मंडला। यूं तो बुलेट ट्रेन के जमाने में छुक-छुक कर चलने वाली नैरोगेज ट्रेन की अब कोई पूछ-परख नहीं बची. लेकिन सतपुड़ा के जंगलों के बीच मंडला जिले में बने नैनपुर रेलवे स्टेशन पर अभी भी नैरोगेज ट्रेन का सुहाना सफर करने को मिलता है. जो फिलहाल लॉकडाउन की वजह से बंद है.
नैनपुर में छुकछुक गाड़ी का इतिहास एक सदी से ज्यादा पुराना है, अंग्रेजी हुकूमत ने 1903 में अपनी सुविधा के लिए यहां छोटी लाइन बिछाई थी. जहां एक समय ट्रेनों की खूब आवाजाही रहती थी.
नैनपुर से जबलपुर, बालाघाट, गोंदिया, सिवनी होते हुए नैरोगेज ट्रेन छिंदवाड़ा तक चलती थी. नैनपुर रेल जंक्शन एशिया के सबसे बड़े नैरोगेज जंक्शन के रूप में जाना जाता है. ट्रेनों के बदलते दौर में जब नैरोगेज ट्रेन की जरुरत नहीं रही तो इसे पांच साल पहले बंद कर दिया गया.
लेकिन स्टीम इंजन से लेकर छोटी लाइन के डीजल इंजन तक के इतिहास को संजोए रखने के लिए यहां एक म्यूजियम बनाया गया. तो लोगों के मनोरंजन के लिए एक छोटी नैरोगेज ट्रेन भी यहां चलाई जाती है. जहां हर वक्त सैलानियों की भीड़ जुटी रहती थी. लेकिन दो महीनें से लॉकडाउन के चलते यहां सन्नाटा पसरा है.
नैनपुर में बने इस म्यूजियम में पुराने रेल के डिब्बे, इंग्लैंड से लाई गई लेथ मशीन, बजनी समान की ढुलाई, पुरानी सिग्नल तकनीक से लेकर हर एक चीज रखी गयी हैं. बारिश का मौसम शुरु होते ही नैरोगेज ट्रेन के जरिए सैलानी सतपुड़ा की इन वादियों का लुफ्त उठाने जरुर आते हैं. इस बार भी सैलानियों को उम्मीद है कि जल्द ही लॉकडाउन खुलेगा और फिर से वे इन वादियों का दीदार करेंगे.