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सरकारी लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे 'राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र', सूने पड़े बैगा आदिवासियों के घर - बैगा आदिवासियों

राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र बैगा आदिवासियों के संरक्षण के लिए कई योजनाएं बनीं, खूब पैसा भी आया, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल जुदा है. इन योजनाओं का लाभ बैगा आदिवासियों को सिर्फ कागजों पर ही मिला.

baiga cast houses vacant
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Published : Mar 13, 2019, 6:52 PM IST

मंडला| राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र बैगा आदिवासियों के संरक्षण के लिए कई योजनाएं बनीं, खूब पैसा भी आया, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल जुदा है. इन योजनाओं का लाभ बैगा आदिवासियों को सिर्फ कागजों पर ही मिला.

baiga cast houses vacant

संरक्षण विकास योजना जिसे सीसीडी प्लान भी कहा जाता है, इसके अंतर्गत 30 अक्टूबर 2010 को बैगा आदिवासियों के लिए एक योजना बनाई गई. इस योजना के अंतर्गत जनपद पंचायत बीजाडांडी के अंतर्गत आने वाले गांव विजयपुर में बैगा जनजाति के लिए करीब 25 आवास बनाए गए थे, लेकिन इनमें सिर्फ एक बैगा परिवार ही रह रहा है. बाकी के सारे घर खण्डहर हो गए हैं.

25 बैगा परिवारों के लिए बनाए गए 25 घर की लागत 45 हजार रखी गई थी, लेकिन बिजली की समस्या और पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण एक परिवार के अलावा कोई भी परिवार यहां रहने नहीं आया. जब इस बात पर अधिकारियों से बात की गई, तो सभी जिम्मेदारों ने या तो मौन साध लिया या फिर उनके जवाब से इनकी लापरवाही और खामियां साफ उजागर हो जाती हैं.

मंडला| राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र बैगा आदिवासियों के संरक्षण के लिए कई योजनाएं बनीं, खूब पैसा भी आया, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल जुदा है. इन योजनाओं का लाभ बैगा आदिवासियों को सिर्फ कागजों पर ही मिला.

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संरक्षण विकास योजना जिसे सीसीडी प्लान भी कहा जाता है, इसके अंतर्गत 30 अक्टूबर 2010 को बैगा आदिवासियों के लिए एक योजना बनाई गई. इस योजना के अंतर्गत जनपद पंचायत बीजाडांडी के अंतर्गत आने वाले गांव विजयपुर में बैगा जनजाति के लिए करीब 25 आवास बनाए गए थे, लेकिन इनमें सिर्फ एक बैगा परिवार ही रह रहा है. बाकी के सारे घर खण्डहर हो गए हैं.

25 बैगा परिवारों के लिए बनाए गए 25 घर की लागत 45 हजार रखी गई थी, लेकिन बिजली की समस्या और पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण एक परिवार के अलावा कोई भी परिवार यहां रहने नहीं आया. जब इस बात पर अधिकारियों से बात की गई, तो सभी जिम्मेदारों ने या तो मौन साध लिया या फिर उनके जवाब से इनकी लापरवाही और खामियां साफ उजागर हो जाती हैं.

Intro:बैगाओं आदिवाशियों को राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र कहा जाता है जिन्हें संरक्षित करने के लिए योजनाएं तो बहुत बनाई जाती है और पानी की तरह पैसा भी खूब बहाया जाता है लेकिन जमीनी स्तर पर इस विशेष पिछड़ी जनजाति को कितना लाभ इन योजनाओं का मिल पाता है इसकी कहानी कहते है जनपद पंचायत बीजाडांडी के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत विजयपुर में बनाये गए ऐसे 25 आवास जिनमे बस एक बैगा परिवार रह रहा बाकी के सारे भवन खण्डहर में तब्दील हो चले हैं


