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चित्तौड़-रतलाम रेलवे ट्रैक के विद्युतीकरण का काम तेज, अक्टूबर तक पूरा होने की उम्मीद

मंदसौर में पश्चिम रेलवे ट्रैक के चित्तौड़-रतलाम रेल खंड पर अब जल्द ही बिजली चलित ट्रेनें दौड़ेंगी. 193 किलोमीटर लंबे इस रेलवे ट्रैक पर विद्युतीकरण का काम इन दिनों तेजी से चल रहा है. जिससे यात्रियों को सुविधा मिलेगी.

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Published : Jun 13, 2019, 12:38 PM IST

मंदसौर। पश्चिम रेलवे ट्रैक के चित्तौड़-रतलाम रेल खंड पर जल्द ही विद्युत चलित ट्रेनें दौड़ेंगी. 193 किलोमीटर लंबे इस रेलवे ट्रैक पर विद्युतीकरण का काम इन दिनों तेजी से चल रहा है. बताया जा रहा है कि विद्युतीकरण का काम अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा.


पश्चिम रेल खंड के मालवा-निमाड़ में देरी के चलते ये हिस्सा तकनीकी तौर पर दिल्ली-मुंबई नेशनल कॉरिडोर और दिल्ली-चेन्नई रेलवे ट्रैक से अभी तक नहीं जुड़ पाया है. जिसकी सबसे बड़ी वजह गेज परिवर्तन के बाद इस ट्रैक पर विद्युतीकरण की व्यवस्था नही होना माना जा रहा है. दोनों ही नेशनल ट्रैक बिजली चलित ट्रेनों की सुविधा से संपन्न हैं. इस ट्रैक पर ये व्यवस्था नहीं होने से यहां अभी तक डीजल इंजन वाली ट्रेनें ही दौड़ रही हैं.

ट्रैक के विद्युतीकरण का हुआ शुरू


इस स्थिति में यहां चलने वाली ट्रेनों का कनेक्शन जंक्शन पर जाकर देरी से हो पाता है. जिससे यात्रियों को बड़ी असुविधा होती है. रेल मंत्रालय ने पिछले साल इस पर करीब 400 करोड़ रुपये का बजट पास कर अक्टूबर 2019 में काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था. फिलहाल इस ट्रैक पर बिजली के पोल खड़े करने के अलावा वायरिंग का काम भी जारी है.


रेल मंडल के इंजीनियरों ने रतलाम से ढोढर तक रेलवे ट्रैक पूरी तरह तैयार कर लिया है. दूसरी तरफ चित्तौड़ से नीमच के बीच की लाइन भी तैयार कर ली गई है. जिसकी टेस्टिंग भी की जा रही है. बाकी बचे काम अक्टूबर माह तक पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है. मंदसौर सांसद सुधीर गुप्ता का कहना है कि ट्रैक के विद्युतीकरण का काम पूरा होते ही इस ट्रैक पर ट्रेनों के तेज आवागमन के अलावा क्षेत्र के लोगों को नई ट्रेनों की सौगात भी मिलेगी.

मंदसौर। पश्चिम रेलवे ट्रैक के चित्तौड़-रतलाम रेल खंड पर जल्द ही विद्युत चलित ट्रेनें दौड़ेंगी. 193 किलोमीटर लंबे इस रेलवे ट्रैक पर विद्युतीकरण का काम इन दिनों तेजी से चल रहा है. बताया जा रहा है कि विद्युतीकरण का काम अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा.


पश्चिम रेल खंड के मालवा-निमाड़ में देरी के चलते ये हिस्सा तकनीकी तौर पर दिल्ली-मुंबई नेशनल कॉरिडोर और दिल्ली-चेन्नई रेलवे ट्रैक से अभी तक नहीं जुड़ पाया है. जिसकी सबसे बड़ी वजह गेज परिवर्तन के बाद इस ट्रैक पर विद्युतीकरण की व्यवस्था नही होना माना जा रहा है. दोनों ही नेशनल ट्रैक बिजली चलित ट्रेनों की सुविधा से संपन्न हैं. इस ट्रैक पर ये व्यवस्था नहीं होने से यहां अभी तक डीजल इंजन वाली ट्रेनें ही दौड़ रही हैं.

