मंडला। जिले में कुपोषण के खिलाफ जंग जारी है. यहां सरकारी अधिकारियों, स्वयंसेवी संस्थाओं और जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ अन्य लोगों को कुपोषित बच्चे गोद लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. इस माध्यम से बच्चों को कुपोषण की श्रेणी से बाहर लाने का प्रयास किया जा रहा है.
जिले को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए 'सेम फ्री मंडला' अभियान की शुरुआत 31 जुलाई से की गई थी, जिसके सकारात्मक परिणाम नजर आ रहे हैं. इसी क्रम में कुपोषित बच्चे अब स्वस्थ होकर कुपोषण की श्रेणी से बाहर आ रहे हैं. हालांकि, जिले में 0 से 5 साल के कुपोषण बच्चों का प्रतिशत 14 है, जिसमें 2 प्रतिशत बच्चे अति कुपोषण की श्रेणी में आते हैं.
आखिर क्या है अभियान ?
मंडला में 1 हजार 214 कुपोषित बच्चे चिन्हित किए गए, जिनमें से जिला अधिकारी, जनप्रतिनिधि, स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा अब तक कुल 521 बच्चे गोद दिए जा चुके हैं, जिन पर स्वेच्छा से 300 रुपये प्रति बच्चे के पोषण आहार पर व्यय किया जा रहा है. इनमें से 172 बच्चे सामान्य श्रेणी और 207 बच्चे कुपोषण की श्रेणी में है. वर्तमान में 1 हजार 42 बच्चे सेम केटेगरी में हैं, जिनका स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास विभाग द्वारा लगातार सर्वेक्षण किया जा रहा है. वहीं कोई भी व्यक्ति कुपोषित बच्चों को गोद लेते हुए इस अभियान में शामिल होकर आर्थिक सहयोग प्रदान कर सकता है.
सेम फ्री मंडला: 1214 कुपोषित बच्चों में से अब तक 521 बच्चों को लिया गया गोद
मंडला जिले को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए 'सेम फ्री मंडला' अभियान की शुरुआत की गई थी, जिसके तहत अब तक 521 बच्चों को गोद लिया जा चुका है.
मंडला। जिले में कुपोषण के खिलाफ जंग जारी है. यहां सरकारी अधिकारियों, स्वयंसेवी संस्थाओं और जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ अन्य लोगों को कुपोषित बच्चे गोद लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. इस माध्यम से बच्चों को कुपोषण की श्रेणी से बाहर लाने का प्रयास किया जा रहा है.
जिले को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए 'सेम फ्री मंडला' अभियान की शुरुआत 31 जुलाई से की गई थी, जिसके सकारात्मक परिणाम नजर आ रहे हैं. इसी क्रम में कुपोषित बच्चे अब स्वस्थ होकर कुपोषण की श्रेणी से बाहर आ रहे हैं. हालांकि, जिले में 0 से 5 साल के कुपोषण बच्चों का प्रतिशत 14 है, जिसमें 2 प्रतिशत बच्चे अति कुपोषण की श्रेणी में आते हैं.
आखिर क्या है अभियान ?
मंडला में 1 हजार 214 कुपोषित बच्चे चिन्हित किए गए, जिनमें से जिला अधिकारी, जनप्रतिनिधि, स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा अब तक कुल 521 बच्चे गोद दिए जा चुके हैं, जिन पर स्वेच्छा से 300 रुपये प्रति बच्चे के पोषण आहार पर व्यय किया जा रहा है. इनमें से 172 बच्चे सामान्य श्रेणी और 207 बच्चे कुपोषण की श्रेणी में है. वर्तमान में 1 हजार 42 बच्चे सेम केटेगरी में हैं, जिनका स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास विभाग द्वारा लगातार सर्वेक्षण किया जा रहा है. वहीं कोई भी व्यक्ति कुपोषित बच्चों को गोद लेते हुए इस अभियान में शामिल होकर आर्थिक सहयोग प्रदान कर सकता है.