मंडला। जिले की नैनपुर तहसील के किसानों की जो भूमि सिंचित है, उसे नए सर्वे में पटवारी के द्वारा असिंचित दर्शाया गया है. ऐसे में पूरी पैदावार सरकारी सोसाइटी में नहीं खरीदी जाएगी, और जो अनाज बचेगा, उसे बिचौलियों या व्यापारियों को औने-पौने दाम पर बेचने के लिए किसानों को मजबूर होना पड़ेगा. जिससे किसानों को तगड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा और यह गलती पूरी तरह से राजस्व विभाग की है लेकिन अन्नदाताओं को इसका खामियाजा भुगतना होगा.
सिंचित भूमि पर प्रति हेक्टेयर लगभग 45 किविंटल अनाज की पैदावार मानी जाती है जबकि असिंचित कृषि भूमि पर 25 किविंटल के करीब और इसी अनुपात से अन्नदाताओं से सरकारी मूल्य पर अनाज उपार्जन केंद्रों में खरीदा जाता है. मण्डला जिले की नैनपुर तहसील के सैंकड़ों किसानों की सिंचित भूमि को पटवारियों के द्वारा असिंचित दर्शाया गया है. जबकि इन कृषकों के द्वारा नहरों से मिलने वाले पानी का बिल भरा जाता है और बहुत से किसानों के पास खुद के सिंचाई के भी साधन हैं. इन किसानों की भूमि इसके पहले सिंचित कृषि भूमि में ही दर्शायी जाती थी, लेकिन इस बार इसे असिंचित बताया जा रहा है.
इस लिहाज किसानों की सिंचित भूमि पर हुई पैदावार को असिंचित लिखा होने के चलते कम खरीदा जाएगा, और बची हुई पैदावार किसानों को व्यापारियों और बिचौलियों को बेचना होगा. जिससे उसका दाम कम मिलेगा, और किसानों को घाटा होगा. इस बात को लेकर किसानों ने नैनपुर एसडीएम शिवाली सिंह को ज्ञापन सौंपकर हुई गलती सुधारने की बात कही है.
किसानों ने बताया कि यह भूल किसानों को नुकसान और व्यापारियों को फायदा पहुंचाने का काम करेगी, जिसमें जल्द सुधार किया जाना चाहिए. क्योंकि उपार्जन केंद्र में अनाज बेचने के लिए 15 तरीख तक पंजीयन किये जा रहे हैं. लेकिन सिंचित और असिंचित के चक्कर में किसान रजिस्ट्रेशन नहीं करा रहे हैं. क्योंकि अगर असिंचित का पंजीयन हुआ तो उनकी कम फसल खरीदी जाएगी. इसके अलावा खाद की आपूर्ति और हम्मालों के द्वारा अनाज तुलाई पैसे मांगे जाने, नहरों की व्यवस्थाओं और समय पर जरूरत के मुताबिक पानी की उपलब्धता, प्राईवेट दुकानदारों द्वारा ज्यादा कीमत पर खाद बेचने और दूसरे उत्पाद खरीदने पर ही खाद देने जैसे अनेक बिन्दुओं पर चर्चा की. एसडीएम के द्वारा मामले को पूरी गम्भीरता से अन्नदाताओं की समस्या को सुलझाने के प्रयास का आश्वासन दिया.
अनुविभाग अधिकारी के अनुसार सिंचित और असिंचित की समस्या सुलझाने के लिए उच्चाधिकारियों से बात और भोपाल स्तर पर भी प्रयास तुरंत किये जाएंगे. जिससे अन्नदाताओं की मेहनत पर पानी न फिरे, बता दें कि पिछले साल इसी तरह का मामला बिछिया जनपद से ईटीवी भारत के द्वारा संज्ञान में लाया गया था. लेकिन तमाम कोशिशों के बाद प्रशासन और राजस्व विभाग अपनी भूल नहीं सुधार पाया था, और किसानों को इसका बड़ा नुकसान हुआ था.