मंदसौर। शिवना नदी के किनारे बसे शहर की डेढ़ दर्जन बस्तियों में गंदे पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था न होने से यहां के लोग जलभराव की समस्या से जूझ रहे हैं.निचली बस्तियों का आलम ये है कि बारिश के सीजन में यहां के लोगों का जीना मुहाल हो जाता है. वहीं इन बस्तियों के ड्रेनेज वाटर के निकासी की भी कोई व्यवस्था ना होने से लोगों में भारी नाराजगी है.
दरअसल डेढ़ लाख की आबादी वाले मंदसौर शहर में छोटी-बड़ी करीब 325 कॉलोनियां बसी हुई हैं. शिवना नदी के किनारे बसे शहर में अधिकतर बस्तियां निचले इलाकों में बसी हुई है. मामूली बरसात के दौरान ही यहां बाढ़ का पानी जमा होने से खानपुरा, धान मंडी, किला रोड और बरगुंडा मोहल्ला के अलावा अभिनंदन एक्सटेंशन, नरसिंह घाट और प्रतापगढ़ पुल इलाकों की कई बस्तियों में जलभराव हो जाता है.
इन बस्तियों के घरेलू ड्रेनेज वाटर की निकासी की भी व्यवस्था नगर पालिका के पंपिंग सिस्टम पर ही टिकी हुई है. पूरे शहर का गंदा पानी सिटी के दक्षिणी किनारे बहने वाली शिवना नदी में जाकर मिलता है. लिहाजा यह नदी पूरी तरह से प्रदूषण की शिकार है. उधर बस्तियों का ड्रेनेज वाटर, कई हफ्तों तक नालों में जमा रहता है और गंदे पानी की पंपिंग ना होने से लोग दुर्गंध से परेशान हैं.
शहर के गंदे पानी की निकासी के लिए नगर पालिका परिषद ने साल 2004 में एक बड़ी स्कीम बनाई थी. इस स्कीम में शहर के ड्रेनेज वाटर को शिवना नदी में मिलने से रोकने और इसे 4 किलोमीटर दूर अलावदा खेड़ी इलाके तक छोड़ने का प्लान शामिल था. हालांकि पालिका परिषद ने इस योजना पर कुछ काम भी किया लेकिन तकनीकी तौर पर स्कीम फेल होने से एक तरफ नदी में प्रदूषण बरकरार है, वहीं दूसरी तरफ अब ये योजना पूरी तरह ध्वस्त हो गई है. वहीं नगर पालिका प्रशासन ने नई योजना प्रस्तावित कि है, जिसे नगरी निकाय विभाग ने मंजूरी दे दी है. नगर पालिका सीएमओ आर पी मिश्रा ने बताया कि इस स्कीम के पूरा होने के बाद शहर के बरसाती पानी और ड्रेनेज वाटर की निकासी की समस्या हल होगी.