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चार दीवारें और खुला आसमान, आखिर क्यों नहीं मिल रहा इन्हें आवास - housing scheme not avail in Mandla

केंद्र सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना चला रही हैं, जिसके तहत ऐसे लोगों का आवास बनाया जा रहा हैं जिनका मकान जर्जर हो चुका हैं. वहीं मंडला जिले में एक परिवार है जो चार दीवार वाले खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं. जहां प्रशासन अपनी दलीलें दे रहा हैं.

Nanda family not yet received benefit of Pradhan Mantri Awas Yojana in mandla
आवास की आस में नंदा परिवार
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Published : Jul 5, 2020, 12:33 PM IST

मंडला। प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ उन लोंगों को नहीं मिल रहा, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है. घर के नाम पर इनके पास महज चारदीवारें हैं, लेकिन छत के नाम पर आधी छप्पर और खुला आसमान हैं. वहीं नगरपालिका की टीम भी दौरा कर चुकी है और पार्षद ने पत्र भी लिखा हैं, लेकिन मन मर्जी से प्राथमिकता की लिस्ट तैयार हो रही हैं.

आवास की आस में नंदा परिवार

मंडला के उपनगरीय महाराजपुर क्षेत्र के ज्वालाजी वार्ड में रहने वाला नंदा परिवार हर एक मौसम में खुले आसमान वाली छत के नीचे रहने को मजबूर है, क्योंकि उन्हें आस है कि एक ना एक दिन उसका आवास, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जरूर बनेगा. अब परेशानियों के साथ इंतजार बढ़ता जा रहा है और नगरपालिका के चक्कर लगा लगा कर जगदीश नंदा थक चुके हैं, क्योंकि उन्हें 10 महीने पार्षद से लेकर नगरपालिका और अधिकारियों से लेकर आवास शाखा से बस आश्वासन ही मिल रहा हैं.

क्या कहती हैं पार्षद

वार्ड की पार्षद शिखा श्रीवास्तव ने कहा कि इस वार्ड में करीब 10 परिवार ऐेस हैं, जिनके मकार इतने जर्जर हो चुके हैं कि कभी भी धराशायी हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि उनके आवेदन प्राथमिकता के आधार पर स्वीकृत किए जाए, जिसके लिए उन्होंने अपने लेटरपैड पर नगरपालिका के अधिकारी को दिया था. इसके बावजूद लिस्ट वालों का आवास सेंक्शन हो चुका है और ये परिवार राह तक रहा है.

अधिकारी कर्मचारी कर चुके हैं मौका मुआयना

आश्यर्च की बात ये हैं कि जगदीश नंदा सहित सबसे ज्यादा जरूरत मंद परिवारों का सर्वे मुख्यनगर पालिका अधिकारी के साथ ही आवास शाखा और नपा के कर्मचारियों ने किया है, लेकिन हर एक दस्तावेज जमा करने के बाद इनका आवास अब तक स्वीकृत नहीं हो पाया.

दूसरी लिस्ट हुई सेंक्शन

आवास शाखा उपयंत्री का कहना है कि पार्षदों से उनके वार्ड में रहने वाले उन परिवारों की सूची मांगी गई थी, जिनके मकान काफी जर्जर हैं. ऐसे 50 लोगों के नाम भोपाल भेजे गए हैं, जिसके एक सप्ताह बाद ही अन्य 117 लोगों की लिस्ट भेज दी गई हैं और दूसरी लिस्ट सेंक्शन होकर आ गई. जबकि प्राथमिकता के आधार पर भेजे गए नाम अब भी अपने आवास स्वीकृति का इंतजार कर रहे हैं.

जानें कहां हुई चूक

नगर पालिका ने सबसे पहले प्राथमकिता के आधार पर सर्वे किया था. इस दौरान पार्षदों ने जो लिस्ट दी उसे भोपाल भेज दिया गया, लेकिन इसके एक हफ्ते बाद जो दूसरी लिस्ट भेजी गई उसमें इन 50 लोगों का नाम नहीं दिया गया. ऐसे में स्वाभाविक है कि प्राथमिकता भोपाल स्तर पर दूसरी सूची दी गई, क्योंकि इसमें पहली लिस्ट से ज्यादा नाम थे और सप्ताह भर बाद ही पहुंची थी. इस कारण इसे संशोधित लिस्ट मानी गई हैं.

कब खत्म होगा इंतजार

2017 से दिसम्बर 2019 तक 7 डीपीआर में कुल 2721 आवास स्वीकृत हुए हैं. जिनमें से 1294 कम्प्लीट हो चुके हैं, जबकि 1427 मकान बन रहे हैं. जगदीश नंदा सहित 422 परिवारों का आवास के लिए सर्वे हो चुका है, जिन्हें इंतजार उनकी स्वीकृति का है. वहीं 170 ऐसे परिवार भी हैं जिनका सर्वे किया जाना अभी बाकी हैं. इस तरह से कुल मिला कर देखा जाए तो नगर पालिका मंडला की आवास शाखा के पास 592 लोगों की लिस्ट तैयार हैं, जिन्हें इंतजार है कि, भोपाल से जब लिस्ट मांगी जाएगी तब उनके आवास सेंक्शन की प्रक्रिया शुरू होगी. वहीं इस प्रक्रिया में कितना समय लगेगा किसी को नहीं पता.

