खरगोन। 'ख्वाब टूटे हैं लेकिन हौसले अभी ज़िंदा हैं, ये वे हैं जिनके सामने मुश्किलें शर्मिंदा हैं.' इस बात को सबित कर दिखाया है शिक्षिका किरण शर्मा ने. किरण शर्मा उन लोगों के लिए एक मिसाल हैं, जो अपनी शारीरिक कमियों से निराश हो जाते हैं. छोटी सी उम्र में एक हादसे में अपने दोनों हाथ गंवाने के बाद भी किरण के हौसले नहीं टूटे.
7 साल की उम्र में करंट लगने से किरण शर्मा के दोनों हाथ बेकार हो गए थे. किरण का कहना है कि माता-पिता और मित्रों के सहयोग से उन्होंने बीकॉम की और अपनी शारीरिक कमियों को पीछे छोड़कर शिक्षा पूरी की और आज शिक्षिका बनकर बच्चों को पढ़ा रही हैं. किरण शर्मा शहर के माध्यमिक शाला क्रमांक 13 में पदस्थ हैं.
दोनों हाथों से दिव्यांग होने के बावजूद किरण शर्मा ने अपनी हिम्मत, लगन और मेहनत के बल पर खेलकूद सहित रंगोली प्रतियोगिता में भी हिस्सा लिया. इसके लिए उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से सराहना भी मिल चुकी है. स्कूल के प्रधानपाठक सुदेश जोशी ने कहा कि दिव्यांग होने के बाद भी किरण पूरी लगन और हिम्मत से बच्चों को पढ़ाती हैं.