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खंडहर में तब्दील हुई स्कूल की इमारत, 2 कमरों में चलतीं हैं 5 कक्षाएं - अधूरा शौचालय

जिले के प्राथमिक स्कूल का भवन खंडहर में तब्दील हो चुका है. दो कमरों में पूरे स्कूल का संचालन किया जा रहा है. सभी पांच कक्षाएं इन्हीं दो कमरों में लगाई जाती हैं.

खण्डरनुमा स्कूल भवन
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Published : Sep 5, 2019, 7:47 PM IST

मण्डला। जिला मुख्यालय से 16 किलोमीटर दूर स्थित प्रथमिक शाला सुभरिया की इमारत पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो चुकी है. सिर्फ दो कमरों में सभी पांच कक्षाएं चलाई जा रही हैं. बच्चे डर के साए में पढ़ाई करने को मजबूर हैं, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी मात्र 16 किलोमीटर दूर बैठकर इस विद्यालय की बदहाली नहीं देख पा रहे हैं.

खण्डरनुमा स्कूल भवन

प्रथमिक शाला सुभरिया का भवन 1962 में बनाया गया था, और साल 2015 में इसे जर्जर बता कर इसकी नीलामी कर दी गयी, जिसमें खरीददार इसके सामने की लकड़ियां और दरवाजे उठा ले गया और जो बचा सिर्फ खंडहर रह गया. लेकिन स्कूली बच्चों और शिक्षकों की मजबूरी देखिए कि बीते 5 साल से ये यहीं डर के साए में पढ़ाई और अध्यापन करने पर मजबूर हैं. भवन के पीछे बड़ा सा गड्ढा है और एक नाला भी बहता है.

शिक्षकों का कहना है, कि हर मौसम में यही परेशानी बीते 5 साल से झेल रहे हैं. जिसकी शिकायत अधिकारियों को भी की गई, मुआयना भी हुआ लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है. बारिश का पूरा पानी स्कूल में भर जाता है और बाकी के समय 5 कक्षाओं को 2 कमरे में बैठा कर पढ़ना पड़ता है वहीं इस स्कूल का आधा अधूरा शौचालय भी उपयोग के लायक नहीं है.

मण्डला। जिला मुख्यालय से 16 किलोमीटर दूर स्थित प्रथमिक शाला सुभरिया की इमारत पूरी तरह खंडहर में तब्दील हो चुकी है. सिर्फ दो कमरों में सभी पांच कक्षाएं चलाई जा रही हैं. बच्चे डर के साए में पढ़ाई करने को मजबूर हैं, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारी मात्र 16 किलोमीटर दूर बैठकर इस विद्यालय की बदहाली नहीं देख पा रहे हैं.

खण्डरनुमा स्कूल भवन

प्रथमिक शाला सुभरिया का भवन 1962 में बनाया गया था, और साल 2015 में इसे जर्जर बता कर इसकी नीलामी कर दी गयी, जिसमें खरीददार इसके सामने की लकड़ियां और दरवाजे उठा ले गया और जो बचा सिर्फ खंडहर रह गया. लेकिन स्कूली बच्चों और शिक्षकों की मजबूरी देखिए कि बीते 5 साल से ये यहीं डर के साए में पढ़ाई और अध्यापन करने पर मजबूर हैं. भवन के पीछे बड़ा सा गड्ढा है और एक नाला भी बहता है.

शिक्षकों का कहना है, कि हर मौसम में यही परेशानी बीते 5 साल से झेल रहे हैं. जिसकी शिकायत अधिकारियों को भी की गई, मुआयना भी हुआ लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है. बारिश का पूरा पानी स्कूल में भर जाता है और बाकी के समय 5 कक्षाओं को 2 कमरे में बैठा कर पढ़ना पड़ता है वहीं इस स्कूल का आधा अधूरा शौचालय भी उपयोग के लायक नहीं है.

Intro:मण्डला जिला मुख्यालय से करीब 16 किलोमीटर दूर पिंडरई रोड पर सड़क के किनारे ही सुभरिया में एक ऐसा प्राथमिक स्कूल है जिसे देख कर पहली नज़र में कोई भी इसे खण्डहर ही समझे लेकिन जब आप इसके भीतर दाखिल होंगे तो आपको इस खण्डहर के भीतर आधा सैकड़ा से ज्यादा बच्चे पढाई करते दिख जाएंगे जो निश्चित ही भय के साए में बैठे होते हैं


Body:1962 में प्रथमिक शाला सुभरिया का भवन बनाया गया था जिसे आज से 5 साल पहले 2015 में जर्जर बता कर इसकी नीलामी कर दी गयी और खरीददार इसकी सामने की लकड़ियां दरवाजे ले गए बाकी का जो हिस्सा बचा वो दो कमरे का जर्जर से भी बद्दतर खंडहर रह गया लेकिन स्कूली बच्चों और शिक्षकों की मजबूरी देखिए कि बीते 5 साल से ये यहीं डर के साए में विद्या अध्ययन और अध्यापन करने को विवश हैं,जिसके पीछे करीब ही बड़ा सा गढ्ढा है और एक खतरनाक नाला भी बहता है,वहीं दीवारें और उनकी दरारें ऐसी हैं कि इनसे सूरज की रौशनी न केवल झांकती है बल्कि भीतर भी दाखिल हो जाती है।


Conclusion:शिक्षक का कहना है कि हर मौषम में यहाँ परेशानी बीते 5 साल से झेल रहे हैं अधिकारियों को भी बताया गया मौक़े का मुआयना भी हुआ लेकिन समस्या जस के तस है,बारिस का पूरा पानी स्कूल में भर जाता है और बाकी के समय 5 कक्षाओं को 2 कमरे में बैठा कर पढ़ना पड़ता है वहीं इस स्कूल का आधा अधूरा सौचालय भी उपयोग के लायक नहीं कुल मिला कर यह स्कूल नहीं वो खण्डहर है जहाँ नोनीहाल असुविधाओं डर के साए में पढ़ाई कर रहे हैं।

बाईट--शिक्षक,प्राथमिक शाला सुभरिया
बाईट--राजेश बहुगुणा,संभागायुक्त जबलपुर संभाग
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