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कैलीफोर्निया की नौकरी छोड़ गांव में जागरूकता फैला रहीं 'पैड वुमन'

मंडला में इन दिनों पैड वूमन ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं, स्कूली छात्राओं और लड़कियों को माहवारी के समय होने वाली परेशानी के साथ ही हाईजीन से होने वाले संक्रमण को लेकर जागरूक कर रही हैं.

'पैड वुमन' फैला रही जागरूकता
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Published : Nov 12, 2019, 11:29 PM IST

मंडला। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं, स्कूली छात्राओं और लड़कियों को माहवारी के समय होने वाली परेशानी के साथ ही हाईजीन से होने वाले संक्रमण को लेकर जागरूक कर रही हैं पैड वूमन माया विश्वकर्मा. जिले के एक छोटे से गांव मे जन्मी और सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली माया विश्वकर्मा को आज लोग पैड वूमेन या पैड जिज्जी के नाम से जानते हैं. माया केलिफोर्निया में सीनियर रिसर्च एसोसिएट के पद पर काम करने के बाद आब अपने गृह जिले की महिलाओं को मासिकधर्म के बारे में जागरूक करने का काम कर रही हैं.

'पैड वुमन' फैला रही जागरूकता


प्रदेश के 22 जिलों तक जागरुकता का उद्देश्य लिए साल 2017 से माया विश्वकर्मा अब तक लाखों महिलाओं, छात्राओं और लड़कियों को पैड के फायदे बता चुकी हैं. उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों की 80 % महिलाएं बच्चादानी की बीमारियों से पीड़ित हैं और ट्यूमर हैं जिनकी वजह माहवारी के दौरान पैड का उपयोग न करना या गंदा कपड़ा यूज करना है. माया ने बताया कि उन्होंने सुकर्मा फाउंडेशन बनाया है जिसका रजिस्ट्रेशन केलिफोर्निया और मध्यप्रदेश में कराया गया है साथ ही एक यूनिट लगाई गई है, जहां पैड बनाए जाते हैं और बाजारों में कम दामों में बेचे जाते हैं.

मंडला। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं, स्कूली छात्राओं और लड़कियों को माहवारी के समय होने वाली परेशानी के साथ ही हाईजीन से होने वाले संक्रमण को लेकर जागरूक कर रही हैं पैड वूमन माया विश्वकर्मा. जिले के एक छोटे से गांव मे जन्मी और सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली माया विश्वकर्मा को आज लोग पैड वूमेन या पैड जिज्जी के नाम से जानते हैं. माया केलिफोर्निया में सीनियर रिसर्च एसोसिएट के पद पर काम करने के बाद आब अपने गृह जिले की महिलाओं को मासिकधर्म के बारे में जागरूक करने का काम कर रही हैं.

'पैड वुमन' फैला रही जागरूकता


प्रदेश के 22 जिलों तक जागरुकता का उद्देश्य लिए साल 2017 से माया विश्वकर्मा अब तक लाखों महिलाओं, छात्राओं और लड़कियों को पैड के फायदे बता चुकी हैं. उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों की 80 % महिलाएं बच्चादानी की बीमारियों से पीड़ित हैं और ट्यूमर हैं जिनकी वजह माहवारी के दौरान पैड का उपयोग न करना या गंदा कपड़ा यूज करना है. माया ने बताया कि उन्होंने सुकर्मा फाउंडेशन बनाया है जिसका रजिस्ट्रेशन केलिफोर्निया और मध्यप्रदेश में कराया गया है साथ ही एक यूनिट लगाई गई है, जहां पैड बनाए जाते हैं और बाजारों में कम दामों में बेचे जाते हैं.

Intro:मण्डला में इन दिनों पैड वूमेन ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं, स्कूली छात्राओं और लड़कियों को माहवारी के समय होने वाली परेशानी के साथ ही हाईजीन से होने वाले संक्रमण को लेकर जागरूक कर रही हैं,माया विष्वकर्मा का कहना है कि हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्र की लगभग 80% महिलाएं बच्चादानी में बीमारी से ग्रसित हैं जिसका कारण है मासिक चक्र के दौरान स्वक्षता का ध्यान न रखना


Body:नरसिंहपुर जिले के एक छोटे से गाँव मे जन्मी और सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली माया विष्वकर्मा को आज लोग पैड वूमेन या पैड जिज्जी के नाम से जानते हैं जो केलिफोर्निया में सीनियर रिसर्च एसोसिएट के पद पर काम करने के बाद अपने गृह जिले की महिलाओं से मासिकधर्म को लेकर जागरूक करने का काम कर रही हैं जो 2017 से अब तक लाखों महिलाओं,पढ़ने वाली छात्राओं और लड़कियों को पैड के फायदे बता चुकी हैं जिनका लक्ष्य है प्रदेश के 22 जिलों तक इस अभियान को ले जाना,एक दशक अमेरिका के सेनफ्रांसिस्को में रहने वाली माया का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों की 80 % महिलाएं बच्चादानी की बीमारियों से पीड़ित हैं वही इन्हें छोटे से लेकर 2 किलो तक के ट्यूमर हैं जिनकी वजह माहवारी के दौरान पैड का उपयोग न करना या गंदा कपड़ा यूज करना है माया विश्वकर्मा ने एक सुकर्मा फाउंडेशन बनाया है जिसका रजिस्ट्रेशन केलिफोर्निया और मध्यप्रदेश में कराया गया साथ ही एक यूनिट लगाई गई है जिससे पैड बनाए जाने के बाद महिलाओं को पहले 5 रुपये में उपलब्ध कराए जाते हैं इसके बाद बाज़ार से कम दाम पर महिलाओं को बेचे जाते हैं,दूसरी तरफ डॉक्टर भी मानते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र में अभी भी महिलाओं की आदत में पैड यूज करना शामिल नहीं हो पाया है और इस लिए मण्डला जिले में ट्यूमर की बीमारियों की शिकायत ज्यादा ही है जिला के मुखिया भी इस समस्या को लेकर गंभीर हैं और माया विश्वकर्मा के साथ मिल कर अभियान चलाने की बात कर रहे हैं


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