ETV Bharat / state

ध्वनि प्रदूषण करने वाले वाहनों पर यातायात पुलिस की कार्रवाई, काटे जा रहे चालान

इन दिनों युवाओं के बीच बाइकों में तेज आवाज वाले साइलेंसर का चलन बढ़ गया है, जिससे वायु के साथ-साथ ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ रहा है. पुलिस ने इसके खिलाफ चालानी कार्रवाई शुरू कर दी है.

traffic police action
ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम के लिए कार्रवाई
author img

By

Published : Jul 22, 2020, 12:45 PM IST

मंदसौर। युवाओं के बीच बाइकों में तेज आवाज वाले साइलेंसर का चलन बढ़ गया है, जिससे वायु के साथ-साथ ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ रहा है. युवा अपनी बाइक के साइलेंसर में परिवर्तन कर रहे हैं, ऐसे में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को लेकर अब यातायात पुलिस और विभागीय अधिकारियों ने इस गैरकानूनी काम की रोकथाम के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है. साइलेंसर में परिवर्तन कर उसकी आवाज तेज करने वाले मामले ज्यादातर पुरानी गाड़ियों में समाने आए हैं.

ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम के लिए कार्रवाई

किया गया है एक्ट लागू

ध्वनि प्रदूषण के मामलों की रोकथाम के लिए प्रदेश में दो तरह के एक्ट लागू हैं, जिनके तहत यातायात और परिवहन विभाग दोषी वाहन मालिकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करता है.

  • मोटर व्हिकल्स एक्ट- 1988 के तहत ध्वनि प्रदूषण करने वाले प्रायवेट वाहन मालिकों के खिलाफ एक हजार रुपए और व्यवसायिक वाहन मालिकों के खिलाफ तीन हजार रुपये जुर्माना वसूलने का नियम है.
  • इसी एक्ट की धारा- 191 के तहत कोई भी वाहन चालक अपने वाहन का साउंड परिवर्तित करने के लिए यदि कंपनी द्वारा दिए गए पार्ट्स में परिवर्तन कर उसे बदलता है, तो ऐसे दोषी वाहन मालिकों के खिलाफ भी यातायात विभाग निजी वाहन में पांच हजार रुपए और व्यावसायिक वाहन पर 10 हजार रुपए का जुर्माना वसूलता है.

जगह-जगह बनाए गए हैं चेकिंग प्वाइंट

जिले में तेजी से बढ़ रहे इस तरह के चलन पर लगाम लगाने के लिए यातायात विभाग ने कई जगह चेकिंग पॉइंट बनाकर रोजाना चालानी कार्रवाई करनी शुरू कर दी है. हैरानी की बात तो यह है कि, कई बाइक चालकों को इस तरह के नियमों की जानकारी ही नहीं है. वहीं दूसरी तरफ लापरवाह फोर व्हील मालिकों को भी विभाग अब उनके वाहनों के साइलेंसर और उपकरण दुरुस्त करवाने के आदेश देकर चालान काट रहा हैं.

तैनात हैं टीमें
ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम के मामले में यातायात विभाग ने तीन-तीन कर्मचारियों की 11 टीमें बनाई हैं. ये टीमें मंदसौर शहर के अलावा तहसील और नगरीय क्षेत्रों में जगह-जगह चेकिंग प्वाइंट बनाकर दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर रही हैं.

ध्वनि प्रदूषण में बाइक चालकों की ज्यादा संख्या

ध्वनि प्रदूषण के मामलों में सबसे ज्यादा बाइक चालकों की संख्या सामने आ रही है. विभागीय अधिकारियों के मुताबिक साइलेंसर परिवर्तित करना, जानबूझकर किए गए अपराध की श्रेणी में आता है. इसमें धारा- 188 के तहत पांच हजार रुपए जुर्माना वसूली की कार्रवाई की जा रही है. वहीं कई मामलों में विभाग अब मालिकों के वाहन की जब्ती की कार्रवाई भी कर रहा है. हालांकि विभागीय अधिकारियों ने टेंपो, टैक्सी, ट्रैक्टर और ट्रक जैसे वाहनों में हो रहे ध्वनि प्रदूषण के मामलों में भी मालिकों को नियंत्रण करने की कानूनी सलाह देकर उन्हें रवाना भी कर रहे हैं.

यातायात थाना प्रभारी शैलेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि, इस तरह के मामलों में विभाग रोजाना दो शिफ्टों में चेकिंग कर दोषी लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर रहा है.

आम लोगों की जिंदगी को आसान बनाने वाले वाहनों ने अब छोटे शहरों में वायु प्रदूषण के बाद ध्वनि प्रदूषण की नई समस्या खड़ी कर दी है. अलग-अलग वाहनों के ध्वनि प्रदूषण के मामले में भारी डेसीबल वाली आवाज करने वाले वाहन से अब लोगों में मानसिक शांति भंग करने जैसे रोग तेजी से बढ़ रहे हैं. बढ़ते फैशन वाले दौर में अब इनके मालिकों पर लगाम लगाना विभाग के लिए एक चुनौती बनता जा रहा है.

