मंडला। हाथों में झाडू, फावड़ा और तसला लेकर ये टोली निकल पड़ी है, नर्मदा नदी घाटों की सफाई के लिए. ये तस्वीरें सिर्फ फोटो खिंचाने के लिए नहीं हैं. ये टोली पिछले 7 सालों से घाटों की ऐसी ही सफाई कर रही है. अब आप सोच रहे होंगे प्रधानमंत्री मोदी को सिर्फ 6 साल हुए हैं स्वच्छता अभियान चलाते हुए लेकिन इन लोगों ने ऐसा कैसे ठान लिया.
जिला मुख्यालय से सटे देवदरा गांव की राजीव कॉलोनी में रहने वाले करीब 20 लोगों की एक टोली है. जो सुबह-सुबह अपने हाथों में झाडू,फावड़ा और तसला लेकर नर्मदा नदी घाटों की सफाई के लिए निकल जाती है. नर्मदा सफाई का ये सिलसिला पिछले सात सालों से जारी है. इस टोली के सदस्यों का मानना है कि वे मां नर्मदा की सेवा कर रहे हैं और घाटों की सफाई करके नदी को स्वच्छ बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं.
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दो लोगों से हुई थी शुरुआत
टोली के सदस्य जनक बहादुर बताते हैं कि जब उन्होंने ये शुरुआत की थी, तो महज 2-3 लोग ही थी. मगर धीरे-धीरे ये कारवां बढ़ता गया. आपस में पैसे जोड़कर सफाई का सामान खरीदाकर वे नर्मदा नदी के घाटों की सफाई करने लगे. सुबह-सुबह ये टोली बाइक से नर्मदा घाटों की सफाई के लिए निकल जाती है.
शहर का नाम बदनाम न हो इसलिए करते है सफाई
इस टोली के अन्य सदस्य पवन यादव का कहना है कि नगरपालिका घाटों की सफाई ठीक से नहीं करवाती है. जिसके चलते उन्होंने इन घाटों की सफाई करने का बीड़ा उठाया. वहीं राकेश कुमार केशरवानी का कहना है कि कई लोग दूसरे जिलों से यहां घूमने आते हैं, अगर घाटों पर गंदगी फैली रहेगी तो शहर का नाम बदनाम होगा.
इस सफाई टोली में दूध बेचने वाला, व्यसायी से लेकर टीचर सभी शामिल हैं. जिन्हें अहसास है कि नर्मदा नदी के अस्तित्व को बचाना है, तो उसके प्रदूषित होने से रोकना होगा. साथ ही शहर में आने वाले पर्यटकों को साफ घाट मिलेंगे तो नगर का नाम भी रोशन होगा.