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जानें ऐसा क्या रिश्ता है रावण का मंदसौर से, दहन करने के बजाए लोग करते हैं पूजा

दशहरा के पर्व पर जहां जगह-जगह से रावण दहन की तैयारियों को लेकर खबरें आ रही हैं. दशहरा में रावण का दहन कर बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है. वहीं कई ऐसे भी लोग हैं, जो रावण की पूजा करते हैं, उन्हें अपना भगवान मानते हैं. वहीं मंदसौर में लोग रावण के पुतले का दहन नहीं करते बल्कि उसकी पूजा करते हैं, जानिए आखिर क्या रिश्ता है रावण का मंदसौर से. dussehra 2022, people not burn effigy of ravana in mandsaur, ravana son in law of mandsaur, namdev samaj worship ravana

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नामदेव समाज रावण की पूजा करते हैं
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Published : Oct 4, 2022, 10:12 PM IST

मंदसौर। शारदीय नवरात्री की नवमी के दूसरे दिन दशहरा पर्व होता है. परंपरा के अनुसार इस दिन पूरे देश में जगह-जगह बुराई के प्रतीक रावण के पुतले को जलाया जाता है. जगह-जगह लोग रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण का पुतला बनाकर उसको जलाते हैं, लेकिन एमपी में कुछ ऐसे भी शहर हैं जहां रावण का वध करने के बजाय दशहरा पर उसकी पूजा अर्चना की जाती है. जी हां मंदसौर में मंदोदरी का मायका है. इस लिहाज से यहां के लोग रावण को दामाद मानकर उसका वध करने के बजाय पूजा करते हैं. dussehra 2022, people not burn effigy of ravana in mandsaur, ravana son in law of mandsaur

मंदोदरी का मायका है मंदसौर: नामदेव समाज की बेटी मंदोदरी का मायका मंदसौर होने से यहां के लोग तीन युगों बाद भी रावण महाराज को अपना दामाद ही मानते हैं. सनातन से चली आ रही इस परम्परा के चलते नामदेव समाज के लोग दशहरे के दिन रावण का वध करने के बजाय यहां उसकी पूजा अर्चना करते हैं. मान्यता है कि मंदोदरी, मंदसौर शहर की बेटी थी. लिहाजा कई सालों से नामदेव समाज के लोग रावण की प्रतिमा बनाकर उसकी पूजा करते चले आ रहे हैं. सैकड़ों सालों पहले परंपरा के निर्वाह के मुताबिक यहां मिट्टी की प्रतिमाएं बनाई गई थी, लेकिन आजादी के बाद में नगर पालिका प्रशासन ने खानपुरा में 51 फीट ऊंची पक्की सीमेंट की प्रतिमा बनवा दी है.

रावण की पूजा करता है नामदेव समाज

Dussehra 2022: रावण का भक्त है जबलपुर का यह शख्स, बेटों के नाम भी मेघनाद और अक्षयकुमार रखे

रावण की करते हैं पूजा: दशहरे के दिन नामदेव समाज के लोग सुबह के वक्त ढोल नगाड़ों के साथ रावण प्रतिमा स्थल पर पहुंचते हैं. करीब 1 घंटे तक उसकी विधि विधान से पूजा होती है. समाज के लोगों ने आज भी रावण महाराज की पूजा-अर्चना कर देश की खुशहाली का वरदान मांगा. धार्मिक मान्यता है कि दशहरे के दिन रावण के दाहिने पैर में धागा बांधने से एक तरफ सुख समृद्धि मिलती है, तो वहीं दूसरी तरफ पूरे वर्ष इंसान निरोगी रहता है. यही वजह है कि आज भी यहां देश-विदेश के लोग उन्हें पूजने के लिए आते हैं. आज के दिन इसी परंपरा का निर्वाह करने के लिए बहरीन से एक परिवार यहां पूजा करने पहुंचा. नामदेव समाज के अध्यक्ष अशोक बघेरवाल और राजेश मेड़तवाल की मौजूदगी में पूजा अर्चना की परंपरा के बाद समाज के कई लोगों ने रावण के दाहिने पैर में धागा बांधकर मनोकामनाएं मांगी. अध्यक्ष ने बताया कि पुरखों की परंपरा का समाज की पीढ़ी आज भी बखूबी निर्वाह कर रही है. समाज के लोगों ने आज पहले रावण की अच्छाई की पूजा अर्चना की हालांकि समाज के लोग शाम के वक्त बुराई के प्रतीक रावण का प्रतीक मात्र दहन भी करते हैं. (dussehra 2022) (people not burn effigy of ravana in mandsaur) (ravana son in law of mandsaur) (namdev samaj worship ravana)

