खरगोन। मकर संक्रांति के अवसर पर खरगोन के कुंदा तट स्थित ऐतिहासिक नवग्रह मंदिर में बड़े पैमाने पर आयोजन होंगे, जिसे लेकर पूरी तैयारियां हो चुकी हैं. यहां मकर संक्रांति के मौके पर कई अनुष्ठान होंगे, इसे लेकर मंदिर के पुजारी पंडित लोकेश जगीरदार ने मंदिर की विशेषताओं को लेकर ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
मकर संक्रांति को लेकर नवग्रह मंदिर में तैयारियां पूरी, जानें क्या है विशेषता - preparations for makar sankranti
खरगोन के कुंदा तट स्थित ऐतिहासिक नवग्रह मंदिर मकर संक्रांति को लेकर पूरी तरह से तैयार हो चुका है.
मकर संक्रांति की तैयारियां पूरी
खरगोन। मकर संक्रांति के अवसर पर खरगोन के कुंदा तट स्थित ऐतिहासिक नवग्रह मंदिर में बड़े पैमाने पर आयोजन होंगे, जिसे लेकर पूरी तैयारियां हो चुकी हैं. यहां मकर संक्रांति के मौके पर कई अनुष्ठान होंगे, इसे लेकर मंदिर के पुजारी पंडित लोकेश जगीरदार ने मंदिर की विशेषताओं को लेकर ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
Intro:मकर सक्रांति के अवसर पर खरगोन के ऐतिहासिक नवग्रह मंदिर में बड़े पैमाने पर अनुष्ठान और आयोजन होंगे जिसको लेकर संपूर्ण तैयारियां हो चुकी है।
Body:खरगोन के कुंदा तट स्थित ऐतिहासिक नवग्रह मंदिर मकर सक्रांति को लेकर पूरी तरह से तैयार हो चुका है। बुधवार को मकर सक्रांति के अवसर पर कई अनुष्ठान होंगे जिसको लेकर मंदिर के पुजारी पंडित लोकेश जगीरदार ने मंदिर की विशेषताओं को लेकर ईटीवी से खास बातचीत की।
पंडित लोकेश जागीरदार ने बताया कि ऐतिहासिक नवग्रह मंदिर है जहां पर मंदिर के गर्भगृह में भगवान सूर्य देव विराजमान है और उनके चारों ओर नवग्रह देवता विराजित है। सप्ताह के 7 दिन होते हैं इसलिए मंदिर में प्रवेश करने के लिए 7 सीढ़ी का है। उसके बाद मां सरस्वती पंचमुखी भगवान भोलेनाथ एवं श्री राम दरबार है। वर्ष के 12 माह होते हैं। गर्भ ग्रह में जाने के लिए 12 सीढ़ियां उतरना पड़ती है। इसी तरह मानव जीवन में 12 राशियां होती है। जिन्हें 12 सीढ़ियां चढ़कर बाहर आते हैं।
1-2-1 पंडित लोकेश जागीरदार नवग्रह मंदिर।
Conclusion:इस मंदिर की एक विशेषता यह भी मानी जाती है कि प्रातः सूर्यदेव की पहली किरण निकलती है तो सूर्य की पहली किरण गर्भ ग्रह में स्थित सूर्य देव की मूर्ति पर पड़ती है।
Body:खरगोन के कुंदा तट स्थित ऐतिहासिक नवग्रह मंदिर मकर सक्रांति को लेकर पूरी तरह से तैयार हो चुका है। बुधवार को मकर सक्रांति के अवसर पर कई अनुष्ठान होंगे जिसको लेकर मंदिर के पुजारी पंडित लोकेश जगीरदार ने मंदिर की विशेषताओं को लेकर ईटीवी से खास बातचीत की।
पंडित लोकेश जागीरदार ने बताया कि ऐतिहासिक नवग्रह मंदिर है जहां पर मंदिर के गर्भगृह में भगवान सूर्य देव विराजमान है और उनके चारों ओर नवग्रह देवता विराजित है। सप्ताह के 7 दिन होते हैं इसलिए मंदिर में प्रवेश करने के लिए 7 सीढ़ी का है। उसके बाद मां सरस्वती पंचमुखी भगवान भोलेनाथ एवं श्री राम दरबार है। वर्ष के 12 माह होते हैं। गर्भ ग्रह में जाने के लिए 12 सीढ़ियां उतरना पड़ती है। इसी तरह मानव जीवन में 12 राशियां होती है। जिन्हें 12 सीढ़ियां चढ़कर बाहर आते हैं।
1-2-1 पंडित लोकेश जागीरदार नवग्रह मंदिर।
Conclusion:इस मंदिर की एक विशेषता यह भी मानी जाती है कि प्रातः सूर्यदेव की पहली किरण निकलती है तो सूर्य की पहली किरण गर्भ ग्रह में स्थित सूर्य देव की मूर्ति पर पड़ती है।