Body:बैगा विकास परियोजना विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा हेतु संरक्षण विकास योजना जिसे सीसीडी प्लान भी कहा जाता है के अंतर्गत 30 अक्टूबर 2010 को बैगाओं के लिए एक योजना बनाई गई जनपद पंचायत बीजाडांडी के ग्राम विजयपुर में 25 बैगाओं के लिए 25 ग्रह आवास बनाने की तैयारी हुई हर एक आवास की लागत 45 हज़ार रखी गयी इस लिहाज से 25 आवासों की लागत 11 लाख 25 हज़ार आंकी गयी,बैगाओं के लिए केटल शेड के निर्माण के लिए 2 लाख 16 हज़ार रुपये का बजट,सामुदायिक चबूतरे के लिए 79 हज़ार का बजट,नालियों के निर्माण के लिए 5 लाख 30 हज़ार का बजट,सीमेंट कांक्रीट रोड के लिए 4 लाख 83 हज़ार का बजट और एक हेंड पम्प के लिए 65 हज़ार का बजट रखा गया कुल मिला कर 25 लाख का बजट स्वीकृत भी हुआ और निर्माण कार्य को अमलीजामा भी पहनाया गया लेकिन पानी की कमी और बिजली की व्यवस्था यहाँ नहीं होने के चलते आज तक इन आवासों में बस एक बैगा परिवार ही बस पाया है, यहाँ पर बैगाओं को क्यों नहीं बसा पाए इस पर सभी जिम्मेदार या तो मौन साध लेते है या फिर ऐसा जबाब देते हैं जिसे सुन कर इनकी ही अदूरदर्शिता और खामियां नज़र आती हैं,आदिवासी विकास मण्डला के सहायक आयुक्त विजय कुमार टेकाम का कहना है कि बैगा जनजाति ऐसे पक्के भवनों में रहना नहीं चाहती और उन्हें खेत बाड़ी या जंगली इलाका ही पसन्द आता है तो सवाल उठता है कि इतनी जानकारी के बाद ये 25 लाख रुपये क्यों पानी की तरह भवनों को खण्डहर में बदलने के लिए बहा दिए गये


Conclusion:इन आवास में रहने वाली एक मात्र महिला से जब पूछा गया तो उनका कहना था कि यहाँ भवन तो बना दिये गए लेकिन बिजली पानी की समस्या की तरफ किसी ने कभी ध्यान ही नहीं दिया और उनका परिवार जैसे तैसे अपना समय मजबूरी में काट रहा है साथ ही यहाँ आवास बनाने के लिए जिनसे जमीन ली गयी थी उन्हें मुआवजा भी अब तक नहीं दिया गया याने की कुल मिला कर लाखों खर्च कर इन इन्द्रा आवास योजना के तहत बनाए गए भवनों की मंशा पर ही शक पैदा होता है कि इन्हें बिना प्लानिंग या सोच के आखिर किसका भला करने के लिए बनाया गया था।फिलहाल इन आवासों के सम्बंध में आदिवासी विकास मण्डला के सहायक आयुक्त विजय कुमार टेकाम के द्वारा बीजाडांडी जनपद पंचायत को पत्र लिखा गया है और जानकारी माँगी गयी है जिसके बाद कोई कार्यवाही संभावित है लेकिन अगर इन आवासों पर फिर बैगाओं को बसाने की कवायद शुरू हुई भी तो खण्डहर हो चुके मकानों को दुरुस्त कराने फिर लाखों रुपये खर्च करने होंगे,मतलब यह कि बैगा नहीं रह रहे तो भी निर्माण कार्य मे 25 लाख बर्वाद और अब इन्ही भवनों को रहने योग्य बनाने के लिए लाखों का खर्चा,नुकसान कुल मिला कर जनता के उस पैसे का जो टेक्स के माध्यम से सरकारी खजाने तक विकास कार्यों के लिए पहुँचता है।

बाइट-विजय कुमार टेकाम,सहायक आयुक्त
बाइट-खुड्डी बाई,निवासी बैगा महिला
बाइट-बुजुर्ग महिला
पीटूसी -मयंक तिवारी
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