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बोल-सुन नहीं पाती संस्कृति, रंगों से व्यक्त करती है अपनी भावनाएं - mandla

संस्कृति बाजपेयी स्पेशल चाइल्ड है और वो अभी स्कूल में पढ़ती है. संस्कृति बोल सुन नहीं पाती लेकिन इस बच्ची को कोई चित्र एक बार दिखा दिया जाए फिर वो उसकी हूबहू कॉपी बना देती है.

संस्कृति रंगों से व्यक्त करती है अपनी भावनाएं
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Published : Jul 23, 2019, 7:47 PM IST

मण्डला| केहरपुर गांव में रहने वाली संस्कृति बाजपेयी स्पेशल चाइल्ड स्कूल में पढ़ती है. संस्कृति बोल सुन नहीं पाती लेकिन इस बच्ची को कोई चित्र एक बार दिखा दिया जाए फिर वो उसकी हूबहू कॉपी बना देती है. इसके अलावा वो जो अपने मन से सोच कर बनाती है वो कला की उस साधना का बेजोड़ उदाहरण है जिसका ककहरा ये नन्ही कलाकार अभी पढ़ रही है.

संस्कृति रंगों से व्यक्त करती है अपनी भावनाएं

संस्कृति बाजपेयी स्पेशल चाइल्ड स्कूल में पांचवी क्लास की स्टूडेंट है जो पढ़ाई में हमेशा टॉप करती है. लेकिन संस्कृति ने मन के भावों को व्यक्त करने के लिए उसने रंगों की दुनिया को खुद ही सजाना शुरू कर दिया है. संस्कृति की पढ़ाई स्पेशल चाईल्ड स्कूल में चल रही है और यहां सभी बच्चे किसी न किसी तरह से डिसएबल हैं.

इस कलाकार को न तो सुनाई देता न ही ये कुछ बोल पाती है, लेकिन इसकी आंखों की चमक बताती है कि ये कल की वो कलाकार है जो आज मन ही मन कई बड़े सपने देख रही है.

मण्डला| केहरपुर गांव में रहने वाली संस्कृति बाजपेयी स्पेशल चाइल्ड स्कूल में पढ़ती है. संस्कृति बोल सुन नहीं पाती लेकिन इस बच्ची को कोई चित्र एक बार दिखा दिया जाए फिर वो उसकी हूबहू कॉपी बना देती है. इसके अलावा वो जो अपने मन से सोच कर बनाती है वो कला की उस साधना का बेजोड़ उदाहरण है जिसका ककहरा ये नन्ही कलाकार अभी पढ़ रही है.

संस्कृति रंगों से व्यक्त करती है अपनी भावनाएं

संस्कृति बाजपेयी स्पेशल चाइल्ड स्कूल में पांचवी क्लास की स्टूडेंट है जो पढ़ाई में हमेशा टॉप करती है. लेकिन संस्कृति ने मन के भावों को व्यक्त करने के लिए उसने रंगों की दुनिया को खुद ही सजाना शुरू कर दिया है. संस्कृति की पढ़ाई स्पेशल चाईल्ड स्कूल में चल रही है और यहां सभी बच्चे किसी न किसी तरह से डिसएबल हैं.

इस कलाकार को न तो सुनाई देता न ही ये कुछ बोल पाती है, लेकिन इसकी आंखों की चमक बताती है कि ये कल की वो कलाकार है जो आज मन ही मन कई बड़े सपने देख रही है.

Intro:संस्कृति बोल सुन नहीं पाती लेकिन इस हुनरमंद बच्ची की कला जो एक बार देख ले तो कल्पनाओं की रंगीन दुनिया मे गोते लगाए बिना रह ही नहीं सकता,इस बच्ची को कोई भी चित्र एक बार दिखा दीजिए फिर वे उसकी हूबहू कॉपी आपके सामने बना कर रख देंगी इसके अलावा जो अपने मन से सोच कर बनाते हैं वे कला की उस साधना का बेजोड़ उदाहरण है जिसका ककहरा ये नन्ही कलाकार अभी पढ़ रही है


Body:मण्डला के एक छोटे से गाँव केहरपुर मे रहने वाली संस्कृति बाजपेयी स्पेशल चाइल्ड स्कूल में पाँचवी की छात्रा है,जो पढाई में हमेसा अव्वल रहती है साथ ही ऐसी चित्रकारी करती है कि इसके स्कूल की प्रिंसिपल को यकीन है कि संस्कृति के कारण मण्डला जिले को नई पहचान जरूर कला के क्षेत्र में मिलेगी लेकिन संस्कृति भी अपने पिता और माँ की तरह बोल सुन नहीं पाती लेकिन मन के भावों को व्यक्त करने के लिए उसने रंगों की दुनिया को खुद ही सजाना शुरू कर दिया है और वो ऐसे चित्रकला की साधना कर रही कि कोई अंदाजा ही नहीं लगा सकता कि यह इस नन्ही कलाकार के हाथ का कमाल है,संस्कृति की पढ़ाई स्पेशल चाईल्ड स्कूल में चल रही है और यहाँ सभी बच्चे किसी न किसी तरह डिसएबल हैं लेकिन यह भी सही है कि ऊपरवाला अगर किसी से कुछ छीनता है तो उसे कुछ ऐसा भी देता है जो हर किसी को नसीब नहीं होता


Conclusion:इस कलाकार को न तो सुनाई देता न ही ये कुछ बोल पाती लेकिन इनकी आँखों की चमक बताती है कि ये कल की वे कलाकार हैं जो आज मन ही मन ऐसे सपने देख रही जब दुनिया वाले खुद कहेंगे कि देखो उतर आए हैं तारे जमीन पर।

बाईट--संस्कृति बाजपेई,साइन लैंग्वेज

बाईट-- प्रिया पमनानी,प्रिंसीपल,
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