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वृद्धा ने स्कूल में दान की जमा पूंजी, ताकि संवर से बच्चों का भविष्य

हिरदेनगर में रहने वाली दिगलो बाई की उम्र लगभग 75 साल हैं और अकेली रहती हैं इनके पति का निधन हो चुका है. इनकी कोई औलाद भी नहीं है इसके बावजूद उन्होंने अपनी जमा पूंजी को सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल को संवारने के लिए दान कर दी है.

दिगलो बाई, दानदाता
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Published : May 18, 2019, 12:10 AM IST

मण्डला। जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर पदमी गांव में रहने वाली दिगलो बाई ने अपनी जमा पूंजी को शिक्षा के लिए दान कर दिया. वे खुद तो पढ़ी-लिखी नहीं है, लेकिन शिक्षा के महत्व को समझती हैं. जिसके कारण उन्होंने अपनी जमा पूंजी सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल को दे दी है.

दिगलो बाई, दानदाता


हिरदेनगर में रहने वाली दिगलो बाई की उम्र लगभग 75 साल हैं और अकेली रहती हैं इनके पति का निधन हो चुका है. इनकी कोई औलाद भी नहीं है इसके बावजूद उन्होंने अपनी जमा पूंजी को सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल को संवारने के लिए दान कर दी है. उन्होंने एक लाख रुपये नकद यहां के प्राचार्य महासिंह ठाकुर को सौंप दिए. जिससे कि स्कूल की कच्छी छप्पर वाली छत पक्की हो सके ताकि बच्चों की पढ़ाई में मौसम के कारण कोई बाधा उत्पन्न ना हो.


स्कूल के प्राचार्य का कहना है कि विद्यालय की टूट रही छत के लिए की गई मदद ऐसे समय पर की गई है जब स्कूल को इसकी सख्त जरूरत थी. वहीं महिला के रिश्तेदार का कहना है कि बहुत कम आय के बाद भी अपने खर्चे से बचा कर वृद्धा ने पैसे इकट्ठे किये है. वहीं वृद्धआ का कहना है कि स्कूल की बुनियाद 1995 में उनके पति भरोसी ठाकुर के दिये 20 हजार रुपये से रखी गई थी. अब उनकी याद में और ग्रामीण बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया है.

मण्डला। जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर पदमी गांव में रहने वाली दिगलो बाई ने अपनी जमा पूंजी को शिक्षा के लिए दान कर दिया. वे खुद तो पढ़ी-लिखी नहीं है, लेकिन शिक्षा के महत्व को समझती हैं. जिसके कारण उन्होंने अपनी जमा पूंजी सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल को दे दी है.

दिगलो बाई, दानदाता


हिरदेनगर में रहने वाली दिगलो बाई की उम्र लगभग 75 साल हैं और अकेली रहती हैं इनके पति का निधन हो चुका है. इनकी कोई औलाद भी नहीं है इसके बावजूद उन्होंने अपनी जमा पूंजी को सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल को संवारने के लिए दान कर दी है. उन्होंने एक लाख रुपये नकद यहां के प्राचार्य महासिंह ठाकुर को सौंप दिए. जिससे कि स्कूल की कच्छी छप्पर वाली छत पक्की हो सके ताकि बच्चों की पढ़ाई में मौसम के कारण कोई बाधा उत्पन्न ना हो.


स्कूल के प्राचार्य का कहना है कि विद्यालय की टूट रही छत के लिए की गई मदद ऐसे समय पर की गई है जब स्कूल को इसकी सख्त जरूरत थी. वहीं महिला के रिश्तेदार का कहना है कि बहुत कम आय के बाद भी अपने खर्चे से बचा कर वृद्धा ने पैसे इकट्ठे किये है. वहीं वृद्धआ का कहना है कि स्कूल की बुनियाद 1995 में उनके पति भरोसी ठाकुर के दिये 20 हजार रुपये से रखी गई थी. अब उनकी याद में और ग्रामीण बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया है.

Intro:मण्डला जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर ग्राम पदमी में रहने वाली दिगलो बाई खुद तो पढ़ी लिखी नहीं हैं लेकिन शिक्षा के महत्व को वे बख़ूबी जानती हैं,और शिक्षा के मंदिर को संवारने उन्होने अपनी जमा पूँजी का दान कर दिया है


Body:हिरदेनगर में रहने वाली दिगलो बाई जो लगभग 75 साल की हैं और अकेली रहती हैं इनके पति का निधन हो चुका है और भगवान ने इनकी गोद हरी ही नहीं की ऐसे हालत में जहाँ इन्शान अपनी जमा पूँजी को बुढापे के लिए सहेज कर रखता है वहीं दिगलो बाई ने थोड़ी सी जमीन में उगने वाली फसल को बेच कर इकट्ठा की गई जमा पूँजी का दान सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल को संवारने के लिए कर दिया दिगलो बाई ने एक लाख रुपये नकद यहाँ के प्राचार्य महा सिंह ठाकुर को सौंप दिए जिससे कि स्कूल की कच्छी छप्पर वाली छत पक्की हो सके बच्चों की पढ़ाई में आने वाली मौषम की बाधा अड़चन पैदा न कर सके,खास बात यह है की यह बृद्धा खुद अशिक्षित हैं और जिस स्कूल के लिए इन्होंने 1 लाख रुपए दान किये है उस स्कूल की बुनियाद 1995 में दिगलो बाई के पति भरोसी ठाकुर के द्वारा दी गयी 20 हज़ार राशि से रखी गयी थी।


Conclusion:सरस्वती शिशु मंदिर के प्रचार्य ने बताया कि विद्यालय की टूट रही छत के लिए की गई यह मदद ऐसे समय पर की गई है जब स्कूल को इसकी सख्त जरूरत थी,वहीं महिला के रिश्तेदार का कहना है कि बहुत कम आय के बाद भी अपने खर्चे से बचा कर दिगलो ने पैसे इकट्ठे किये है,दिगलो बाई ने बताया कि पहली बार पति ने दान किया था अब उनकी याद में और ग्रामीण बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए उन्होनें यह कदम उठाया जिस से शिक्षा का उजियारा फैला कर बच्चे समाज के अशिक्षा रूपी अंधेरे को दूर कर सकें। बाईट--दिगलो बाई,दानदाता बाईट--बेनीराम,रिस्तेदार बाईट--महा सिंह ठाकुर, प्रधानचार्य
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