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प्राकृतिक आपदा और सरकारी मदद के अभाव में बीता किसानों का 2019 का साल, फिर लगाई न्याय की गुहार

बीतता साल 2019 किसानों के लिए बदहाली का साल रहा. चाहे वह प्रकृति की मार हो या फिर शासन प्रशासन का किसानों के प्रति गैरजिम्मेदाराना रवैया.

2019 year of farmers lost due to lack of government help
सरकारी मदद के अभाव में बीता किसानों का 2019
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Published : Dec 28, 2019, 4:11 AM IST

मंदसौर। साल 2019 खत्म होने को है लेकिन ये साल अन्नदाता के लिए बदहाली का साल रहा. मालवा इलाके में आई बाढ़ और अतिवृष्टि के कारण किसानों की फसलें पिछली सीजन में पूरी तरह बर्बाद हो गई. फसल की लागत तो दूर किसान दाने-दाने को मोहताज हो गया और रही सही कसर अधूरी कर्ज माफी और फसल मुआवजे ने पूरी कर दी. यहां तक की सरकार से भी किसान को कोई आर्थिक मदद नहीं मिली. 2019 में भूमिपुत्र को मिला तो सिर्फ वादों का झूनझूना.

सरकारी मदद के अभाव में बीता किसानों का 2019

पिछले मानसून के दौरान जिले में बारिश का आंकड़ा 100 इंच के रिकॉर्ड ऊंचाई वाले स्तर को पार कर गया और पूरे जिले के किसानों की सोयाबीन और मक्का फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई. कई किसानों को अभी तक भी फसलों का मुआवजा नहीं मिला है. इन दिनों रबी फसल की निदाई, गुड़ाई और सिंचाई का दौर चल रहा है. ऐसे में जिले के किसानों को यूरिया खाद की सख्त जरूरत महसूस हो रही है, लेकिन रासायनिक खाद के लिए भी किसानों को लाइन में लगना पड़ रहा है. खास बात ये है कि कई किसानों को हफ्ते भर इंतजार के बाद भी यूरिया नहीं मिल रहा है.

किसानों का कहना है कि जिस कर्जमाफी के वादे पर कमलनाथ सरकार सत्ता में आई थी. अभी तक अपना वादा पूरा नहीं कर पाई. पीड़ित किसान आज सरकार से सवाल पूछ रहा है कि आखिर कैसे वो अपना नया साल मनाए

किसानों की सोयाबीन और मक्का फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई. इस संबंध में कई किसानों को अभी तक भी फसलों का मुआवजा नहीं मिला है, वहीं यूरिया की किल्लत से जूझ रहा किसान बेहद परेशान है. किसानों का कहना है कि उसे खेत में डालने के लिए अभी तक यूरिया नहीं मिला है. कई किसानों को हफ्ते भर इंतजार के बाद भी यूरिया नहीं मिल रहा है. लेकिन अब कलेक्टर साहब की भी सुन लिजिए.

कर्ज माफी और मुहावजे जैसे मुद्दों पर सरकार की विफलता से नाराज किसानों ने अब फसल बीमा जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलने की भी शिकायत की है. कलेक्टर ने भी कर्ज माफी और यूरिया खाद के मुद्दे पर किसानों की परेशानी की बात मानी है. लेकिन उनका कहना है कि आंकड़ों के हिसाब से किसानों को पर्याप्त मात्रा में यूरिया मिल रहा है.
लिहाजा, बीतता साल 2019 किसानों के लिए बदहाली का साल रहा. चाहे वो प्रकृति की मार हो या फिर शासन-प्रशासन का किसानों के प्रति गैरजिम्मेदाराना रवैया.

मंदसौर। साल 2019 खत्म होने को है लेकिन ये साल अन्नदाता के लिए बदहाली का साल रहा. मालवा इलाके में आई बाढ़ और अतिवृष्टि के कारण किसानों की फसलें पिछली सीजन में पूरी तरह बर्बाद हो गई. फसल की लागत तो दूर किसान दाने-दाने को मोहताज हो गया और रही सही कसर अधूरी कर्ज माफी और फसल मुआवजे ने पूरी कर दी. यहां तक की सरकार से भी किसान को कोई आर्थिक मदद नहीं मिली. 2019 में भूमिपुत्र को मिला तो सिर्फ वादों का झूनझूना.

सरकारी मदद के अभाव में बीता किसानों का 2019

पिछले मानसून के दौरान जिले में बारिश का आंकड़ा 100 इंच के रिकॉर्ड ऊंचाई वाले स्तर को पार कर गया और पूरे जिले के किसानों की सोयाबीन और मक्का फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई. कई किसानों को अभी तक भी फसलों का मुआवजा नहीं मिला है. इन दिनों रबी फसल की निदाई, गुड़ाई और सिंचाई का दौर चल रहा है. ऐसे में जिले के किसानों को यूरिया खाद की सख्त जरूरत महसूस हो रही है, लेकिन रासायनिक खाद के लिए भी किसानों को लाइन में लगना पड़ रहा है. खास बात ये है कि कई किसानों को हफ्ते भर इंतजार के बाद भी यूरिया नहीं मिल रहा है.