सरकारी योजनाएं तो बन जाती हैं, लेकिन सिस्टम के दांव पेंच में फंसा हुआ जरुरतमंद बस इंतजार ही करता रहता है. ऐसे में उनके पास कोई चारा नहीं होता इस दरवाजे से उस दरवाजे तक चक्कर लगाने के, क्योंकि उम्मीद है कि खत्म नहीं होती. वहीं मिलने वाली सुविधा की आस में गरीब खुद कुछ कर नहीं पाता और परेशानियों के साये में बस इंतजार करता रहता हैं.

मंडला। प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ उन लोंगों को नहीं मिल रहा, जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है. घर के नाम पर इनके पास महज चारदीवारें हैं, लेकिन छत के नाम पर आधी छप्पर और खुला आसमान हैं. वहीं नगरपालिका की टीम भी दौरा कर चुकी है और पार्षद ने पत्र भी लिखा हैं, लेकिन मन मर्जी से प्राथमिकता की लिस्ट तैयार हो रही हैं.

आवास की आस में नंदा परिवार

मंडला के उपनगरीय महाराजपुर क्षेत्र के ज्वालाजी वार्ड में रहने वाला नंदा परिवार हर एक मौसम में खुले आसमान वाली छत के नीचे रहने को मजबूर है, क्योंकि उन्हें आस है कि एक ना एक दिन उसका आवास, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जरूर बनेगा. अब परेशानियों के साथ इंतजार बढ़ता जा रहा है और नगरपालिका के चक्कर लगा लगा कर जगदीश नंदा थक चुके हैं, क्योंकि उन्हें 10 महीने पार्षद से लेकर नगरपालिका और अधिकारियों से लेकर आवास शाखा से बस आश्वासन ही मिल रहा हैं.

क्या कहती हैं पार्षद

वार्ड की पार्षद शिखा श्रीवास्तव ने कहा कि इस वार्ड में करीब 10 परिवार ऐेस हैं, जिनके मकार इतने जर्जर हो चुके हैं कि कभी भी धराशायी हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि उनके आवेदन प्राथमिकता के आधार पर स्वीकृत किए जाए, जिसके लिए उन्होंने अपने लेटरपैड पर नगरपालिका के अधिकारी को दिया था. इसके बावजूद लिस्ट वालों का आवास सेंक्शन हो चुका है और ये परिवार राह तक रहा है.

अधिकारी कर्मचारी कर चुके हैं मौका मुआयना

आश्यर्च की बात ये हैं कि जगदीश नंदा सहित सबसे ज्यादा जरूरत मंद परिवारों का सर्वे मुख्यनगर पालिका अधिकारी के साथ ही आवास शाखा और नपा के कर्मचारियों ने किया है, लेकिन हर एक दस्तावेज जमा करने के बाद इनका आवास अब तक स्वीकृत नहीं हो पाया.

दूसरी लिस्ट हुई सेंक्शन

आवास शाखा उपयंत्री का कहना है कि पार्षदों से उनके वार्ड में रहने वाले उन परिवारों की सूची मांगी गई थी, जिनके मकान काफी जर्जर हैं. ऐसे 50 लोगों के नाम भोपाल भेजे गए हैं, जिसके एक सप्ताह बाद ही अन्य 117 लोगों की लिस्ट भेज दी गई हैं और दूसरी लिस्ट सेंक्शन होकर आ गई. जबकि प्राथमिकता के आधार पर भेजे गए नाम अब भी अपने आवास स्वीकृति का इंतजार कर रहे हैं.

जानें कहां हुई चूक

नगर पालिका ने सबसे पहले प्राथमकिता के आधार पर सर्वे किया था. इस दौरान पार्षदों ने जो लिस्ट दी उसे भोपाल भेज दिया गया, लेकिन इसके एक हफ्ते बाद जो दूसरी लिस्ट भेजी गई उसमें इन 50 लोगों का नाम नहीं दिया गया. ऐसे में स्वाभाविक है कि प्राथमिकता भोपाल स्तर पर दूसरी सूची दी गई, क्योंकि इसमें पहली लिस्ट से ज्यादा नाम थे और सप्ताह भर बाद ही पहुंची थी. इस कारण इसे संशोधित लिस्ट मानी गई हैं.

कब खत्म होगा इंतजार

2017 से दिसम्बर 2019 तक 7 डीपीआर में कुल 2721 आवास स्वीकृत हुए हैं. जिनमें से 1294 कम्प्लीट हो चुके हैं, जबकि 1427 मकान बन रहे हैं. जगदीश नंदा सहित 422 परिवारों का आवास के लिए सर्वे हो चुका है, जिन्हें इंतजार उनकी स्वीकृति का है. वहीं 170 ऐसे परिवार भी हैं जिनका सर्वे किया जाना अभी बाकी हैं. इस तरह से कुल मिला कर देखा जाए तो नगर पालिका मंडला की आवास शाखा के पास 592 लोगों की लिस्ट तैयार हैं, जिन्हें इंतजार है कि, भोपाल से जब लिस्ट मांगी जाएगी तब उनके आवास सेंक्शन की प्रक्रिया शुरू होगी. वहीं इस प्रक्रिया में कितना समय लगेगा किसी को नहीं पता.

सरकारी योजनाएं तो बन जाती हैं, लेकिन सिस्टम के दांव पेंच में फंसा हुआ जरुरतमंद बस इंतजार ही करता रहता है. ऐसे में उनके पास कोई चारा नहीं होता इस दरवाजे से उस दरवाजे तक चक्कर लगाने के, क्योंकि उम्मीद है कि खत्म नहीं होती. वहीं मिलने वाली सुविधा की आस में गरीब खुद कुछ कर नहीं पाता और परेशानियों के साये में बस इंतजार करता रहता हैं.

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