ट्रैक के विद्युतीकरण का हुआ शुरू


इस स्थिति में यहां चलने वाली ट्रेनों का कनेक्शन जंक्शन पर जाकर देरी से हो पाता है. जिससे यात्रियों को बड़ी असुविधा होती है. रेल मंत्रालय ने पिछले साल इस पर करीब 400 करोड़ रुपये का बजट पास कर अक्टूबर 2019 में काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था. फिलहाल इस ट्रैक पर बिजली के पोल खड़े करने के अलावा वायरिंग का काम भी जारी है.


रेल मंडल के इंजीनियरों ने रतलाम से ढोढर तक रेलवे ट्रैक पूरी तरह तैयार कर लिया है. दूसरी तरफ चित्तौड़ से नीमच के बीच की लाइन भी तैयार कर ली गई है. जिसकी टेस्टिंग भी की जा रही है. बाकी बचे काम अक्टूबर माह तक पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है. मंदसौर सांसद सुधीर गुप्ता का कहना है कि ट्रैक के विद्युतीकरण का काम पूरा होते ही इस ट्रैक पर ट्रेनों के तेज आवागमन के अलावा क्षेत्र के लोगों को नई ट्रेनों की सौगात भी मिलेगी.

Intro:मंदसौर ।पश्चिम रेलवे ट्रैक के चित्तौड़ -रतलाम रेल खंड पर अब जल्द ही बिजली चलीत ट्रेनें दौड़ने वाली है।193 किलोमीटर लंबे इस रेलवे ट्रैक पर बिजली करण करने के लिए इन दिनों तेजी से विकास काम जारी है। रेल मंडल के अमले ने रतलाम जिले के 57 किलोमीटर एरिया में बिजली के तार खींचकर टेस्टिंग भी कर ली है। वहीं बाकी के हिस्से में भी अगले 3 महीने के दौरान काम पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है।


Body:पश्चिम रेल खंड के मालवा और मेवाड़ इलाके में देरी से हुए गेज परिवर्तन से यह हिस्सा तकनीकी तौर पर रेलवे आवागमन के हिसाब से दिल्ली -मुंबई नेशनल कोरिडोर और दिल्ली -चेन्नई रेलवे ट्रैक से अभी तक नहीं जुड़ पाया है। इस मामले में सबसे बड़ी वजह गेज परिवर्तन के बाद इस रेलवे ट्रैक पर बिजली करण की व्यवस्था ना होना सामने आ रही है। दरअसल दोनों ही नेशनल ट्रेक बिजली चलित ट्रेनो की सुविधा से संपन्न है, और इस यरेक पर यह व्यवस्था ना होने से यंहा अभी तक डीजल इंजन की गाड़ियां ही दौड़ रही है ।इस स्थिति में यहां चलने वाली ट्रेनों का कनेक्शन जंक्शन पर जाकर देरी से हो पाता है। इससे यात्रियों को बड़ी असुविधा हो रही है ।इस व्यवस्था के अभाव के चलते गेज परिवर्तन के 13 साल बावजूद इस ट्रैक पर अभी भी ट्रेनों की स्पीड कम होने और नेशनल रेलवे ट्रैक पर सीधी गाडीयो का आवागमन ना होने से यात्रियों को अगले जंक्शन पर या तो दूसरी ट्रेन पकड़ने या फिर इंजन चेंज होने के कारण रोजाना टाइम की बर्बादी का सामना भी करना पड़ रहा है। रेल मंत्रालय ने पिछले साल इस पर लगभग 400करोड़ रुपये का बजट पास कर अक्टूबर 2019 का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा है ।फिलहाल इस ट्रैक पर बिजली के पोल खड़े करने के अलावा वायरिंग का काम भी जारी है ।रेल मंडल के इंजीनियरों ने एक तरफ रतलाम से ढोढर तक ले ट्रेक पूरी तरह तैयार कर लिया है। वहीं दूसरी तरफ चित्तौड़ से नीमच के बीच की लाइन भी कंप्लीट कर ली गई है। इंजीनियर इस लाइन की अब टेस्टिंग भी कर रहे हैं ।बाकी बचे काम के अक्टूबर महीने तक पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है ।मंदसौर सांसद सुधीर गुप्ता ने बताया कि ट्रैक के बिजली करण का काम पूरा होते ही इस ट्रैक पर ट्रेनों के फ़ास्ट आवागमन के अलावा क्षेत्र के लोगो को नई ट्रेनों की सौगात में भी मिलेगी।
byte: सुधीर गुप्ता, सांसद, मंदसौर



विनोद गौड़, रिपोर्टर ,मंदसौर


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