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मंदसौर: शहर की ड्रेनेज व्यवस्था का है बुरा हाल, कई कॉलोनियों में सालभर रहती है जलभराव की समस्या

मंदसौर में शिवना नदी के किनारे की 325 कॉलोनियों में गंदे पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था न होने से यहां के लोग जलभराव की समस्या से परेशान हैं.

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Published : Mar 30, 2019, 5:16 PM IST

मंदसौर। शिवना नदी के किनारे बसे शहर की डेढ़ दर्जन बस्तियों में गंदे पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था न होने से यहां के लोग जलभराव की समस्या से जूझ रहे हैं.निचली बस्तियों का आलम ये है कि बारिश के सीजन में यहां के लोगों का जीना मुहाल हो जाता है. वहीं इन बस्तियों के ड्रेनेज वाटर के निकासी की भी कोई व्यवस्था ना होने से लोगों में भारी नाराजगी है.

drainage system

दरअसल डेढ़ लाख की आबादी वाले मंदसौर शहर में छोटी-बड़ी करीब 325 कॉलोनियां बसी हुई हैं. शिवना नदी के किनारे बसे शहर में अधिकतर बस्तियां निचले इलाकों में बसी हुई है. मामूली बरसात के दौरान ही यहां बाढ़ का पानी जमा होने से खानपुरा, धान मंडी, किला रोड और बरगुंडा मोहल्ला के अलावा अभिनंदन एक्सटेंशन, नरसिंह घाट और प्रतापगढ़ पुल इलाकों की कई बस्तियों में जलभराव हो जाता है.
इन बस्तियों के घरेलू ड्रेनेज वाटर की निकासी की भी व्यवस्था नगर पालिका के पंपिंग सिस्टम पर ही टिकी हुई है. पूरे शहर का गंदा पानी सिटी के दक्षिणी किनारे बहने वाली शिवना नदी में जाकर मिलता है. लिहाजा यह नदी पूरी तरह से प्रदूषण की शिकार है. उधर बस्तियों का ड्रेनेज वाटर, कई हफ्तों तक नालों में जमा रहता है और गंदे पानी की पंपिंग ना होने से लोग दुर्गंध से परेशान हैं.

शहर के गंदे पानी की निकासी के लिए नगर पालिका परिषद ने साल 2004 में एक बड़ी स्कीम बनाई थी. इस स्कीम में शहर के ड्रेनेज वाटर को शिवना नदी में मिलने से रोकने और इसे 4 किलोमीटर दूर अलावदा खेड़ी इलाके तक छोड़ने का प्लान शामिल था. हालांकि पालिका परिषद ने इस योजना पर कुछ काम भी किया लेकिन तकनीकी तौर पर स्कीम फेल होने से एक तरफ नदी में प्रदूषण बरकरार है, वहीं दूसरी तरफ अब ये योजना पूरी तरह ध्वस्त हो गई है. वहीं नगर पालिका प्रशासन ने नई योजना प्रस्तावित कि है, जिसे नगरी निकाय विभाग ने मंजूरी दे दी है. नगर पालिका सीएमओ आर पी मिश्रा ने बताया कि इस स्कीम के पूरा होने के बाद शहर के बरसाती पानी और ड्रेनेज वाटर की निकासी की समस्या हल होगी.

मंदसौर। शिवना नदी के किनारे बसे शहर की डेढ़ दर्जन बस्तियों में गंदे पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था न होने से यहां के लोग जलभराव की समस्या से जूझ रहे हैं.निचली बस्तियों का आलम ये है कि बारिश के सीजन में यहां के लोगों का जीना मुहाल हो जाता है. वहीं इन बस्तियों के ड्रेनेज वाटर के निकासी की भी कोई व्यवस्था ना होने से लोगों में भारी नाराजगी है.

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दरअसल डेढ़ लाख की आबादी वाले मंदसौर शहर में छोटी-बड़ी करीब 325 कॉलोनियां बसी हुई हैं. शिवना नदी के किनारे बसे शहर में अधिकतर बस्तियां निचले इलाकों में बसी हुई है. मामूली बरसात के दौरान ही यहां बाढ़ का पानी जमा होने से खानपुरा, धान मंडी, किला रोड और बरगुंडा मोहल्ला के अलावा अभिनंदन एक्सटेंशन, नरसिंह घाट और प्रतापगढ़ पुल इलाकों की कई बस्तियों में जलभराव हो जाता है.
इन बस्तियों के घरेलू ड्रेनेज वाटर की निकासी की भी व्यवस्था नगर पालिका के पंपिंग सिस्टम पर ही टिकी हुई है. पूरे शहर का गंदा पानी सिटी के दक्षिणी किनारे बहने वाली शिवना नदी में जाकर मिलता है. लिहाजा यह नदी पूरी तरह से प्रदूषण की शिकार है. उधर बस्तियों का ड्रेनेज वाटर, कई हफ्तों तक नालों में जमा रहता है और गंदे पानी की पंपिंग ना होने से लोग दुर्गंध से परेशान हैं.

