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मंदसौर गोलीकांड का खौफ, कम किसानों ने किया चक्काजाम, 61 गिरफ्तार - farmers protest

2017 में हुए मंदसौर गोलीकांड का खौफ अब तक मंदसौरवासियों में घर किया हुआ है. यही वजह है कि शनिवार को कृषि संगठनों के आह्वान हुए चक्काजाम में शहर से कम संख्या में किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया.

farmers protest
किसानों का विरोध प्रदर्शन
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Published : Feb 6, 2021, 5:03 PM IST

मंदसौर। कृषि संगठनों के आह्वान पर देशभर में शनिवार को हाइवे पर चक्काजाम किया जा रहा है. इसी आह्वान के तहत मंदसौर जिले में भी मालवा किसान संगठन के बैनर तले किसानों और कांग्रेस नेताओं ने हाइवे पर चक्काजाम किया. जैसे ही इस बात की जानकारी पुलिस अधिकारियों को मिली तो विरोध कर रहे किसानों को कार्यकर्ताओं को पुलिस ने बलपूर्वक हटाया. साथ ही करीब 61 लोगों को गिरफ्तार भी किया है.

किसानों ने किया चक्काजाम

चक्काजाम के दौरान वाहनों की लंबी कतार

शहर में प्रदर्श के दौरान महु-नीमच हाइवे पर वाहनों की लंबी कतार लग गई थी. लेकिन भारी पुलिस बल की मुस्तैदी के कारण ये चक्काजाम ज्यादा देर तक नहीं चल पाया. करीब 20 मिनट बाद पुलिस ने चक्काजाम खुलवाया.

वेयर हाउस बना अस्थाई जेल

गिरफ्तार हुए 61 प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने पास ही के वेयर हाउस में अस्थाई जेल बनाकर थोड़ी देर कैद रखा. इसके बाद सभी को छोड़ दिया गया. चक्काजाम के बाद पुलिस ने यातायात व्यवस्था को सुचारु रूप से चालू किया.

Police force deployed
पुलिस बल तैनात

ये भी पढ़ेंः किसानों के समर्थन में कांग्रेस ने किया चक्काजाम, जमकर की नारेबाजी

किसान आंदोलन करने से कतराने लगे

2017 में मंदसौर में किसान आंदोलन के दौरान हुए गोलीकांड के बाद अब जिले में किसान आंदोलन करने से कतराते हैं. यही वजह है कि शनिवार को हुए चक्काजाम में कम संख्या में किसान पहुंचे. हालांकि, प्रशासन पूरी तरह से तैयार था. इसलिए भारी पुलिस बल भी तैनात किया गया था.

ये भी पढ़ेंः बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कांग्रेस पर बोला हमला, कहा- मंदसौर से पहले मुलताई कांड को याद करें कांग्रेसी

6 किसानों की हुई थी मौत

मंदसौर जिले में 6 जून 2017 की तारीख किसान आंदोलन के दौरान 6 किसानों की मौत हुई थी. पिपलिया मंडी में 1 जून 2017 से शुरू हुआ किसान आंदोलन 6 जून को हिंसक हो गया था. तनाव बढ़ने पर पुलिस ने गोलियां चला दीं. जिसमें 6 किसानों की मौत हो गई थी.

स्वामीनाथन आयोग की मांगों को लेकर हुआ था आंदोलन

मंदसौर में हुआ किसान आंदोलन स्वामीनाथन आयोग की मांगों पर हुआ था. जिसमें फसलों के वाजिब दाम, महंगाई के हिसाब से सर्मथन मूल्य पर खरीदी, खाद, बीज सहित कई मांगें किसानों ने सरकार से की थी. लेकिन जब उन पर विचार नहीं हुआ तो 1 जून 2017 से मंदसौर के दलोदा में किसानों ने आंदोलन का रास्ता पकड़ते हुए हाईवे पर चक्काजाम कर दिया था.

ये भी पढ़ेंः जब हिंसा की आग में झुलस गया था किसान, मंदसौर किसान आंदोलन की तीसरी बरसी आज...

