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तिब्बत से निकल सात देशों की यात्रा कर मण्डला पहुंचे प्रवासी पक्षी, नर्मदा नदी का किनारा हुआ गुलजार - migratory birds

मण्डला के नर्मदा किनारे इन दिनों तिब्बत से आने वाले मेहमान पक्षियों का डेरा है. जहां हर साल प्रवासी पक्षी हजारों किलोमीटर की यात्रा करके यहां पहुंचते है. वहीं मौसम अनुकूल होते ही ये पक्षी वापस चले जाते है.

Narmada shore buzzed with migratory birds
प्रवासी पक्षियों से गुलजार हुआ नर्मदा किनारा
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Published : Jan 4, 2020, 12:10 AM IST

मण्डला। जिले में नर्मदा नदी के किनारे इन दिनों तिब्बत से आने वाले मेहमान पक्षियों से गुलजार हैं. जानकारों के अनुसार ये प्रवासी पक्षी हजारों किलोमीटर की यात्रा भोजन की तलाश में करते हैं और जब मौसम इनके अनुकूल हो जाता, तब ये वापस जाकर अपनी मातृभूमि में ब्रीडिंग करते हैं.

नर्मदा किनारे मेहमान पक्षियों का डेरा

प्रवासी पक्षी पहुंचे मंडला

ये मेहमान हजारों किलोमीटर का सफर कर मण्डला पहुंचे हैं. ये प्रवासी पक्षी चीन, तिब्बत जैसे इलाकों में भारी बर्फबारी और जीवन यापन के लिए भोजन नहीं मिलने के चलते यहां से निकल कर सात देशों की यात्रा करते हैं. वहीं जब मौसम के अनकूल होते ही वापस लौट जाते है.

भोजन की तलाश में निकले पक्षी

जानकारों के अनुसार पेट की आग और जीवन रक्षा के लिए हर साल इन्हें काफी लंबा रास्ता तय कर ऐसे स्थान पर जाना पड़ता है, जहां न ज्यादा गर्मी हो न ज्यादा ठंड, साथ ही ऐसा भोजन भी मिल सके जो इन्हें लम्बी उड़ान की शक्ति भी दे. मण्डला के नर्मदा किनारे इन पक्षियों को बड़ी तादाद में आसानी से देखा जा सकता है. जो पानी के भीतर काई और जलीय छोटे पौधे खाते हुए नजर आते हैं.

वहीं कान्हा नेशनल पार्क के अधीक्षक सुधीर मिश्रा के अनुसार करीब दो माह यहां रहने के बाद जब पहाड़ों से बर्फ पिघलने लगती है तो ये अपने क्षेत्र या देश वापस चले जाते हैं और वहां पर ही ब्रीडिंग करते हैं. समूह में रहने वाले इन पक्षियों को अंडे देने के लिए ऐसे स्थान पसंद हैं. जहां जमीन पर घोसले बनाने के लिए घास हो और जमीन भी ज्यादा कठोर न हो.

मण्डला। जिले में नर्मदा नदी के किनारे इन दिनों तिब्बत से आने वाले मेहमान पक्षियों से गुलजार हैं. जानकारों के अनुसार ये प्रवासी पक्षी हजारों किलोमीटर की यात्रा भोजन की तलाश में करते हैं और जब मौसम इनके अनुकूल हो जाता, तब ये वापस जाकर अपनी मातृभूमि में ब्रीडिंग करते हैं.

नर्मदा किनारे मेहमान पक्षियों का डेरा

प्रवासी पक्षी पहुंचे मंडला

ये मेहमान हजारों किलोमीटर का सफर कर मण्डला पहुंचे हैं. ये प्रवासी पक्षी चीन, तिब्बत जैसे इलाकों में भारी बर्फबारी और जीवन यापन के लिए भोजन नहीं मिलने के चलते यहां से निकल कर सात देशों की यात्रा करते हैं. वहीं जब मौसम के अनकूल होते ही वापस लौट जाते है.