शहर के गंदे पानी की निकासी के लिए नगर पालिका परिषद ने साल 2004 में एक बड़ी स्कीम बनाई थी. इस स्कीम में शहर के ड्रेनेज वाटर को शिवना नदी में मिलने से रोकने और इसे 4 किलोमीटर दूर अलावदा खेड़ी इलाके तक छोड़ने का प्लान शामिल था. हालांकि पालिका परिषद ने इस योजना पर कुछ काम भी किया लेकिन तकनीकी तौर पर स्कीम फेल होने से एक तरफ नदी में प्रदूषण बरकरार है, वहीं दूसरी तरफ अब ये योजना पूरी तरह ध्वस्त हो गई है. वहीं नगर पालिका प्रशासन ने नई योजना प्रस्तावित कि है, जिसे नगरी निकाय विभाग ने मंजूरी दे दी है. नगर पालिका सीएमओ आर पी मिश्रा ने बताया कि इस स्कीम के पूरा होने के बाद शहर के बरसाती पानी और ड्रेनेज वाटर की निकासी की समस्या हल होगी.

Intro:मंदसौर ।शहर की ड्रेनेज व्यवस्था बड़ी बदहाल है ।शिवना नदी के किनारे बसे शहर की, डेढ़ दर्जन बस्तियों में गंदे पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था ना होने से यहां के लोग कई सालों से खासे परेशान हैं। निचली बस्तियों का आलम यह है कि बरसाती सीजन में थोड़ी ही देर गिरे पानी से यहां के लोग जलभराव की समस्या से परेशान हो जाते हैं ।वहीं इन बस्तियों के ड्रेनेज वाटर के निकासी की भी कोई व्यवस्था ना होने से लोगों में भारी नाराजगी का माहौल है ।इधर शहर की इस बड़ी समस्या के प्रति ना तो प्रशासन और ना ही नगर पालिका के अधिकारियों का कोई ध्यान हैं।


Body:डेढ़ लाख की आबादी वाले मंदसौर शहर का क्षेत्रफल लगभग 127 वर्ग किलोमीटर है ।इस शहर में छोटी-बड़ी करीब 325 कालोनियां बसी हुई हैं।शिवना नदी के किनारे बसे शहर में अधिकतर बस्तियां निचले इलाकों में बसी हुई है ।लिहाजा यहां बरसाती पानी और घरेलू ड्रेनेज के पानी की निकासी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है ।मामूली बरसात के दौरान ही यहां बाढ़ का पानी जमा होने से खानपुरा, धान मंडी ,किला रोड और बरगुंडा मोहल्ला के अलावा अभिनंदन एक्सटेंशन, नरसिंह घाट और प्रतापगढ़ पुल इलाकों की कई बस्तियों में जलभराव हो जाता है। इन बस्तियों के घरेलू ड्रेनेज वाटर की निकासी की भी व्यवस्था नगर पालिका के पंपिंग सिस्टम पर ही टिकी हुई है ।पूरे शहर का गंदा पानी सिटी के दक्षिणी किनारे बहने वाली शिवना नदी में जाकर मिलता है। लिहाजा यह नदी पूरी तरह से प्रदूषण की शिकार है ।उधर बस्तियों का ड्रेनेज वाटर, कई हफ्तों तक नालो में जमा रहता है और गंदे पानी की पंपिंग ना होने से लोग दुर्गंध के मारे खासे परेशान हैं।
byte 1: मोहम्मद हुसैन, स्थानीय नागरिक ,खानपुरा
byte 2: अमीर खां, स्थानीय नागरिक, बरगुंडा गली, मंदसौर


Conclusion:शहर के गंदे पानी की निकासी के लिए नगर पालिका परिषद ने वर्ष 2004 में एक बड़ी स्कीम बनाई थी ।इस स्कीम में शहर के ड्रेनेज वाटर को शिवना नदी में मिलने से रोकने और इसे 4 किलोमीटर दूर अलावदा खेड़ी इलाके तक छोड़ने का प्लान शामिल था ।करीब 11 करोड रुपए की लागत से नगर पालिका परिषद ने इस स्कीम में नदी किनारे चार इंटरवेल बनाकर शहर के गंदे पानी को नदी में मिलने के बजाय नाले के जरिए दूर ले जाने की स्कीम बनाई थी ।हालांकि पालिका परिषद ने इस योजना पर कुछ काम भी किया लेकिन तकनीकी तौर पर स्कीम फेल होने से एक तरफ नदी में प्रदूषण बरकरार है,वही दूसरी तरफ अब ये योजना पूरी तरह ध्वस्त हो गई है। वहीं इस समस्या से निजात पाने के लिए नगर पालिका प्रशासन में नई योजना प्रस्तावित कि है, जिसे नगरी निकाय विभाग ने मंजूरी दे दी है ,और फिलहाल इस पर काम जारी है ।नगर पालिका सीएमओ आर पी मिश्रा ने बताया कि इस स्कीम के पूरा होने के बाद शहर के बरसाती पानी और ड्रेनेज वाटर की निकासी की समस्या हल होगी ।
byte 3:आरपी मिश्रा, सीएमओ, नगर पालिका परिषद, मंदसौर

विनोद गौड़ ,रिपोर्टर ,मंदसौर
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