस जवान तैनात किए है. शनि मंदिर का इतिहासमुरैना जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर गांव ऐंती पर्वत पर भगवान शनिदेव का एकमात्र मंदिर है. ये मंदिर विश्व में इकलौता है. कहा जाता है कि महाराष्ट्र के शनि शिगनापुर मंदिर में शनि भगवान की जो मूर्ति है. उसका पत्थर मुरैना के ऐंती पर्वत से ही ले जाया गया है. ऐंती पर्वत और त्रेतायुग के शनि मंदिर के पीछे की प्राचीन कथा ये है कि जब हनुमानजी लंका दहन कर रहे थे, तब उन्हें लंका में रावण के यहां भगवान शनि बंधक मिले. हनुमान जी ने शनि भगवान को रावण के बंधनों से मुक्त कराया. वर्षों से बंधे शनि इतने कमजोर हो गए थे की लंका से चलकर बाहर नहीं निकल पा रहे थे. तब हनुमानजी ने उन्हें अपने पूरे बल के साथ भारत की धारा की ओर फेंका और शनि भगवान मुरैना के ऐंती पर्वत पर आकर गिरे. यहीं शनि भगवान ने घोर आराधना कर अपनी शक्तियों को वापस पाया. जहां शनि भगवान गिरे थे और तपस्या की थी, वहीं उनका मंदिर बना है.कोरोना और बिगड़े मौसम की वजह से संख्या रही कमएक दिन के शनि मेले में आने वाले भक्तों की संख्या 7 लाख तक पहुंच चुकी है, लेकिन इस बार पिछले मेलों की तुलना में भीड़ नहीं दिखी. इसके पीछे कई कारण हैं. यहां सबसे ज्यादा श्रद्धालु ट्रेनों से आते थे. हर शनि अमावस्या पर स्पेशल ट्रेनें भी चलाई जाती थी, लेकिन इस बार स्पेशल ट्रेन तो क्या सामान्य ट्रेनों में भी जनरल के डिब्बे नहीं है. दूसरा कारण कोरोना महामारी भी है. इस कारण भी महानगरों से लोग नहीं आए. वहीं ग्रामीण इलाकों के श्रद्धालु 2 दिन से बिगड़ रहे हैं मौसम और फसलों के कटने का समय होने से नहीं आए.