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हौसलों के आगे मुश्किलों ने मानी हार, दिव्यांग शिक्षिका फैला रही हैं ज्ञान का उजाला

शहर की माध्यमिक शाला क्रमांक 13 में पदस्थ शिक्षिका किरण शर्मा समाज के लिए एक मिसाल पेश कर रही हैं. दोनों हाथों से दिव्यांग होने के बावजूद पूरी हिम्मत, लगन और मेहनत से वे ज्ञान का उजाला फैला रही हैं.

दिव्यांग शिक्षिका फैला रही हैं ज्ञान का उजाला
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Published : Sep 4, 2019, 3:04 PM IST

खरगोन। 'ख्वाब टूटे हैं लेकिन हौसले अभी ज़िंदा हैं, ये वे हैं जिनके सामने मुश्किलें शर्मिंदा हैं.' इस बात को सबित कर दिखाया है शिक्षिका किरण शर्मा ने. किरण शर्मा उन लोगों के लिए एक मिसाल हैं, जो अपनी शारीरिक कमियों से निराश हो जाते हैं. छोटी सी उम्र में एक हादसे में अपने दोनों हाथ गंवाने के बाद भी किरण के हौसले नहीं टूटे.

दिव्यांग शिक्षिका फैला रही हैं ज्ञान का उजाला

7 साल की उम्र में करंट लगने से किरण शर्मा के दोनों हाथ बेकार हो गए थे. किरण का कहना है कि माता-पिता और मित्रों के सहयोग से उन्होंने बीकॉम की और अपनी शारीरिक कमियों को पीछे छोड़कर शिक्षा पूरी की और आज शिक्षिका बनकर बच्चों को पढ़ा रही हैं. किरण शर्मा शहर के माध्यमिक शाला क्रमांक 13 में पदस्थ हैं.

दोनों हाथों से दिव्यांग होने के बावजूद किरण शर्मा ने अपनी हिम्मत, लगन और मेहनत के बल पर खेलकूद सहित रंगोली प्रतियोगिता में भी हिस्सा लिया. इसके लिए उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से सराहना भी मिल चुकी है. स्कूल के प्रधानपाठक सुदेश जोशी ने कहा कि दिव्यांग होने के बाद भी किरण पूरी लगन और हिम्मत से बच्चों को पढ़ाती हैं.

खरगोन। 'ख्वाब टूटे हैं लेकिन हौसले अभी ज़िंदा हैं, ये वे हैं जिनके सामने मुश्किलें शर्मिंदा हैं.' इस बात को सबित कर दिखाया है शिक्षिका किरण शर्मा ने. किरण शर्मा उन लोगों के लिए एक मिसाल हैं, जो अपनी शारीरिक कमियों से निराश हो जाते हैं. छोटी सी उम्र में एक हादसे में अपने दोनों हाथ गंवाने के बाद भी किरण के हौसले नहीं टूटे.

दिव्यांग शिक्षिका फैला रही हैं ज्ञान का उजाला

7 साल की उम्र में करंट लगने से किरण शर्मा के दोनों हाथ बेकार हो गए थे. किरण का कहना है कि माता-पिता और मित्रों के सहयोग से उन्होंने बीकॉम की और अपनी शारीरिक कमियों को पीछे छोड़कर शिक्षा पूरी की और आज शिक्षिका बनकर बच्चों को पढ़ा रही हैं. किरण शर्मा शहर के माध्यमिक शाला क्रमांक 13 में पदस्थ हैं.

दोनों हाथों से दिव्यांग होने के बावजूद किरण शर्मा ने अपनी हिम्मत, लगन और मेहनत के बल पर खेलकूद सहित रंगोली प्रतियोगिता में भी हिस्सा लिया. इसके लिए उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से सराहना भी मिल चुकी है. स्कूल के प्रधानपाठक सुदेश जोशी ने कहा कि दिव्यांग होने के बाद भी किरण पूरी लगन और हिम्मत से बच्चों को पढ़ाती हैं.

Intro:एंकर
सात साल की उम्र में अपने दोनों हाथ गवांने के बाद हिम्मत नही हारी। अपनी हिम्मत लगन और मेहनत के बल पर खेल कूद सहित रंगोली प्रतियोगिता में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी भी सराहना कर चुके है।


Body:किरण शर्मा ने etv से बात करते हुए कहा कि सात साल की उम्र में करंट लगने से दोनों हाथ बेकार हो गए। परन्तु माता पिता और मित्रों के सहयोग से मैंने बीकॉम करने के बाद शिक्षक बनी और 32 वर्षो से शिक्षक हूं।
बाइट- किरण शर्मा शिक्षिका
वही किरण को लेकर स्कूल के प्रधानपाठक सुदेश जोशी ने कहा कि किरण शर्मा दिव्यांग होने के बाद भी लगन ओर हिम्मत के बल पर 30 वर्षो से शिक्षिका के पद पर है।
सुदेश जोशी प्रधानपाठक क्रमांक 13


Conclusion:
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