भोजन की तलाश में निकले पक्षी

जानकारों के अनुसार पेट की आग और जीवन रक्षा के लिए हर साल इन्हें काफी लंबा रास्ता तय कर ऐसे स्थान पर जाना पड़ता है, जहां न ज्यादा गर्मी हो न ज्यादा ठंड, साथ ही ऐसा भोजन भी मिल सके जो इन्हें लम्बी उड़ान की शक्ति भी दे. मण्डला के नर्मदा किनारे इन पक्षियों को बड़ी तादाद में आसानी से देखा जा सकता है. जो पानी के भीतर काई और जलीय छोटे पौधे खाते हुए नजर आते हैं.

वहीं कान्हा नेशनल पार्क के अधीक्षक सुधीर मिश्रा के अनुसार करीब दो माह यहां रहने के बाद जब पहाड़ों से बर्फ पिघलने लगती है तो ये अपने क्षेत्र या देश वापस चले जाते हैं और वहां पर ही ब्रीडिंग करते हैं. समूह में रहने वाले इन पक्षियों को अंडे देने के लिए ऐसे स्थान पसंद हैं. जहां जमीन पर घोसले बनाने के लिए घास हो और जमीन भी ज्यादा कठोर न हो.

Intro:मण्डला में नर्मदा नदी के किनारे इन दिनों तिब्बत से आने वाले मेहमान पक्षियों से गुलजार हैं जानकारों के अनुसार ये प्रवासी पक्षी हज़ारों किलोमीटर की यात्रा भोजन की तलाश में करते है और जब मौषम इनके अनुकूल हो जाता तब यह वापस जाकर अपनी मातृभूमि में ब्रीडिंग करते हैं


Body:इन नन्हे पंखों की उड़ान की खाशियत यह है कि ये मेहमान हज़ारों किलोमीटर का सफर कर मण्डला पहुँचे हैं,ये प्रवासी पक्षी चीन,तिब्बत जैसे इलाकों में भारी बर्फबारी और यहाँ इनके जीवन यापन के लिए भोजन न मिलने के चलते यहाँ से निकल कर सात देशों की यात्रा करते हैं और जब अपनी मातृभूमि में मौषम अनकूल हो जाता है तभी वापस लौटते हैं,जानकारों के अनुसार पेट की आग और जीवन रक्षा के लिए हर साल इन्हें काफी लंबा रास्ता तय कर ऐसे स्थान पर जाना पड़ता है जहाँ न ज्यादा गर्मी हो न बहुत ज्यादा ही ठंड साथ ही ऐसा भोजन भी मिल सके जो इन्हें लम्बी उड़ान की शक्ति भी दे,मण्डला के नर्मदा किनारे इन पक्षियों को बड़ी तादाद में आसानी से देखा जा सकता है जो पानी के भीतर काई और जलीय छोटे पौधे खाते हुए नज़र आते हैं वहीं लोगो के द्वारा आवाज देकर इन्हें पास बुलाया जा सकता है और नमकीन या मुरमुरे पानी मे डाल कर इन्हें नजदीक से देखा जा सकता है,कान्हा नैशनल पार्क के अधीक्षक सुधीर मिश्रा के अनुसार करीब दो माह यहाँ रहने के बाद जब पहाड़ों से बर्फ पिघलने लगती है तो ये अपने क्षेत्र या देश वापस चले जाते हैं वहाँ पर ही ब्रीडिंग करते हैं समूह में रहने वाले इन पक्षियों को अंडे देने के लिए ऐसे स्थान पसंद हैं जहाँ जमीन पर घोसले बनाने के लिए घाँस हो और जमीन भी ज्यादा कठोर न हो


Conclusion:मण्डला जिले में कान्हा नैशनल पार्क के अलावा जंगल भी बहुत हैं वहीं नर्मदा,बंजर,हालो नदी के किनारे भी इन पक्षियों को बहुत आकर्षित करते हैं यही कारण है कि बड़ी संख्या में यहां विदेशी मेहमान पक्षी आते हैं और लगभग दो माह का समय यहाँ बिताते हैं।

बाईट--सुधीर मिश्रा, पार्क अधीक्षक कान्हा नैशनल पार्क
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