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सात साल से नर्मदा के घाटों की सफाई का उठाया बीड़ा, सुबह से निकल जाती है ये टोली - mandla news

मंडला शहर से सटे हुए देवदरा गांव की 20 लोगों की ये टोली सुबह-सुबह नर्मदा नदी के घाटों की सफाई करती है.

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सफाई टोली
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Published : Dec 19, 2019, 5:01 PM IST

मंडला। हाथों में झाडू, फावड़ा और तसला लेकर ये टोली निकल पड़ी है, नर्मदा नदी घाटों की सफाई के लिए. ये तस्वीरें सिर्फ फोटो खिंचाने के लिए नहीं हैं. ये टोली पिछले 7 सालों से घाटों की ऐसी ही सफाई कर रही है. अब आप सोच रहे होंगे प्रधानमंत्री मोदी को सिर्फ 6 साल हुए हैं स्वच्छता अभियान चलाते हुए लेकिन इन लोगों ने ऐसा कैसे ठान लिया.

सात साल से नर्मदा के घाटों की सफाई कर रही टोली

जिला मुख्यालय से सटे देवदरा गांव की राजीव कॉलोनी में रहने वाले करीब 20 लोगों की एक टोली है. जो सुबह-सुबह अपने हाथों में झाडू,फावड़ा और तसला लेकर नर्मदा नदी घाटों की सफाई के लिए निकल जाती है. नर्मदा सफाई का ये सिलसिला पिछले सात सालों से जारी है. इस टोली के सदस्यों का मानना है कि वे मां नर्मदा की सेवा कर रहे हैं और घाटों की सफाई करके नदी को स्वच्छ बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं.

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नर्मद नदी के घाटों की सफाई करती टोली

दो लोगों से हुई थी शुरुआत

टोली के सदस्य जनक बहादुर बताते हैं कि जब उन्होंने ये शुरुआत की थी, तो महज 2-3 लोग ही थी. मगर धीरे-धीरे ये कारवां बढ़ता गया. आपस में पैसे जोड़कर सफाई का सामान खरीदाकर वे नर्मदा नदी के घाटों की सफाई करने लगे. सुबह-सुबह ये टोली बाइक से नर्मदा घाटों की सफाई के लिए निकल जाती है.

शहर का नाम बदनाम न हो इसलिए करते है सफाई

इस टोली के अन्य सदस्य पवन यादव का कहना है कि नगरपालिका घाटों की सफाई ठीक से नहीं करवाती है. जिसके चलते उन्होंने इन घाटों की सफाई करने का बीड़ा उठाया. वहीं राकेश कुमार केशरवानी का कहना है कि कई लोग दूसरे जिलों से यहां घूमने आते हैं, अगर घाटों पर गंदगी फैली रहेगी तो शहर का नाम बदनाम होगा.

इस सफाई टोली में दूध बेचने वाला, व्यसायी से लेकर टीचर सभी शामिल हैं. जिन्हें अहसास है कि नर्मदा नदी के अस्तित्व को बचाना है, तो उसके प्रदूषित होने से रोकना होगा. साथ ही शहर में आने वाले पर्यटकों को साफ घाट मिलेंगे तो नगर का नाम भी रोशन होगा.

मंडला। हाथों में झाडू, फावड़ा और तसला लेकर ये टोली निकल पड़ी है, नर्मदा नदी घाटों की सफाई के लिए. ये तस्वीरें सिर्फ फोटो खिंचाने के लिए नहीं हैं. ये टोली पिछले 7 सालों से घाटों की ऐसी ही सफाई कर रही है. अब आप सोच रहे होंगे प्रधानमंत्री मोदी को सिर्फ 6 साल हुए हैं स्वच्छता अभियान चलाते हुए लेकिन इन लोगों ने ऐसा कैसे ठान लिया.

सात साल से नर्मदा के घाटों की सफाई कर रही टोली

जिला मुख्यालय से सटे देवदरा गांव की राजीव कॉलोनी में रहने वाले करीब 20 लोगों की एक टोली है. जो सुबह-सुबह अपने हाथों में झाडू,फावड़ा और तसला लेकर नर्मदा नदी घाटों की सफाई के लिए निकल जाती है. नर्मदा सफाई का ये सिलसिला पिछले सात सालों से जारी है. इस टोली के सदस्यों का मानना है कि वे मां नर्मदा की सेवा कर रहे हैं और घाटों की सफाई करके नदी को स्वच्छ बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं.