मंदसौर। शारदीय नवरात्री की नवमी के दूसरे दिन दशहरा पर्व होता है. परंपरा के अनुसार इस दिन पूरे देश में जगह-जगह बुराई के प्रतीक रावण के पुतले को जलाया जाता है. जगह-जगह लोग रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण का पुतला बनाकर उसको जलाते हैं, लेकिन एमपी में कुछ ऐसे भी शहर हैं जहां रावण का वध करने के बजाय दशहरा पर उसकी पूजा अर्चना की जाती है. जी हां मंदसौर में मंदोदरी का मायका है. इस लिहाज से यहां के लोग रावण को दामाद मानकर उसका वध करने के बजाय पूजा करते हैं. dussehra 2022, people not burn effigy of ravana in mandsaur, ravana son in law of mandsaur

मंदोदरी का मायका है मंदसौर: नामदेव समाज की बेटी मंदोदरी का मायका मंदसौर होने से यहां के लोग तीन युगों बाद भी रावण महाराज को अपना दामाद ही मानते हैं. सनातन से चली आ रही इस परम्परा के चलते नामदेव समाज के लोग दशहरे के दिन रावण का वध करने के बजाय यहां उसकी पूजा अर्चना करते हैं. मान्यता है कि मंदोदरी, मंदसौर शहर की बेटी थी. लिहाजा कई सालों से नामदेव समाज के लोग रावण की प्रतिमा बनाकर उसकी पूजा करते चले आ रहे हैं. सैकड़ों सालों पहले परंपरा के निर्वाह के मुताबिक यहां मिट्टी की प्रतिमाएं बनाई गई थी, लेकिन आजादी के बाद में नगर पालिका प्रशासन ने खानपुरा में 51 फीट ऊंची पक्की सीमेंट की प्रतिमा बनवा दी है.

रावण की पूजा करता है नामदेव समाज

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रावण की करते हैं पूजा: दशहरे के दिन नामदेव समाज के लोग सुबह के वक्त ढोल नगाड़ों के साथ रावण प्रतिमा स्थल पर पहुंचते हैं. करीब 1 घंटे तक उसकी विधि विधान से पूजा होती है. समाज के लोगों ने आज भी रावण महाराज की पूजा-अर्चना कर देश की खुशहाली का वरदान मांगा. धार्मिक मान्यता है कि दशहरे के दिन रावण के दाहिने पैर में धागा बांधने से एक तरफ सुख समृद्धि मिलती है, तो वहीं दूसरी तरफ पूरे वर्ष इंसान निरोगी रहता है. यही वजह है कि आज भी यहां देश-विदेश के लोग उन्हें पूजने के लिए आते हैं. आज के दिन इसी परंपरा का निर्वाह करने के लिए बहरीन से एक परिवार यहां पूजा करने पहुंचा. नामदेव समाज के अध्यक्ष अशोक बघेरवाल और राजेश मेड़तवाल की मौजूदगी में पूजा अर्चना की परंपरा के बाद समाज के कई लोगों ने रावण के दाहिने पैर में धागा बांधकर मनोकामनाएं मांगी. अध्यक्ष ने बताया कि पुरखों की परंपरा का समाज की पीढ़ी आज भी बखूबी निर्वाह कर रही है. समाज के लोगों ने आज पहले रावण की अच्छाई की पूजा अर्चना की हालांकि समाज के लोग शाम के वक्त बुराई के प्रतीक रावण का प्रतीक मात्र दहन भी करते हैं. (dussehra 2022) (people not burn effigy of ravana in mandsaur) (ravana son in law of mandsaur) (namdev samaj worship ravana)

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