मंदसौर। युवाओं के बीच बाइकों में तेज आवाज वाले साइलेंसर का चलन बढ़ गया है, जिससे वायु के साथ-साथ ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ रहा है. युवा अपनी बाइक के साइलेंसर में परिवर्तन कर रहे हैं, ऐसे में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण को लेकर अब यातायात पुलिस और विभागीय अधिकारियों ने इस गैरकानूनी काम की रोकथाम के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है. साइलेंसर में परिवर्तन कर उसकी आवाज तेज करने वाले मामले ज्यादातर पुरानी गाड़ियों में समाने आए हैं.

ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम के लिए कार्रवाई

किया गया है एक्ट लागू

ध्वनि प्रदूषण के मामलों की रोकथाम के लिए प्रदेश में दो तरह के एक्ट लागू हैं, जिनके तहत यातायात और परिवहन विभाग दोषी वाहन मालिकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करता है.

  • मोटर व्हिकल्स एक्ट- 1988 के तहत ध्वनि प्रदूषण करने वाले प्रायवेट वाहन मालिकों के खिलाफ एक हजार रुपए और व्यवसायिक वाहन मालिकों के खिलाफ तीन हजार रुपये जुर्माना वसूलने का नियम है.
  • इसी एक्ट की धारा- 191 के तहत कोई भी वाहन चालक अपने वाहन का साउंड परिवर्तित करने के लिए यदि कंपनी द्वारा दिए गए पार्ट्स में परिवर्तन कर उसे बदलता है, तो ऐसे दोषी वाहन मालिकों के खिलाफ भी यातायात विभाग निजी वाहन में पांच हजार रुपए और व्यावसायिक वाहन पर 10 हजार रुपए का जुर्माना वसूलता है.

जगह-जगह बनाए गए हैं चेकिंग प्वाइंट

जिले में तेजी से बढ़ रहे इस तरह के चलन पर लगाम लगाने के लिए यातायात विभाग ने कई जगह चेकिंग पॉइंट बनाकर रोजाना चालानी कार्रवाई करनी शुरू कर दी है. हैरानी की बात तो यह है कि, कई बाइक चालकों को इस तरह के नियमों की जानकारी ही नहीं है. वहीं दूसरी तरफ लापरवाह फोर व्हील मालिकों को भी विभाग अब उनके वाहनों के साइलेंसर और उपकरण दुरुस्त करवाने के आदेश देकर चालान काट रहा हैं.

तैनात हैं टीमें
ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम के मामले में यातायात विभाग ने तीन-तीन कर्मचारियों की 11 टीमें बनाई हैं. ये टीमें मंदसौर शहर के अलावा तहसील और नगरीय क्षेत्रों में जगह-जगह चेकिंग प्वाइंट बनाकर दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर रही हैं.

ध्वनि प्रदूषण में बाइक चालकों की ज्यादा संख्या

ध्वनि प्रदूषण के मामलों में सबसे ज्यादा बाइक चालकों की संख्या सामने आ रही है. विभागीय अधिकारियों के मुताबिक साइलेंसर परिवर्तित करना, जानबूझकर किए गए अपराध की श्रेणी में आता है. इसमें धारा- 188 के तहत पांच हजार रुपए जुर्माना वसूली की कार्रवाई की जा रही है. वहीं कई मामलों में विभाग अब मालिकों के वाहन की जब्ती की कार्रवाई भी कर रहा है. हालांकि विभागीय अधिकारियों ने टेंपो, टैक्सी, ट्रैक्टर और ट्रक जैसे वाहनों में हो रहे ध्वनि प्रदूषण के मामलों में भी मालिकों को नियंत्रण करने की कानूनी सलाह देकर उन्हें रवाना भी कर रहे हैं.

यातायात थाना प्रभारी शैलेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि, इस तरह के मामलों में विभाग रोजाना दो शिफ्टों में चेकिंग कर दोषी लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर रहा है.

आम लोगों की जिंदगी को आसान बनाने वाले वाहनों ने अब छोटे शहरों में वायु प्रदूषण के बाद ध्वनि प्रदूषण की नई समस्या खड़ी कर दी है. अलग-अलग वाहनों के ध्वनि प्रदूषण के मामले में भारी डेसीबल वाली आवाज करने वाले वाहन से अब लोगों में मानसिक शांति भंग करने जैसे रोग तेजी से बढ़ रहे हैं. बढ़ते फैशन वाले दौर में अब इनके मालिकों पर लगाम लगाना विभाग के लिए एक चुनौती बनता जा रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.