मंडला। नर्मदा तट पर बसे मण्डला की धार्मिक आस्था पर किसी तरह का दाग न लगे, ये सोचकर नगर में पूरी तरह से नशाबंदी है और 5 किलोमीटर तक कोई शराब की दुकान भी नहीं है. बावजूद इसके शहर में नशाबंदी हाथी के दांत साबित हो रही है, यहां के गली-मोहल्ले से लेकर वाहनों तक में शराब बेचे जाने की खबरें मिलती रहती हैं, इन खबरों की पुष्टि कर रहा है कोरोना महामारी को लेकर साफ सफाई का वो अभियान, जिसमें नालियां हजारों की संख्या में शराब की खाली बोतलें उगल रही हैं. जो नगर पालिका कर्मियों के लिए भी मुसीबत का सबब बन रहा है, वहीं इन कांच की बोतलों से घायल होने की संभावनाएं भी हमेशा बनी रहती है.
आबकारी विभाग दावा करता है कि नगर में शराब का कारोबार बंद है और गाहे-बगाहे कुछ जब्ती भी कर ली जाती है, इसके बाद भी ये शराब आखिर मण्डला तक कब और कैसे पहंची. इस सवाल पर सब मौन साध लेते हैं. नगर पालिका उपाध्यक्ष गिरीश चंदानी का कहना है कि शहर की सफाई में नालियों में पड़ी ये बोतलें बड़ी समस्या बन रही हैं क्योंकि ये गंदे पानी को जाम करती हैं और इन्हें निकालने ने सफाईकर्मियों का समय बर्बाद होने के साथ ही टूटी कांच की बोतलें सफाईकर्मियों को घायल भी कर रही हैं.
कहते हैं कि गुप्त दान का काफी महत्व है, ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था बढ़ाने के लिए शराब की बोतलें खाली कर जिस तरह से नालियों को खाली बोतलों से पाट रहे हैं, उन्हें एक बार ये जरूर सोचना चाहिए कि जब जिम्मेदार भी उनके इस दान पर मौन स्वीकृति दे चुके हैं तो कम से कम बोतलों को नालियों में डालकर कोरोना योद्धा सफाईकर्मियों की मुसीबत न बढ़ाएं.