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नर्मद नदी के घाटों की सफाई करती टोली

दो लोगों से हुई थी शुरुआत

टोली के सदस्य जनक बहादुर बताते हैं कि जब उन्होंने ये शुरुआत की थी, तो महज 2-3 लोग ही थी. मगर धीरे-धीरे ये कारवां बढ़ता गया. आपस में पैसे जोड़कर सफाई का सामान खरीदाकर वे नर्मदा नदी के घाटों की सफाई करने लगे. सुबह-सुबह ये टोली बाइक से नर्मदा घाटों की सफाई के लिए निकल जाती है.

शहर का नाम बदनाम न हो इसलिए करते है सफाई

इस टोली के अन्य सदस्य पवन यादव का कहना है कि नगरपालिका घाटों की सफाई ठीक से नहीं करवाती है. जिसके चलते उन्होंने इन घाटों की सफाई करने का बीड़ा उठाया. वहीं राकेश कुमार केशरवानी का कहना है कि कई लोग दूसरे जिलों से यहां घूमने आते हैं, अगर घाटों पर गंदगी फैली रहेगी तो शहर का नाम बदनाम होगा.

इस सफाई टोली में दूध बेचने वाला, व्यसायी से लेकर टीचर सभी शामिल हैं. जिन्हें अहसास है कि नर्मदा नदी के अस्तित्व को बचाना है, तो उसके प्रदूषित होने से रोकना होगा. साथ ही शहर में आने वाले पर्यटकों को साफ घाट मिलेंगे तो नगर का नाम भी रोशन होगा.

Intro:मण्डला नगर से लगी हुई देवदरा ग्राम पंचायत के झंडाटोला राजीव कॉलोनी में रहने वाले करीब बीस लोगों की एक टोली है जो तड़के अपने हाथों में झाड़ू,फावड़ा और तसले लेकर बाइक से निकल जाती हैं नर्मदा के घाटों की सफाई करने बाइक से निकलती इस टोली को देख लोग इन्हें नगर पालिका के कर्मचारी समझने की भूल कर सकते हैं लेकिन ये वो लोग है जो समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को कभी नहीं भूलते


Body:लोग यदी चाहें तो बिना सरकारी मदद के और बिना स्वार्थ के समाज और देश को अपना योगदान देकर उस जिम्मेदारी को निभा सकते हैं जो हर किसी का कर्तव्य है,करीब 20 लोगों को ये टोली ऐसे लोगों की भूल सुधारने का काम कर रही हैं जो नर्मदा के घाटों पर पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ पूजन अर्चन करने तो जाते हैं लेकिन छोड़ आते हैं प्लास्टिक या पूजा पाठ के उन अवशेषों को जो निर्मल नर्मदा माँ के आँचल को मैला करती है,करीब सात साल पहले यह सिलसिला कुछ लोगों से जो चालू हुआ तो आज भी चल रहा है और इसमें अब करीब 20 लोग जुड़ चुके हैं,इसकी सुरुआत को लेकर टोली के सदस्य राकेश का कहना है कि सुबह घूमने की आदत ने इस विचार को आगे बढाया और नर्मदा के घाट से प्लास्टिक या नदी को प्रदूषित करने वाली चीजें हटाती है लगा कि झाडू,फावड़ा और तसला से यह काम और बेहतर तरीके से हो सकता है रेवा घाट सेवा समिति ने अपने खर्च पर चीजें जुटाई और नगर के लगभग 40 घाट इनकी बदौलत साफ सुथरे रहते हैं ये स्वच्छता के वे प्रहरी हैं जिन्हें अपनी जिम्मेदारी का अहसास है और यही कारण है कि जो मण्डला नगर पालिका को करना चाहिए जिसके पास सैकड़ों की संख्या में कर्मचारी भी हैं,वो काम ग्राम पंचायत क्षेत्र के सच्चे नर्मदा भक्त या समाज सेवी कर रहे हैं।


Conclusion:इस टोली में कोई दूध बेच कर तो कोई छोटा मोटा व्यवसाय कर रोजी रोटी चलाने वाला सदस्य है तो कोई स्कूल में पढाई कर रहा है लेकिन हर किसी को अहसास है कि नर्मदा माता के अस्तित्व को बचाना है तो उसके प्रदूषण को रोकना होगा वहीं मण्डला में आने वाले नर्मदा जी के भक्तों को साफ घाट मिलेंगे तो नगर का नाम भी रौशन होगा।

बाईट--जनक बहादुर,नर्मदा सेवक
बाईट--पवन यादव,नर्मदा सेवक
बाईट--राकेश कुमार केशरवानी नर्मदा सेवक

पीटूसी मयंक तिवारी संवददाता मण्डला
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