किसान नेताओं की अगुवाई में शुरू हुए इस आंदोलन में 3 दिन के भीतर ही जिले के हजारों किसान सड़क पर उतर गए थे. लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. लिहाजा आंदोलन उग्र होने लगा. इसी दौरान मंदसौर की पिपलिया मंडी थाना क्षेत्र में पुलिस से हुई मुठभेड़ में पुलिस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए फायरिंग कर दी. जिसमें पांच किसानों की मौत हो गई. इस घटना से आक्रोशित किसानों ने भी हमला करते हुए सड़क पर खड़े कई वाहनों में आग लगा दी. पुलिस पर आरोप लगा कि दालौदा क्षेत्र में पुलिसकर्मियों ने एक किसान को पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया. हिंसा इतनी बढ़ी की मोर्चे पर CRPF और सेना को उतारना पड़ा. तब कहीं जाकर हालात काबू हुए.

मंदसौर। कृषि संगठनों के आह्वान पर देशभर में शनिवार को हाइवे पर चक्काजाम किया जा रहा है. इसी आह्वान के तहत मंदसौर जिले में भी मालवा किसान संगठन के बैनर तले किसानों और कांग्रेस नेताओं ने हाइवे पर चक्काजाम किया. जैसे ही इस बात की जानकारी पुलिस अधिकारियों को मिली तो विरोध कर रहे किसानों को कार्यकर्ताओं को पुलिस ने बलपूर्वक हटाया. साथ ही करीब 61 लोगों को गिरफ्तार भी किया है.

किसानों ने किया चक्काजाम

चक्काजाम के दौरान वाहनों की लंबी कतार

शहर में प्रदर्श के दौरान महु-नीमच हाइवे पर वाहनों की लंबी कतार लग गई थी. लेकिन भारी पुलिस बल की मुस्तैदी के कारण ये चक्काजाम ज्यादा देर तक नहीं चल पाया. करीब 20 मिनट बाद पुलिस ने चक्काजाम खुलवाया.

वेयर हाउस बना अस्थाई जेल

गिरफ्तार हुए 61 प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने पास ही के वेयर हाउस में अस्थाई जेल बनाकर थोड़ी देर कैद रखा. इसके बाद सभी को छोड़ दिया गया. चक्काजाम के बाद पुलिस ने यातायात व्यवस्था को सुचारु रूप से चालू किया.

Police force deployed
पुलिस बल तैनात

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किसान आंदोलन करने से कतराने लगे

2017 में मंदसौर में किसान आंदोलन के दौरान हुए गोलीकांड के बाद अब जिले में किसान आंदोलन करने से कतराते हैं. यही वजह है कि शनिवार को हुए चक्काजाम में कम संख्या में किसान पहुंचे. हालांकि, प्रशासन पूरी तरह से तैयार था. इसलिए भारी पुलिस बल भी तैनात किया गया था.

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6 किसानों की हुई थी मौत

मंदसौर जिले में 6 जून 2017 की तारीख किसान आंदोलन के दौरान 6 किसानों की मौत हुई थी. पिपलिया मंडी में 1 जून 2017 से शुरू हुआ किसान आंदोलन 6 जून को हिंसक हो गया था. तनाव बढ़ने पर पुलिस ने गोलियां चला दीं. जिसमें 6 किसानों की मौत हो गई थी.

स्वामीनाथन आयोग की मांगों को लेकर हुआ था आंदोलन

मंदसौर में हुआ किसान आंदोलन स्वामीनाथन आयोग की मांगों पर हुआ था. जिसमें फसलों के वाजिब दाम, महंगाई के हिसाब से सर्मथन मूल्य पर खरीदी, खाद, बीज सहित कई मांगें किसानों ने सरकार से की थी. लेकिन जब उन पर विचार नहीं हुआ तो 1 जून 2017 से मंदसौर के दलोदा में किसानों ने आंदोलन का रास्ता पकड़ते हुए हाईवे पर चक्काजाम कर दिया था.

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किसान नेताओं की अगुवाई में शुरू हुए इस आंदोलन में 3 दिन के भीतर ही जिले के हजारों किसान सड़क पर उतर गए थे. लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. लिहाजा आंदोलन उग्र होने लगा. इसी दौरान मंदसौर की पिपलिया मंडी थाना क्षेत्र में पुलिस से हुई मुठभेड़ में पुलिस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए फायरिंग कर दी. जिसमें पांच किसानों की मौत हो गई. इस घटना से आक्रोशित किसानों ने भी हमला करते हुए सड़क पर खड़े कई वाहनों में आग लगा दी. पुलिस पर आरोप लगा कि दालौदा क्षेत्र में पुलिसकर्मियों ने एक किसान को पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया. हिंसा इतनी बढ़ी की मोर्चे पर CRPF और सेना को उतारना पड़ा. तब कहीं जाकर हालात काबू हुए.

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