किसानों का कहना है कि जिस कर्जमाफी के वादे पर कमलनाथ सरकार सत्ता में आई थी. अभी तक अपना वादा पूरा नहीं कर पाई. पीड़ित किसान आज सरकार से सवाल पूछ रहा है कि आखिर कैसे वो अपना नया साल मनाए

किसानों की सोयाबीन और मक्का फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई. इस संबंध में कई किसानों को अभी तक भी फसलों का मुआवजा नहीं मिला है, वहीं यूरिया की किल्लत से जूझ रहा किसान बेहद परेशान है. किसानों का कहना है कि उसे खेत में डालने के लिए अभी तक यूरिया नहीं मिला है. कई किसानों को हफ्ते भर इंतजार के बाद भी यूरिया नहीं मिल रहा है. लेकिन अब कलेक्टर साहब की भी सुन लिजिए.

कर्ज माफी और मुहावजे जैसे मुद्दों पर सरकार की विफलता से नाराज किसानों ने अब फसल बीमा जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलने की भी शिकायत की है. कलेक्टर ने भी कर्ज माफी और यूरिया खाद के मुद्दे पर किसानों की परेशानी की बात मानी है. लेकिन उनका कहना है कि आंकड़ों के हिसाब से किसानों को पर्याप्त मात्रा में यूरिया मिल रहा है.
लिहाजा, बीतता साल 2019 किसानों के लिए बदहाली का साल रहा. चाहे वो प्रकृति की मार हो या फिर शासन-प्रशासन का किसानों के प्रति गैरजिम्मेदाराना रवैया.

Intro:
मंदसौर ।वर्ष 2019 अपने आखिरी दिनों के दौर से गुजर रहा है। लेकिन खेती किसानी के कारोबार के लिहाज से यह साल पिछले 25 सालों के दौरान सबसे बुरा साल रहा है मालवा इलाके में आई बाढ़ और अतिवृष्टि के कारण किसानों की फसलें पिछली सीजन में पूरी तरह बर्बाद हो गई और कमाई ना होने से तमाम किसान की आर्थिक कमर टूट गई है ।उधर कर्ज माफी और फसल मुआवजे के मामले में भी किसान को अभी तक सरकारी मदद ना मिलने से किसानों का यह साल काफी बुरे हालातों से गुजरा है।


Body:पिछले मानसून के दौरान जिले में बारिश का आंकड़ा 100 इंच के रिकॉर्ड ऊंचाई वाले स्तर को पार कर गया और पूरे जिले के किसानों की सोयाबीन और मक्का फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई। इस संबंध में कई किसानों को अभी तक भी फसलों का मुआवजा नहीं मिला है ।वहीं दूसरी तरफ कर्ज माफी के वादे पर सत्ता में आई सरकार यहा, दो तिहाई किसानों के कर्ज भी माफ नहीं कर पाई ,लिहाजा किसानों के एक बड़े वर्ग में सरकार के खिलाफ भारी नाराजगी है ।इन दिनों रबी फसल की निदाई, गुड़ाई और सिंचाई का दौर चल रहा है ।ऐसे में जिले के किसानों को यूरिया खाद की सख्त जरूरत महसूस हो रही है। लेकिन रासायनिक खाद के लिए भी किसानों को लाइन में लगना पड़ रहा है ।खास बात यह है कि कई किसानों को हफ्ते भर इंतजार के बाद भी यूरिया नहीं मिल रहा है, इन हालातों से वह रबी की गेहूं ,चना और लहसुन फसल की कमाई से भी चूक रहे हैं ।
1.मांगीलाल मेहता ,किसान
2. रामेश्वर धाकड़, किसान


Conclusion:कर्ज माफी और मुहावजे जैसे मुद्दों पर सरकार की विफलता से नाराज किसानों ने अब फसल बीमा जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलने की भी शिकायत की है ।उधर जिले के कलेक्टर मनोज पुष्प ने भी कर्ज माफी और यूरिया खाद के मुद्दे पर किसानों की परेशानी की बात मानी है ।हालांकि उन्होंने कहा कि दूसरे चरण की प्रक्रिया के बाद तमाम किसानों की कर्ज माफी की कार्रवाई होगी। वहीं उन्होंने जल्द ही फसलों के मुआवजे संबंधी मामले में वंचित रहे किसानों को भी राशियां दिलवाने का आश्वासन दिया है ।
3.देवीलाल मेहता, किसान
4.मनोज पुष्प, कलेक्टर ,मंदसौर
PTC: विनोद गौड़, रिपोर्टर, मंदसौर



नोट :यह समाचार डेस्क से विशेष पैकेज के रूप में मांगा गया था. अतः इसमें वॉइस ओवर नहीं किया गया है ,कृपया यथोचित लगाएं.
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